भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कृषि कानूनों के प्रचार-प्रसार के बारे में अपने सांसदों को निर्देश जारी किए हैं. पार्टी ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सांसदों से पूछा कि अभी तक इन ऐतिहासिक विधेयकों के पारित होने के बाद प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने क्या कार्यक्रम किए हैं?
पार्टी ने कहा कि इस बारे में शीर्ष नेतृत्व ने आग्रह किया है. सभी सांसदों से इसकी रिपोर्ट मांगी गई है. सांसदों से ये भी कहा कि किसानों का भ्रम दूर करने के लिए अगले 15 दिनों में क्या कार्यक्रम करने जा रहे हैं, इसकी भी जानकारी दें.
बीजेपी किसानों के बीच इन कानूनों के प्रचार के लिए सात राज्यों और यूटी में पहले से ही आत्मनिर्भर किसान नाम से अभियान चला रही है. वहीं, कृषि बिल पर संसद में लड़ाई हारने के बावजूद विपक्ष पीछे हटने के मूड में नहीं है. लगातार सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है.
दूसरी तरफ संसद से पास कानून को संवैधानिक दायरे में रहकर अस्वीकार करने की भी तैयारी चल रही है. कांग्रेस ने अपनी प्रदेश सरकारों से कहा है कि कृषि विधेयकों को खारिज करने के लिए वो कानून पर विचार करें.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कांग्रेस शासित राज्यों को संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत अपने राज्यों में कानून पारित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा है, जो राज्य विधानसभाओं को एक केंद्रीय कानून को रद्द करने के लिए एक कानून पारित करने की अनुमति देता है, फिर जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होती है.
बता दें कि किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को संसद से पास कृषि बिल को मंजूरी दे दी थी. किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन उनकी अपील किसी काम न आई, तीनों विवादास्पद बिल अब कानून बन गए हैं.
हिमांशु मिश्रा