विजयादशमी का पर्व हर साल यह याद दिलाता है कि अधर्म, असत्य और अत्याचार चाहे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, विजय हमेशा धर्म, सत्य और प्रतिकार की होती है. रावण के पुतलों का दहन इस बात का प्रतीक है कि ज्ञान, बल और पौरुष शक्ति का उपयोग यदि अधर्म के लिए किया जाए तो उसे वर्षों तक इसी तरह याद रखा जाता है. इस विजयादशमी पर हमें स्वयं से यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में किन आदर्शों का पालन करेंगे.