उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल तेली के मर्डर पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज रोकने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जयमाल्य बागची की बेंच के समक्ष वकील की ओर से दलील दी गई कि फिल्म 11जुलाई को रिलीज हो रही है. फिल्म में सिर्फ पुलिस के पक्ष को दिखाया गया है. इससे उसका ट्रायल प्रभावित होगा. हालांकि, फिल्म के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दाखिल याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की.
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह फिल्म सामाजिक अस्थिरता और सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देती है. सुनवाई चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की खंडपीठ के समक्ष हुई.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार सभी को है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई फिल्म हिंसा को बढ़ावा देने वाली हो या किसी समुदाय को बदनाम करने का माध्यम बने. उन्होंने कहा कि सीबीएफसी द्वारा मंजूरी देने के बाद भी ट्रेलर को हटाया क्यों नहीं गया.
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आपत्तियां के बाद फिल्म में किए गए 13 से 14 कट्स
सीबीएफसी के वकील ने कोर्ट को बताया कि ट्रेलर और फिल्म के कुछ हिस्सों पर आपत्तियां मिलने के बाद पहले ही 13 से 14 कट्स के निर्देश दिए गए हैं और उन पर कार्रवाई हो चुकी है. उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म प्रमाणन बोर्ड ट्रेलर और फिल्म की पुनः जांच करने को तैयार है.
फिल्म निर्माता की ओर से बताया गया कि उन्हें 1 जुलाई को आपत्तियां प्राप्त हुई थीं और उन्होंने तुरंत ट्रेलर को अपनी साइट से हटा लिया था. इस पर सिब्बल ने कहा कि ट्रेलर अभी भी सोशल मीडिया और गूगल पर मौजूद है जिससे नुकसान हो चुका है.
कोर्ट ने फिल्म की स्क्रीनिंग का आदेश दिया, ताकि हो सके जांच
कोर्ट ने कहा कि इससे पहले कि कोई निर्णय लिया जाए, फिल्म की एक स्क्रीनिंग आयोजित की जाए ताकि याचिकाकर्ता और उनके वकील फिल्म को देखकर तय कर सकें कि वह आपत्तिजनक है या नहीं. कोर्ट ने मजाकिया लहजे में कहा कि “आप सिब्बल का समय बर्बाद कर रहे हैं, क्या आपको उनकी फीस का अंदाजा है?”
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फिल्म में आपत्तियों को लेकर अब कल सुनवाई
फिलहाल कोर्ट ने निर्देश दिया है कि निर्माता याचिकाकर्ता के वकीलों के सामने फिल्म की स्क्रीनिंग की व्यवस्था करें. अब इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी जब फिल्म देखे जाने के बाद पक्षों की ओर से राय रखी जाएगी. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि फिल्म में कुछ आपत्तिजनक पाया गया, तो याचिकाकर्ता को चुनौती देने का अधिकार बना रहेगा.
संजय शर्मा