Parliament Winter Session: कांग्रेस का आरोप- भाषण के दौरान बंद किया गया अधीर रंजन चौधरी का माइक

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन, कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है. ट्विटर पर संसद का एक वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा है कि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के भाषण के दौरान उनका माइक बंद कर दिया गया. जानिए, संसद में तब क्या हुआ था.

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लोकसभा में अपनी बात रखते अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में अपनी बात रखते अधीर रंजन चौधरी

पारुल चंद्रा

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:29 PM IST

संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session 2022) आज बुधवार से शुरू हो गया. इसी बीच, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chaudhary) को बोलने नहीं दिया गया और उनका माइक ऑफ़ कर दिया गया. 

कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए कहा है कि अधीर रंजन चौधरी बोल रहे थे...और माइक ऑफ हो गया.

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दरअसल, कांग्रेस ने घटना का वह हिस्सा ट्वीट किया है जिसमें अधीर रंजन चौधरी को बोलते हुए दिखाया गया है. लेकिन अध्यक्ष के जवाब को नहीं दिखाया गया. हम बताते हैं कि आखिर तब हुआ क्या था.

दरअसल, लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि उन्हें विपक्ष की तरफ से कुछ विषयों पर स्थगन प्रस्ताव की सूचना मिली है, लेकिन मैंने स्थगन प्रस्ताव की सूचना पर अनुमति प्रदान नहीं की है. इसके बाद विपक्ष ने हंगामा किया, लेकिन कार्यवाही जारी रही. कुछ देर बाद, लोकसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को अपनी बात रखने का मौका दिया.

अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा, 'विपक्ष के लिए सदन में कई सुविधाएं दी जाती हैं. इतने सालों से जो सदन की परंपरा चली आ रही है, आपने उस परंपरा को खत्म करते हुए सारी स्टैंडिंग कमेटियों को विपक्ष से छीन लिया है. उन्होंने कहा कि ये सरकार विपक्ष के अधिकार छीन रही है. ये हमारी परंपरा है, ये हमारा अधिकार है, जो हमें मिलना चाहिए. ऐसा क्यों हो रहा है? ये हमारी परंपरा थी लेकिन इस परंपरा को आप खत्म कर रहे हैं.'

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इसपर अध्यक्ष ओम बिरला ने अधीर रंजन चौधरी से कहा ने कि आप सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं. कांग्रेस के बड़े नेता भी हैं. उन्होंने पूछा कि क्या सदन के विषय में अध्यक्ष पर आक्षेप लगाया जाता है क्या? क्या ये परंपरा है? आपने परंपरा का उल्लंघन किया है. उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि अध्यक्ष के आसन को चुनौती देकर सदन की परंपरा का उल्लंघन किया है. सदन की कमेटी के बारे में निर्णय लेने का अधिकार अध्यक्ष का होता है.

 

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