कोरोना संकट के बीच गुजरात में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी को जोर का झटका लगा है. मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के गढ़ में बीजेपी के पार्षद समेत कई कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. बीजेपी के लिए झटका इसलिए, क्योंकि यहां पर स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं.
विजय रुपाणी के गढ़ में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने बीजेपी में सेंध लगाते हुए स्थानीय निकाय के चुनाव से पहले बीजेपी पार्षद समेत कई कार्यकर्ताओं को कांग्रेस में शामिल करा लिया.
गुजरात में अलग-अलग शहरों के स्थानीय निकाय के चुनाव के दिन गिने जा रहे हैं, लेकिन इस बीच हार्दिक पटेल ने मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के चुनाव क्षेत्र और कर्म क्षेत्र कहे जाने वाले राजकोट में कांग्रेस को बड़ी कामयाबी दिलाई है. कांग्रेस के उपाध्यक्ष हार्दिक पटेल की उपस्थिति में आज गुरुवार को बीजेपी की राजकोट वार्ड की महिला पार्षद दक्षाबेन भेसाणीया कई कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस में शामिल हो गईं.
बीजेपी में मतभेद जारी
पिछले हफ्ते गुजरात बीजेपी पार्टी के अध्यक्ष सीआर पाटील के राजकोट दौरे के बाद हुई इस राजनीतिक पार्टी की अदल-बदल लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री रुपाणी के बीच मतभेद की बात भी सामने आ रही है. मुख्यमंत्री के गढ़ राजकोट में निकाय के चुनाव से पहले इस तरह पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में बीजेपी के कई अन्य नेता शामिल हो चुके हैं. सौराष्ट्र के मार्केटिंग यार्ड के व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल कमाणी भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता चांदनीबेन लींबासीया ने भी कांग्रेस का हाथ थाम लिया है.
यही नहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के 20 पदाधिकारी भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. इस पर हार्दिक पटेल ने ट्वीट कर जानकारी भी दी है.
हार्दिक ने अपने ट्वीट में कहा कि गुजरात में भाजपा सरकार ने मां सरस्वती की शिक्षा को महंगी कर दिया है, शिक्षित नौजवान को बेरोजगार बना दिया है. जिसके विरोध में आज राजकोट एबीवीपी के अनेक कार्यकर्ता कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं. हम युवा गुजरात और भारत के भविष्य हैं. हमसे अन्याय हुआ तो जवाब मिलेगा.
माना जा रहा था कि बीजेपी के नए अध्यक्ष सीआर पाटील के सौराष्ट्र दौरे से सौराष्ट्र में पार्टी के अंदर जो अंदरुनी लड़ाई चल रही है वो खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा लगता है कि अध्यक्ष के दौरे से कोई खास फर्क नहीं पड़ा.
गोपी घांघर