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भारत

सरकार की टैक्स छूट कहीं आपके लिए ना बन जाए मुसीबत!

aajtak.in
  • 01 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 6:07 PM IST
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शनिवार को पेश हुए केंद्रीय बजट में करदाताओं के लिए नई कर दरों का ऐलान किया. नई घटी हुईं कर दरों से जहां कई लोग लाभान्वित होंगे, वहीं कुछ लोगों को नुकसान भी हो सकता है. इसकी वजहें हम आपको आगे बताते हैं.

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इस बार टैक्स स्लैब में तो बदलाव किया गया है लेकिन इसके साथ ही टैक्स भरते वक्त मिलने वाली कई रियायतों को खत्म कर दिया गया है. यानी अगर आप नए टैक्स स्लैब से आयकर भरते हैं तो आपको पुरानी रियायतें छोड़नी होंगी.

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अगर आपको टैक्स में मिलने वाले डिडक्शन चाहिए तो फिर आपके पास पुरानी कर दरों से भी आयकर भरने का विकल्प मौजूद होगा. लेकिन ऐसी स्थिति में आपको नई टैक्स दरों का कोई फायदा नहीं होगा और इस नए बजट से आपको कोई राहत नहीं मिल सकेगी.

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि लोगों को पुराने टैक्स स्लैब और नए टैक्स स्लैब दोनों का विकल्प दिया गया है. उन्होंने कहा, टैक्स की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए रियायतें खत्म कर दी गई हैं. तमाम डिडक्शन्स या रियायतों की गणना में आम आदमी समेत प्रशासनिक अधिकारियों को भी माथापच्ची करनी पड़ती थी, लेकिन नए टैक्स स्लैब में टैक्स भरना बेहद आसान होगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये भी कहा कि आने वाले वक्त में सरकार ऐसी टैक्स व्यवस्था की तरफ बढ़ेगी जिसमें किसी भी तरह की टैक्स रियायतें नहीं होंगी.

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वर्तमान में सरकार कुल मिलाकर सौ से ज्यादा रियायतें देती हैं. लेकिन नई टैक्स स्लैब का लाभ लेने पर आपको टैक्स में मिलने वाली करीब 70 रियायतों को छोड़ना पड़ेगा. विश्लेषकों का कहना है कि नए टैक्स सिस्टम में इनकम टैक्स के सेक्शन 80C, 80D, 24 के तहत मिलने वाले रियायतें खत्म कर दी जाएंगी. आसान शब्दों में कहें तो 80C के तहत मिलने वाले LIC, PPF, NSC, यूलिप, ट्यूशन फीस, म्यूचुअल फंड ELSS, पेंशन फंड, होम लोन, बैंकों में टर्म डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस में 5 साल के डिपॉजिट और सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करके जो टैक्स छूट का फायदा लेते थे, वह खत्म हो जाएगी. इसके अलावा 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पर भी टैक्स छूट छोड़नी होगी.

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नई टैक्स व्यवस्था में फिलहाल ये रियायतें मिलती रहेंगी- डेथ-कम रिटायरमेंट बेनेफिट, पेंशन, रिटायरमेंट पर छुट्टियों के बदले कैश, 5 लाख रुपये तक वीआरएस अमाउंट, ईपीएफ फंड, शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप पर मिली धनराशि, सार्वजनिक हित में किए गए किसी कार्य के लिए सम्मान के तौर पर मिली धनराशि. राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के तहत छोटी अवधि वाली निकासी और मैच्योरिटी अमाउंट.

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इस नए टैक्स स्लैब में डिविडेंड डिस्ट्रीयब्यूशन टैक्स को हटा दिया गया है जिससे कई निवेशकों को भी इसका बोझ झेलना होगा. इसके अलावा, फिक्स्ड डिपॉजिट, इंश्योरेंस, हाउसिंग इंटरेस्ट समेत छोटी-छोटी बचत करने की प्रवृत्ति को भी झटका लगेगा.

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नए स्लैब के हिसाब से टैक्स भरने पर उन लोगों को भी घाटा होगा जिन्होंने होम लोन लिया है. 

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उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी सालाना आय 15 लाख रुपए है और आपने होम लोन लिया है तो आपको पहले 1,48,200 रुपए तक का टैक्स भरना पड़ता था लेकिन नई दरों का विकल्प चुनने पर आपको 1,95,000 रुपए टैक्स के रूप में चुकाने होंगे. ऐसे में आपको 46,000 रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा.

कुल मिलाकर, घटी हुईं टैक्स दरों से हर किसी को फायदा हो, ये जरूरी नहीं है.  अब किसी करदाता के लिए नई कर व्यवस्था या पुरानी कर व्यवस्था में से ज्यादा फायदेमंद क्या होगी, ये उसकी आय और निवेश पर निर्भर करता है. हर व्यक्ति को अपनी गणित से चुनाव करना होगा.

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