उत्तराखंड के उत्तर काशी में 41 जिंदगियों को बचाने की जद्दोजहद अब अंतिम पड़ाव में है. टनल में खुदाई कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन फिर से शुरू हो गई. एनडीआरएफ के डीजी अतुल करवाल ने कहा कि उम्मीद है कि अगर कोई बाधा नहीं मिली, तो आज रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो सकता है. दरअसल, रेस्क्यू में जुटी टीमों को सुबह ही कामयाबी मिल सकती थी, लेकिन अमेरिकी ऑगर मशीन में खराबी आ गई थी. इसे ठीक करने के लिए दिल्ली से हेलिकॉप्टर के जरिए 7 एक्सपर्ट बुलाए गए थे.
सिल्कयारा में सुरंग ढहने वाले मजदूरों के बाहर आने के बाद की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. अंदर फंसे मजदूरों के बाहर आते ही सबसे पहले मेडिकल चेकअप किया जाएगा. उसके बाद बाकी की प्रोसेस की जाएगी. यहां टनल में 12 नवंबर से मजदूर फंसे हुए हैं. बचावकर्मियों ने मलबे के बीच 45 मीटर तक चौड़े पाइप सफलतापूर्वक डाल दिए हैं. अब सिर्फ कुछ मीटर की दूरी तय करना बाकी है. उसके बाद मजदूरों तक बचाव कर्मी पहुंच जाएंगे और उन्हें पाइप के जरिए बाहर लेकर आएंगे. मजदूरों तक पहुंचने के लिए बचावकर्मियों को कुल मिलाकर करीब 57 मीटर तक ड्रिलिंग करनी पड़ी. मलबे में 39 मीटर तक स्टील पाइप डाले गए हैं.
सुरंग में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू में जुटी एनडीआरएफ के डीजी अतुल करवाल ने कहा, ऑगर मशीन ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है. हम 6 मीटर के 2-3 पाइप अंदर भेजने का अनुमान लगा रहे हैं. उम्मीद है कि दिन के अंत तक अगर हमें कोई बाधा नहीं मिली तो बचाव अभियान पूरा हो जाएगा.
चीर-फाड़ के पहाड़, मजदूरों को निकाल लाएगी बाहर... क्या चीज है ये मजदूरों की संजीवनी 'ऑगर'?
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी रेस्क्यू अभियान का जायजा लेने उत्तरकाशी पहुंचे. उन्होंने कहा, टनल से मजदूरों का रेस्क्यू आखिरी चरण में है.
PMO के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि ड्रिलिंग में अड़चन पैदा कर रही लोहे की दीवार को गिरा दिया गया है. इसमें 6 घंटे का समय लगा. ऑगर मशीन में कोई बड़ी समस्या नहीं है, उसे असेंबल किया जा रहा है. असेंबलिंग के बाद मशीन फिर से काम करने लगेगी. खुदाई के दौरान कंपन की निगरानी करने के लिए रूड़की से एक्सपर्ट्स बुलाए गए हैं.
ड्रिलिंग के बीच में जो लोहे की चीजें आ रही थीं, उन्हें हटा दिया गया है. अब कुल 12 मीटर की खुदाई होनी बाकी है. हालांकि, ऑगर मशीन फिलहाल शुरू नहीं हो सकी है, लेकिन एक्सपर्ट्स के पहुंचने के बाद जल्द ही उसके शुरू होने की उम्मीद है. आगे की चट्टानों में ड्रिलिंग ज्यादा कठिन नहीं है.
टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स का कहना है,'ऐसा लग रहा है कि जैसे हम दरवाजे पर खड़े होकर उस पर दस्तक दे रहे हैं. हम जानते हैं कि लोग दूसरी तरफ हैं.' अर्नोल्ड ने आगे कहा कि वह देखेंगे कि वहां क्या हो रहा है.
उत्तरकाशी सुरंग में राहत बचाव कार्य का आज 12वां दिन हैं. अब सिर्फ 6-8 मीटर का दायरा ड्रिलिंग के लिए बाकी है. लेकिन ऑगर मशीन में कुछ खराबी के चलते उसे बंद कर दिया गया है. दिल्ली से 7 एक्सपर्ट हेलिकॉप्टर से उत्तरकाशी पहुंच रहे हैं. ऑगर मशीन में खराबी को ठीक करने के लिए हेलिकॉप्टर से एक और मशीन लाई गई है.
दिल्ली से कुछ तकनीकी विशेषज्ञों को बुलवाया गया जो कि हेलिकॉप्टर से सिल्क्यारा टनल पंहुचेंगे.
सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. जल्द ही अंदर फंसे श्रमिकों को बाहर आने की उम्मीद की जा रही है.
बचाव अभियान टीम के सदस्य गिरीश सिंह रावत ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन अपने अंतिम चरण में है. अगले एक से दो घंटे में मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि मजदूरों को निकालने के लिए पाइपलाइन डाली जा रही है.मलबे में फंसे स्टील के टुकड़ों को काटकर हटा दिया गया है .
जोजिला टनल के परियोजना प्रमुख और बचाव दल के सदस्यों में से एक हरपाल सिंह ने बताया कि बचाव अभियान गुरुवार सुबह 8 बजे तक खत्म हो सकता है. पाइप 44 मीटर तक कवर हो चुका है. अभी भी 12 मीटर और जाना बाकी है. उन्होंने आगे कहा, अभी एकमात्र बाधा यह है कि मलबे में स्टील के कुछ टुकड़े आ गए हैं, इसलिए अभी स्टील पाइप काटे जा रहे हैं. उन्होंने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि स्टील के टुकड़े एक घंटे के भीतर काटे जा सकते हैं. अगले 5 घंटे में दो पाइप डाले जा सकते हैं. बचाव अभियान सुबह 8 बजे तक खत्म हो सकता है.
देर रात खबर आई है कि टनल में लोहे का एक स्ट्रक्चर रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा बन गया है. इसी वजह से अभियान में देरी हो रही है. NDRF की 21 सदस्यीय टीम ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर टनल में गई हैं. उनके पास स्ट्रेचर्स भी हैं और जरूरी उपकरण भी लिए हैं. इस लोहे की संरचना को हटाने के लिए गैस कटर का उपयोग किया जा रहा है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान इसे काटने की कोशिश कर रहे हैं.
इससे पहले ऑगर मशीन के किसी कठोर वस्तु से टकराने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी. ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर से शुरू होने से बचाव प्रयासों में तेजी आने की उम्मीद है. जैसे ही मजदूर पाइप के अंदर रेंगकर बाहर निकलेंगे तो उनके लिए जरूरी स्वास्थ्य व्यवस्था कर दी गई है. यहां सोमवार को छह इंच का एक पाइपलाइन 57 मीटर तक डाल दिया था. दो दिन से इसी पाइप के जरिए ही मजदूरों को भोजन और अन्य आवश्यक चीजें पहुंचाई जा रही हैं.
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग में चल रहे बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली. उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की. पीएम मोदी ने मजदूरों को भोजन, जरूरी चीजों और दवाओं के बारे में जानकारी ली. वहीं, मंगलवार को इस नई पाइपलाइन और मलबे के पार भेजे गए एक एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के जरिए मजदूरों की तस्वीरें कैद हुईं. उनसे सीधे बातचीत हुई और हाल-चाल जाना.