आखिर क्या कारण हैं कि बंगाल में जब भी चुनाव आते हैं या फिर जब भी सियासत की बात होती है तब खून बहता है? कितने कार्यकर्ता, कितने नेता हिंसा का शिकार हो रहे हैं. कितने आम लोग उसकी चपेट में आ रहे हैं. आंकड़े और इतिहास बताते हैं कि इसे एक ऐसा राज्य कहा जा सकता है जहां हिंसात्मक राजनीतिक के विरोध में भी हिंसा ही सबसे जरूरी हथियार बन जाती है. ऐसी ही हिंसा के शिकार बने पार्षद मनीष शुक्ला. रोती मां ने बताया पूरा वाकया.