चीन की तरफ से घुसपैठ के बाद 31 अगस्त को भारतीय सेना ने चीन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए जिस तरफ से न सिर्फ चीनी सेना को वापस धकेला बल्कि पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर कई ऊंचे पहाड़ों पर कब्जा भी जमा लिया. इस बड़े ऑपरेशन में भारतीय सेना के साथ-साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर रहने वाले गांव वालों ने भारतीय सेना की भरपूर मदद की.
इन दुर्गम इलाकों में हर एक पहाड़ी के चप्पे-चप्पे से वाकिफ गांव वालों ने सामान, राशन और दूसरी जरूरी चीजें कंधों पर उठाकर सेना के लिए इन पहाड़ों पर पहुंचा दिए. इलाके के लोगों ने सेना की मदद के लिए कोई मजदूरी लेने से भी इनकार किया और भारतीय सेना को भरोसा दिलाया कि चीन के खिलाफ किसी भी कार्रवाई में वह उनके साथ साथ खड़े रहेंगे.
दरअसल चीन की घुसपैठ से जितना नुकसान देश का हो रहा है उससे कहीं ज्यादा नुकसान यहां रहने वाली आबादी का हुआ है जो कई दशकों से जारी है. गांव वालों का मानना है कि जिन पहाड़ों पर उनके पूर्वज दशकों से अपनी माल मवेशी चराते आए हैं उन्हें वे कभी भी चीन के कब्जे में नहीं देखना चाहते. आम लोगों की तरफ से यह सहयोग मिलने के बाद भारतीय सेना का मनोबल भी काफी बड़ा है.
सेना प्रमुख ने बढ़ाया जवानों का हौसला
LAC पर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भारतीय सैनिकों का हौसला बढ़ाया है. आर्मी चीफ ने जवानों से कहा कि पूरा देश इस समय सेना की ओर देख रहा है, ऐसे में हर एक परिस्थितियो में जोश और देशभक्ति दोनों के साथ काम करने की जरूरत है.
बता दें कि जनरल नरवणे दो दिवसीय दौरे पर लद्दाख पहुंचे थे. दो और तीन सितंबर को वो लद्दाख सेक्टर में थे, जहां उन्होंने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तीन महीने से अधिक समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है.
अशरफ वानी