करतारपुर साहिब सिखों के सबसे बड़े तीर्थों में से एक है. ये वही जगह है जहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अपनी जिंदगी के साल गुजारे थे और यहीं उनकी समाधि भी है. यहां के दर्शऩ करना हर सिख की मुराद होती है जो अब पूरी हो रही है. करतारपुर साहब की कहानी, इसका इतिहास करीब 500 साल पुराना है. माना जाता है कि साल 1522 में गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी. कहा जाता है कि एक अंग्रेज वकील क्रिल रेडक्लिफ की गलती ने इसे भारत के बदले पाकिस्तान का हिस्सा बना दिया. क्रिल रेडक्लिफ ने बंटवारे के वक्त रावी नदी की धारा को ही बॉर्डर बना दिया था. करतारपुर गुरुद्वारा रावी के दूसरी तरफ था लिहाजा ये पाकिस्तान के हिस्से में चला गया.