प्रख्यात लेखक और हाल ही में 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का मंगलवार को 89 वर्ष की आयु में रायपुर में निधन हो गया. उनके निधन की खबर से साहित्य और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाला उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि विनोद कुमार शुक्ल जी का साहित्य जगत में योगदान अमूल्य है और इस कठिन घड़ी में उनकी संवेदनाएं शोकाकुल परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है.
सीएम योगी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, 'ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित, प्रख्यात साहित्यकार श्री विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा शोक संतप्त परिजनों व उनके प्रशंसकों को यह अथाह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!'
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राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके अतुलनीय योगदान को समादर देते हुए उन्हें सम्पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दिए जाने का निर्णय लिया है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उन्हें राज्य का गौरव बताते हुए कहा, 'महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन एक बड़ी क्षति है. नौकर की कमीज, दीवार में एक खिड़की रहती थी जैसी चर्चित कृतियों से साधारण जीवन को गरिमा देने वाले विनोद जी छत्तीसगढ़ के गौरव के रूप में हमेशा हम सबके हृदय में विद्यमान रहेंगे. संवेदनाओं से परिपूर्ण उनकी रचनाएँ पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी. उनके परिजन एवं पाठकों-प्रशंसकों को हार्दिक संवेदना. ॐ शान्ति. '
उपन्यास पर बनी थी फिल्म
89 वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल का निधन रायपुर में बीमारी के कारण हुआ. वे छत्तीसगढ़ से ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले पहले साहित्यकार थे. उन्हें यह सम्मान इसी वर्ष 21 नवंबर को रायपुर स्थित उनके निवास पर प्रदान किया गया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान विनोद कुमार शुक्ल के परिजनों से बातचीत कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी भी ली थी. विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य में अपनी सरल, सूक्ष्म और भावप्रवण भाषा के लिए जाने जाते थे. उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर फिल्मकार मणि कौल ने फिल्म भी बनाई थी.
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