मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण (SIR) अब आखिरी सप्ताह में है. चार दिसंबर की डेडलाइन सिर पर है. ऊपर से अधिकारी, बीच में ऐप हैंग और नीचे लोग फॉर्म लेने को तैयार नहीं. इन सबके बीच बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) पिस रहे हैं. aajtak.in ने पांच राज्यों में वहां के बीएलओ के साथ पूरा दिन बिताया और उनके इस दबाव को जानने की कोशिश की.
तिरुवनंतपुरम: 6 बजे निकलते हैं, रात 8 बजे तक...
कट्टकडा में बूथ लेवल ऑफिसर 41 साल के सुजीद सुबह-सुबह उठे तो फॉर्म चेक कर रहे थे. चाय की चुस्कियां लेते हुए बोले, 'साइट बार-बार डाउन हो रही है, ग्रुप में सबको यही परेशानी है..
फिर इलेक्ट्रिक स्कूटर पर निकल पड़े. वैसे वो अनुसूचित जाति विकास विभाग में नौकरी करते हैं, अभी कट्टकडा के बूथ नंबर 74 के बीएलओ हैं.
सुजीद ने बताया, 'हमें दूसरे बूथों के वोटर भी डाल दिए गए हैं, इलाका नहीं पता. फॉर्म उस दिन मिले जिस दिन SIR शुरू हुआ, वो भी अधूरे. एक घर में सिर्फ एक-दो लोगों को ही दे पाते हैं. बूथ बहुत दूर हैं. ऊपर से अधिकारी दबाव डाल रहे हैं कि 100% दिखाओ, स्कैन करके साबित करो. सुबह 6 बजे निकलते हैं, रात 8 बजे तक भी काम पूरा नहीं होता. 3-4 बार हर घर जाना पड़ता है. मौसम खराब, लोग काम पर चले जाते हैं. साइट में गड़बड़ी है, ये हमारी गलती नहीं. ये मानसिक दबाव है.' बता दें कि कन्नूर में एक बीएलओ की आत्महत्या के बाद पूरा केरल सड़क पर है.
लखनऊ: सुबह 7 बजे से शाम 7 तक कैसे बीता समय
7 बजे: बीएलओ उधो श्याम के किराए के कमरे में पहुंचे. एक बेड, टेबल, गैस स्टोव. परिवार कौशांबी में, वो अकेले लखनऊ में. बोले, '4 दिसंबर डेडलाइन है, बहुत चैलेंजिंग है.'
7:30 बजे: बाइक पर इंटरव्यू में बोले, 'अगर थोड़ा टाइम बढ़ जाता तो अच्छा होता. SDM मनोज सिंह हौसला देते हैं, बाकी सिर्फ टारगेट पूछते हैं.'
8 बजे: स्कूल में वोटर इंतजार कर रहे थे.
9 बजे: नायब तहसीलदार अंकिता सिंह के साथ लालकुआं की गलियों में. OTP फ्रॉड की चेतावनी देते रहे.
10 बजे: असरीन बानो के घर पहुंचे. उन्होंने अपना फॉर्म नहीं भरा था, उधो श्याम खुद बैठकर भरने लगे.
11 बजे: साहू परिवार में चाय-पानी और घर जैसा स्वागत हुआ.
1 बजे: फातिमा का वोट पता बदलने से कट गया था.
3 बजे: एक घर में पांचवीं बार गए तो वहां 'घर में मिट्टी है' कहकर टाल दिया.
4 बजे: इस वक्त तक उन्होंने न लंच किया था, न चाय पी.
4:30 बजे: अरिहंत जैन के घर पहुंच गए.
5:30 बजे: BLO ऐप पर QR कोड से डाटा डाला.
7 बजे: 12 घंटे बाद कमरे पर लौटे और कहा, 'अब घर फोन करूंगा, पत्नी-बच्चों से बात करके दिमाग हल्का होगा.'
जयपुर: लोग गालियां देते हैं, अभद्रता करते हैं...
चांद बिहारी नगर में बीएलओ सुनीता नरुका तैनात हैं, उन्होंने बताया कि कुछ घरों में तीन-चार बार जाना पड़ता है. अधूरा फॉर्म थमा देते हैं. धमकियां मिलती हैं. काम छोड़ भी नहीं सकते.
साथ में गए उनके पति यशवंत सिंह राठौड़ बोले, 'लोग गालियां देते हैं, अभद्रता करते हैं.'
सेवानिवृत्त फौजी नरेंद्र सिंह ने कहा, 'ये काम आसान नहीं है. मैं आत्महत्या के सख्त खिलाफ हूं, लेकिन आसान नहीं है.'
रायपुर: फॉर्म लेने के लिए 5 किमी पैदल...
प्राइमरी टीचर महेंद्र कुमार यहां बीएलओ हैं. वो सुबह 5 किमी पैदल चलकर फॉर्म लेने गए. बोले, 'ऐप खुल ही नहीं रहा… बार-बार हैंग हो जाता है. स्कूल का टाइम मिस हो जाता है. बच्चे पूछते हैं कि सर कब आएंगे? घर के बच्चे भी नहीं मिलते. एक घर में बहू का नाम अभी यूपी में है. कई घरों में कोई जवाब ही नहीं मिलता.
महेंद्र ने अपील की है कि थोड़ा सहयोग कर दीजिए, फोन उठा लीजिए, फॉर्म ले लीजिए. आपका सहयोग होगा तो गलतियां कम होंगी और जो लोग दबाव में गलत कदम उठाते हैं, उनको बचा लेंगे.
कोलकाता: एक ही बिल्डिंग में तीन-चार बार चक्कर...
जादवपुर के प्रशांत चौधरी बताते हैं कि 20-25 दिन से छुट्टी नहीं मिली. एक ही बिल्डिंग में तीन-चार बार चक्कर लगाना पड़ता है. अपने लिए टाइम मुश्किल से मिलता है, लेकिन काम कर रहे हैं. भले ही चुनाव आयोग कहता है कि बीएलओ पर कोई दबाव नहीं है. पर जमीन पर यही सच है. 4 दिसंबर नजदीक है. बीएलओ अभी भी सड़कों पर हैं. जब आपके दरवाजे पर कोई बीएलओ आए तो बस दो मिनट दे दीजिए. उसकी जान बच जाएगी. आपका वोट भी सही रहेगा.
शिबिमोल / समर्थ श्रीवास्तव / देव अंकुर / सुमी राजाप्पन / अनिर्बन सिन्हा रॉय