क्या है छठी अनुसूची? जिसके लिए 'थ्री इडियट्स' वाले सोनम वांगचुक ने लद्दाख में की भूख हड़ताल

5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 यानी विशेष राज्य का दर्जा देने वाला प्रावधान हटाया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य को दो केंद्रशासित राज्यों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया. इसके बाद से लद्दाख के लोग राज्य को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. अभी सिर्फ पूर्वोत्तर के 4 राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों को इसमें शामिल किया गया है.

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सोनम वांगचुक सोनम वांगचुक

aajtak.in

  • लद्दाख,
  • 31 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

2009 में आमिर खान की फिल्म 'थ्री इडियट्स' रिलीज हुई थी. इस फिल्म में आमिर खान ने लद्दाख के शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक से प्रेरित भूमिका निभाई थी. अब सोनम वांगचुक एक बार फिर चर्चा में हैं. वे 26 जनवरी से 5 दिन की भूख हड़ताल पर थे. सोनम वांगचुक के साथ लद्दाख के सैकड़ों लोग भी प्रदर्शन कर रहे हैं. सोनम लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और क्षेत्र के लिए अन्य सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं. 

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सोनम वांगचुक की हड़ताल के आखिरी दिन लेह एपेक्स बॉडी ऑफ पीपुल्स मूवमेंड फॉर सिक्स्थ सिड्यूल और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेता भी शामिल हुए. एपेक्स बॉडी और केडीए लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इलाके को संविधान की छठी अनूसची के अधीन लाने की मांग कर रहा है. सोनम वांगचुक ने समर्थन देने वाले सभी लोगों का धन्यवाद किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका अनशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित करने के लिए है, ताकि हमारे नेता हमारी चिंताओं और मांगों के बारे में उन्हें जानकारी दे सकें. 
 
सोनम वांगचुक ने कहा, कुछ कॉरपोरेट को खुश करने के बजाय ग्लेशियर समेत हिमालय की रक्षा अधिक महत्वपूर्ण होना चाहिए. इसका सीधा प्रभाव देश के लोगों पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार को हिमालय के पर्यावरण के लिए भविष्य उन्मुखी योजना बनानी चाहिए. साथ ही केंद्र को लद्दाख को संविधान की छठी अनूसची में शामिल करने के वादे को पूरा करना चाहिए. इतना ही नहीं सोनम वांगचुक ने कहा कि सरकार अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो वे अनशन और तेज करेंगे और जवाब नहीं मिला तो 10 दिन का अनशन करेंगे. इसके बाद 15 दिनों का और फिर अंतिम सांस तक अनशन करेंगे. 

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5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 यानी विशेष राज्य का दर्जा देने वाला प्रावधान हटाया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य को दो केंद्रशासित राज्यों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया. 70 साल बाद जब लद्दाख केंद्रशासित राज्य बना, तो यहां के लोगों द्वारा खुशियां मनाई गईं. जम्मू कश्मीर में दिल्ली-पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी. जबकि बाकी अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरह लद्दाख को बनाया गया. यानी यहां शासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक या उप राज्यपाल के हाथों में है. 

 

लद्दाख के जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद विधान परिषद में लद्दाख का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया . अब यहां हिल डेवलपमेंट काउंसिल लेह और कारगिल के माध्यम से ही जनता का प्रतिनिधित्व है. केंद्रशासित राज्य बनने से पहले हिल डेवलपमेंट काउंसिल लेह और कारगिल के पास कैबिनेट के बराबर अधिकार थे. लेकिन केंद्र शासित राज्य बनने के बाद यह सिर्फ नाम की रह गई है. अब काउंसिल के पास फाइनेंशियल कंट्रोल का हक भी नहीं है. ऐसे में यहां के लोग लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. यह मांग लगातार कुछ समय से तेज होती जा रही है. अब सोनम वांगचुक भी इस मुद्दे पर अनशन कर रहे हैं. उन्हें स्थानीय लोगों का समर्थन भी मिल रहा है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर क्या है छठी अनुसूची, जिसमें लद्दाख को शामिल करने की मांग उठ रही है...

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छठी अनुसूची में संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत विशेष प्रावधान हैं. अभी असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों को छठी अनुसूची में शामिल किया गया है. 
 
इस अनुसूची के तहत असम, मेघालय, त्रिपुरा के जनजाति क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान किया गया है. राज्‍य के अंदर इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्‍वायत्‍ता दी जाती है. अनुसूची में राज्यपाल को स्वायत्त जिलों का गठन करने और पुनर्गठित करने का अधिकार भी दिया गया है.  

छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त प्रशासनि जिलों में  स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) का गठन किया जाता है. ADCs में पांच साल के लिए अधिकतम 30 सदस्य होते हैं. इन ADCs के पास भूमि, जंगल, ग्राम और शहर स्तर की पुलिसिंग, सामाजिक रीति-रिवाज, कृषि, ग्राम परिषद, स्वास्थ्य, स्वच्छता और खनन आदि से जुड़े कानून और नियम बनाने अधिकार होता है. इसके तहत किसी जिले में अलग-अलग जनजातियों के होने पर कई ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल बनाए जा सकते हैं. 

ऐसे में अगर लद्दाख के लोगों की मांग को मानते हुए उसे छठी अनुसूची में शामिल किया जाता है, तो स्थानीय स्तर पर बहुत से अधिकार अलग-अलग जनजातियों के पास होंगे. 
सोनम वांगचुक ने पिछले दिनों वीडियो जारी कर बताया था कि बीजेपी ने 2020 लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के लिए जारी घोषणा पत्र में छठी अनुसूची को शामिल किया था. इतना ही नहीं 2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने इसे अपने प्रमुख वादों में शामिल किया था. 

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क्या लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल कर सकता है केंद्र?

ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या केंद्र सरकार लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल शामिल कर सकती है? ऐसा करना थोड़ा मुश्किल है. दरअसल, संविधान की छठी अनुसूची पूर्वोत्तर के लिए है. हालांकि, केंद्र सरकार चाहे तो संविधान में संसोधन के लिए विधेयक ला सकती है. 
 

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