SC-ST की जमीन खरीदने के नियमों में यूपी सरकार बदलाव क्यों चाहती है? :आज का दिन, 16 मार्च

यूपी में SC-ST की जमीन खरीदने के लिए अब DM की अनुमति नहीं लेनी होगी, सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र के राज्यपाल की भूमिका पर सवाल क्या शिंदे कैंप के लिए झटका है और दिल्ली वाले 12 महीने में 12 दिन भी साफ हवा में सांस क्यों नहीं ले पाते? सुनिए 'आज का दिन' में.

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रोहित त्रिपाठी

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  • 16 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 8:32 AM IST

संविधान के सेक्शन 42 में एक प्रावधान है जो कहता है कि एससी और एसटी समुदाय की ज़मीनें बिना जिले के सबसे अधिकारी dm की अनुमति के बगैर नहीं खरीदी जा सकती. जाहिर है ये उन घटनाओं से बचने के लिए किया गया होगा जब रसूख वाले लोग अपने बाहुबल से अवैध तरीके से किसी की जमीन कब्जा कर लेते हैं और जबरन अपने नाम करा लेते हैं. कल खबर आई कि यूपी सरकार ने इस नियम को समाप्त करने का मन बना लिया है. कैबिनेट में अभी ये मामला गया है, मंजूरी मिलने की देर है. इसे अप्रूवल मिलने के बाद एससी एसटी समुदाय की जमीने खरीदने के लिए किसी अप्रूवल की दरकार नहीं होगी. इस पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है कि इससे सामाजिक रूप से फिर से अन्याय बढ़ेगा. लेकिन सरकार का वर्जन क्या है इस पर –क्या वजह है अब तक चले आ रहे इस नियम को खत्म करने की सोच के पीछे? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी गठबंधन की सरकार किस तरह गई वो सबने देखा था. बाद में शिवसेना पार्टी की दावेदारी को लेकर मामला चुनाव आयोग पहुंचा तो उद्धव से पार्टी भी छिन गई. लेकिन अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कल इस केस में सुनवाई थी. CJI डीवाय चंद्रचूड़ ने शिवसेना विवाद पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कई सवाल किए. उन्होने इस पूरे विवाद के दौरान राज्यपाल पर भी सवाल उठाए. CJI ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जल्दबाजी में विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला किया. राज्यपाल पर चीफ जस्टिस के इस बयान को शिंदे खेमे के लिए बड़ा सेट बैक माना जा रहा है.हालांकि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का बचाव करते हुए तुषार मेहता ने कहा- शिवसेना विधायक दल ने एकनाथ शिंदे को नेता चुना था। इसलिए राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया था. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणी और उनका आधार क्या था और इन टिप्पणियों का इस मामले के भविष्य पर फर्क पड़ेगा? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 
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प्रदूषण अब इस देश के लिए नई समस्या तो नहीं है. लेकिन नई रिपोर्ट्स आती रहती हैं-चेतावनी देने के लिए..वर्ल्ड एयर क्वालिटी की ये रिपोर्ट है. ये रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली वाले 12 महीने में 12 दिन भी साफ हवा में सांस नहीं ले पाते. राजधानी दिल्ली की हवा में PM2.5 का स्तर WHO के तय मानक से कई गुना ज्यादा है. रिपोर्ट बताती है कि 2022 में राजधानी दिल्ली की हवा में हर क्यूबिक मीटर में PM2.5 की मात्रा 92.6 माइक्रोग्राम रही थी. ये तय मानक से 18 गुना ज्यादा है. किस तरह से बनाई गई है रिपोर्ट और इसमें मानकों का निर्धारण किस आधार पर किया गया है- जानने को हमने बात की आजतक डॉट इन में साइंस जर्नलिस्ट रिचीक मिश्रा से. 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.

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