शिंदे गुट ने बालासाहेब की प्रतिमा पर चढ़ाए फूल, नाराज उद्धव खेमे ने छिड़का गंगाजल

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच में तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. इसी कड़ी में अब बालासाहेब की 10वीं बरसी पर भी सियासी तकरार देखने को मिल गई है. असल में एकनाथ शिंदे के समर्थकों ने बालासाहेब ठाकरे की प्रतिमा को फूल चढ़ाए तो नाराज उद्धव गुट ने वहां पर गंगाजल छिड़क दिया.

Advertisement
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे

पंकज खेळकर

  • पुणे,
  • 17 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST

महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव बनाम एकनाथ शिंदे की लड़ाई हर बीतते दिन के साथ और बढ़ती जा रही है. सत्ता परिवर्तन के बाद भी जमीन पर सियासी तनाव कम होने के बजाय बढ़ा है. हालात ऐसे बन गए हैं कि बालासाहेब ठाकरे की 10वीं बरसी पर भी दोनों गुट के दिल नहीं मिले हैं. इसी वजह से जब एकनाथ शिंदे के समर्थकों ने बालासाहेब ठाकरे की प्रतिमा को फूल चढ़ाए तो नाराज उद्धव गुट ने वहां पर गंगाजल छिड़क दिया.

Advertisement

क्या है पूरा विवाद?

जानकारी के लिए बता दें कि गुरुवार को शिंदे गुट के नेता पुणे के Sarasbaug में बालासाहेब ठाकरे की 10वीं बरसी पर इकट्ठा हुए थे. उनकी तरफ से वहां पर बालासाहेब की प्रतिमा पर फूल भी चढ़ाए गए. लेकिन राज्य में इस समय जिस प्रकार की सियासत चल रही है, उसे देखते हुए उद्धव खेमे ने इस मौके पर भी शिंदे गुट पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ा. बिना बयानबाजी किए उस स्थल को गंगाजल से साफ किया गया. संदेश दिया गया कि एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों को बालासाहेब को याद करने का कोई हक नहीं है.

उद्धव ठाकरे पर किसने साधा निशाना?

अब उद्धव खेमे के इस रवैये से विधायक नितेश राणे खासा खफा हो गए हैं. उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया है कि असल में उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे को गोमूत्र से स्नान कर लेना चाहिए. वे कहते हैं कि गंगाजल छिड़कने से कुछ नहीं होगा, दोनों पिता और पुत्र को गोमूत्र से भरे टैंक में डुबकी लगवानी चाहिए जिससे कांग्रेस और एनसीपी के विचारों से वे मुक्त हो सकें, पवित्र हो सकें.

Advertisement

नाम और निशान को लेकर तकरार

वैसे इस समय कई मुद्दों को लेकर उद्धव और एकनाथ शिंदे के बीच में तकरार चल रही है. शिवसेना के चिन्ह को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा जा रहा है. दोनों तरफ से दावा है कि वे असल शिवसेना हैं. उद्धव खेमा तो साफ तौर पर कह रहा है कि चुनाव आयोग का फैसला गलत था और उनसे कोई बातचीत नहीं की गई.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement