पाइप के रास्ते कैसे निकलेंगे 40 मजदूर? फोटोज से समझें, मलबा हटा रही अमेरिकी मशीन का Video भी आया

उत्तरकाशी की सुरंग में मजदूर इसके एंट्री प्वॉइंट से करीब 200 मीटर अंदर फंसे हैं. जहां मजदूर फंसे हैं, वहां ठीक उनके आगे 50 मीटर से ज्यादा मलबा है. रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किल इस बात की है कि टनल का ये हिस्सा बेहद कमजोर है, जैसे ही मजदूरों को निकालने के लिए मलबा निकालने की कोशिश होती है, मलबा फिर से टनल में गिर जाता है.

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उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूरों को बचाने की कवायद उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूरों को बचाने की कवायद

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:58 PM IST

बीते छह दिनों से उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला नहीं जा सका है. सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित तरीके से बाहर निकालने की कवायद तेज हो गई है. टनल में हेवी ड्रिलिंग मशीन से बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है. मौके पर तैनात पुलिस व आपदा मोचन बल पूरी तरह से अलर्ट है. 

उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी के निर्देशानुसार टनल के सेव पेच में पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, मेडिकल टीमों व अन्य आपदा मोचन बल मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने और जरूरत पड़ने पर मॉक ड्रिल करवाई जा रही है.

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उत्तरकाशी के एसपी ने बताया कि टनल में अत्याधुनिक मशीनों की मदद से ड्रिलिंग का काम तेजी से हो रहा है. टनल में फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं. उन्हें समय-समय पर पानी और ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. उनका मनोबल बनाए रखने के लिए परिजनों से लगातार बातचीत करवाई जा रही है. पुलिस हेल्प डेस्क से भी परिजनों से संपर्क साधकर पल-पल की अपडेट दी जी गही है.

मौजूदा स्थल पर पुलिस, एनडीआरएप, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और अन्य आपदामोचन बलों की टुकडियां 24 घंटे मुस्तैद हैं. किसी भी आपात स्थिति में त्वरित रेस्क्यू सेवाएं दी जाएगी. 

सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए पुलिस और आपदा मोचन बल ने बकायदा मॉक ड्रिल भी की. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस तरह से इस बचाव कार्य को अंजाम दिया जाएगा. मजदूरों तक पहुंचने के बाद उन्हें स्ट्रैक्चर पर लेटाकर बाहर निकाला जाएगा. 
 

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200 मीटर अंदर फंसे हैं मजदूर

मजदूर सुरंग के एंट्री प्वॉइंट से करीब 200 मीटर अंदर फंसे हैं. जहां मजदूर फंसे हैं, वहां ठीक उनके आगे 50 मीटर से ज्यादा मलबा है. रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किल इस बात की है कि टनल का ये हिस्सा बेहद कमजोर है. जैसे ही मजदूरों को निकालने के लिए मलबा निकालने की कोशिश होती है, मलबा फिर से टनल में गिर जाता है. अब इस 50 मीटर से भी ज्यादा लंबे मलबे के बीच 800 और 900 मिलीमीटर चौड़े स्टील पाइप डाले जा रहे हैं. कोशिश है कि मलबे के आर-पार स्टील पाइप डालकर अंदर से एक-एक करके मजदूरों को निकाला जा सके.

उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला ने बताया कि अधिकारी फंसे हुए श्रमिकों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं और उनसे धैर्य नहीं खोने के लिए कह रहे हैं. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इंदौर में होने के बावजूद सिल्क्यारा में बचाव अभियान की लगातार निगरानी कर रहे हैं.

भोजन और दवाओं की सप्लाई

ये मजदूर सुरंग में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को भोजन और दवाओं की आपूर्ति की जा रही है. रेस्क्यू दल श्रमिकों के साथ नियमित बातचीत कर रहा है, ताकि मजदूरों में जिंदा रहने की आशा बनी रहे. दूसरी ओर मजदूरों को निकालने के लिए पास बनाने का प्रयास भी जारी है. इसके लिए वायुसेना के तीन परिवहन विमानों से एक के जरिए भारी ड्रिलिंग मशीन को दिल्ली से एयरलिफ्ट किया गया.

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छह दिनों से जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन

ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बन रही है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इन्हें निकलने के लिए पांच दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है. लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली. उधर, कुछ मजदूरों ने सुरंग के पास विरोध प्रदर्शन भी किया और रेस्क्यू के धीरे होने का आरोप लगाया.

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