मॉनसून सत्र का पहला दिन (19 जुलाई) हंगामेदार रहा. आलम ये रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मंत्रियों का परिचय तक नहीं करा पाए. उम्मीद थी कि विपक्षी दल सरकार को कोरोना की भीषण त्रासदी, किसान आंदोलन, महंगाई, बेरोजगारी, पेट्रोल-डीजल के दाम, चीन और रफाल जैसे मुद्दों पर घेरेंगे, लेकिन सत्र के ठीक एक दिन पहले सामने आया फोन टैपिंग के जरिए जासूसी का मामला ही पहले दिन छाया रहा. हालांकि, बाकी मुद्दों पर बवाल अभी बाकी है.
Pegasus के मुद्दे को लेकर कांग्रेस खुलकर सामने आ गई है. सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जांच से पहले गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफे दे देना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जांच होनी चाहिए. वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मॉनसून सत्र के दूसरे दिन (20 जुलाई) संसद में (Pegasus Project report) के मुद्दे को उठाएंगे.
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री बोलते हैं कि वो डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देते हैं, लेकिन आज हम देख रहे हैं कि यह सर्विलांस इंडिया है. NSO कह रहा है कि उसके उत्पादों का उपयोग सरकार द्वारा विशेष रूप से अपराध और आतंक से लड़ने के लिए किया जाता है, लेकिन इसका इस्तेमाल सरकार के खिलाफ बोलने वालों पर हो रहा है. गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा दावा किया गया है कि Pegasus सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से भारत (India) में कई पत्रकारों, नेताओं और अन्य लोगों के फोन हैक किए गए थे.
इधर, इजरायल के पेगासस (Pegasus) सॉफ्टवेयर के जरिए फोन टैपिंग की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर राहुल गांधी की जासूसी करवाने का भी आरोप लगाया. कांग्रेस ने ये भी कहा कि सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं, बल्कि विपक्ष के दूसरे नेताओं की भी जासूसी करवाई. बीजेपी को अब अपना नाम बदलकर भारतीय जासूसी पार्टी रख लेना चाहिए.
इन मुद्दों पर अभी बवाल बाकी!
किसानों का मुद्दा-तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों ने 22 जुलाई को संसद का घेराव करने का ऐलान किया है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इजाजत नहीं दी है. गौरतलब है कि हजारों किसान 9 महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं. इस दौरान कई किसानों की जान भी जा चुकी है. किसानों के मसले पर सरकार का कहना है कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी जो भी फैसला लेगी उसे माना जाएगा.
कोरोना की भीषण त्रासदी और बेरोजगारी- कोरोना की दूसरी लहर में मिस मैनेजमेंट के कारण जो हालात बने, वो मुद्दा इस सत्र में विपक्ष की प्राथमिकता में है. दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत, हजारों लोगों की मौत, अस्पताल में बेड की कमी से जो भयावय स्थिति बनी थी, वो किसी से छिपी नहीं है. इस लहर में 500 से अधिक डॉक्टरों ने भी जान गंवाई थी. वहीं, सेंटर फॉर इंडियन इकॉनोमी (CMIE) के मुताबिक, दूसरी लहर में भारत में एक करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हुए हैं.
तेल के बढ़ते दाम -देश के तमाम हिस्सों में पेट्रोल की कीमत सेंचुरी लगा चुकी है. जुलाई में ही 9 बार पेट्रोल के दाम बढ़े हैं. विपक्ष पेट्रोल-डीजल के दाम को लेकर भी अटैकिंग मोड में दिख रहा था. वहीं, महंगाई का मुद्दा भी उसके एजेंडे में सबसे ऊपर था. ऐसे में मॉनसूत्र सत्र के दौरान ये मुद्दे विपक्षी दल कितनी आक्रमकता के साथ उठाते हैं, वो देखना होगा.
aajtak.in