खड़गे ने सरकार पर चलाए ‘गांधी’,‘अटल’ के ‘शब्द बाण’

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने किसान आंदोलन पर भी बात की. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों से सत्ता पक्ष को घेरा, जानें क्या कहा खड़गे ने.

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मल्लिकार्जुन खड़गे (Photo:File) मल्लिकार्जुन खड़गे (Photo:File)

शरद अग्रवाल

  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:57 PM IST
  • कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर साधा निशाना
  • 'जो कानून अधिकारों की रक्षा ना करे उसकी अवहेलना कर्तव्य'
  • 'जहां विरोधियों को गद्दार माना जाए वहां लोकतंत्र समाप्त'

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने किसान आंदोलन पर भी बात की. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों से सत्ता पक्ष को घेरा, जानें क्या कहा खड़गे ने

‘कानून की अवहेलना तुम्हारा परम कर्तव्य’
कृषि कानूनों के संदर्भ में मल्लिकार्जुन खड़गे ने महात्मा गांधी के कथन के माध्यम से सरकार पर निशाना साधा. खड़गे ने कहा कि गांधी जी कहा करते थे कि ‘जो कानून तुम्हारे अधिकारों की रक्षा ना कर सके, उसकी अवहेलना करना तुम्हारा परम कर्तव्य होता है.’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के सदस्यों को गांधी के वचनों से प्रेरणा लेने की नसीहत भी दी.

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किसान हित में किया काम
खड़गे ने सरकार को MSP के मुद्दे पर भी घेरा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में तीन प्रमुख फसलों के MSP में 219% तक की बढ़ोत्तरी की गई. भाजपा सरकार को MSP पर आंकड़े प्रतिशत में बताने चाहिए ना कि रुपये में. इसी क्रम में उन्होंने कहा कि गरीब और ग्रामीण लोगों के हित में कांग्रेस ने कई काम किए. कांग्रेस ने ही मनरेगा लाया और खाद्य सुरक्षा कानून लाया.

पढ़ी अटल की कविता
कृषि कानूनों पर सरकार के अड़ियल रवैये पर तंज कसते हुए खड़गे ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का उल्लेख किया. उन्होंने पढ़ा,
‘जहां विरोध और विरोधियों को, गद्दार मानने का भाव हो
वहां लोकतंत्र समाप्त होता है, और तानाशाही का उदय होता है’

‘मेरी मौत की वजह, मैं पेशे से किसान हूं’
किसान आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जताते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने अंत में एक और कविता पढ़ी
‘जो भगवान का सौदा करता है,
वो इंसान की कीमत क्या जाने,
जो धान की कीमत दे ना सके,
वो जान की कीमत क्या जाने,
मत मारो गोलियों से मुझे,
मैं पहले से दु:खी इंसान हूं,
मेरी मौत की वजह यही है,
मैं पेशे से किसान हूं.’

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