AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी पर असम और पश्चिम बंगाल के चुनावों में NRC का मुद्दा भूल जाने का आरोप लगाया. India Today Conclave 2021 South में सेकुलरिज्म पर एक सत्र में उन्होंने ये बात कही, जानें और क्या बोले ओवैसी.
'परिणाम मन-मुताबिक नहीं तो भूल गई NRC'
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि NRC की फाइनल लिस्ट बीजेपी के मन-मुताबिक नहीं आई तो असम और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में वह इसका नाम लेने से भी कतरा रही है. ओवैसी ने कहा कि असम में NRC की आखिरी लिस्ट में करीब 20 लाख लोगों के नाम नहीं आए और इसमें 15 लाख लोग करीब गैर-मुस्लिम हैं. इसलिए अब आप उसकी बात भी नहीं कर रहे हैं.
सेकुलरिज्म में विश्वास करने से रोकती है विचारधारा
ओवैसी ने कहा कि बीजेपी ‘सबका साथ-सबका विकास’ की बात करती है, लेकिन जब असल में काम करने की बारी आती है तो वह मुस्लिमों को भूल जाती है. क्योंकि बीजेपी की विचारधारा उसे सेकुलरिज्म में विश्वास करने से रोकती है. अगर सबका साथ सबका विकास की सच्चाई देखनी हो तो लोगों को अहमदाबाद जाना चाहिए.
एक तरफ रिवर फ्रंट, दूसरी तरफ खुले नाले
ओवैसी ने कहा कि लोग सबका साथ-सबका विकास की सच्चाई अहमदाबाद जाकर देख सकते हैं. जहां एक तरफ तो आलीशान रिवर फ्रंट बना है वहीं उसके दूसरी तरफ जहां मुस्लिमों और दलितों की बस्तियां हैं वहां पर खुले नाले हैं. उन्होंने चर्चा में साथ बैठे भाजपा सांसद सैयद जफर इस्लाम से कहा कि आप मेरे साथ गोधरा चलिए जहां रेलवे ट्रैक के एक तरफ विकास है जबकि दूसरे तरफ नहीं.
योगी पर साधा निशाना
ओवैसी ने सेकुलरिज्म को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वह सेकुलर संविधान के हिसाब से मुख्यमंत्री चुने गए और उसके बाद वह कहते हैं कि सेकुलरिज्म की वजह से भारत दुनिया में अपना सही मुकाम हासिल नहीं कर सका.
CAA जैसा असंवैधानिक कानून बनाया
ओवैसी बोले की बीजेपी ने नागरिकता पर धर्म के आधार पर असंवैधानिक कानून बनाया. इसके विरोध में उत्तर प्रदेश में 23 लोगों की जान चली गई. इसका जिम्मेदार कौन है.
बीफ का कारोबार बंद करने से लाखों लोग बेरोजगार
जफर इस्लाम के सरकार के कई स्कीमों से मुस्लिमों को फायदा पहुंचाने की बात पर औवैसी ने कहा कि देश की सरकार का स्कीमें लेकर आना उसका कर्तव्य है. वह कोई रहम नहीं कर रही इन्हें लाकर. जबकि कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने बीफ के कारोबार पर पाबंदी लगा दी. इससे 70 लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई.
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