कसाब को फांसी से लेकर तहव्वुर राणा की NIA कस्टडी तक... जानें 26/11 मुंबई अटैक केस में अब तक क्या कुछ हुआ

2008 मुंबई अटैक भारत के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हमला माना जाता है. इस हमले के पीछे की गहरी साजिश में कई नाम सामने आए, जिनमें से एक प्रमुख नाम था तहव्वुर हुसैन राणा. अब, करीब 17 साल बाद भारत उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित कर लाया है. इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने आरोपी को 18 दिन की NIA कस्टडी में भेज दिया है.

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तहव्वुर राणा NIA कस्टडी में है, जबकि कसाब को 2012 में फांसी दी गई थी तहव्वुर राणा NIA कस्टडी में है, जबकि कसाब को 2012 में फांसी दी गई थी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST

26 नवंबर 2008 की वह भयावह रात भारत कभी नहीं भूल सकता, जब 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई को दहला दिया था. आतंकियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST), ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस (यहूदी केंद्र), कैफे लियोपोल्ड सहित कई जगहों को निशाना बनाया. 60 घंटे चले इस हमले में 166 लोग मारे गए और 238 से ज्यादा लोग घायल हुए. यह भारत के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हमला माना जाता है.

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इस हमले के पीछे की गहरी साजिश में कई नाम सामने आए, जिनमें से एक प्रमुख नाम था तहव्वुर हुसैन राणा. अब, करीब 17 साल बाद भारत उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित कर लाया है. इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने आरोपी को 18 दिन की NIA कस्टडी में भेज दिया है. जांच एजेंसी आज शुक्रवार से आतंकी राणा से पूछताछ करेगी और मुंबई हमले की साजिश के पीछे के चेहरों को बेनकाब करेगी.

आइए जानते हैं इस केस से जुड़ी पूरी टाइमलाइन:

-26-27 नवंबर की रात हमले के दौरान मुंबई पुलिस ने आतंकियों में से एक अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया. कसाब की गिरफ्तारी से पाकिस्तान का सीधा संबंध साबित हुआ और इससे जांच एजेंसियों को हमले के मास्टरमाइंड्स तक पहुंचने का रास्ता मिला.

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-13 जनवरी 2009 को महाराष्ट्र सरकार ने केस की सुनवाई के लिए विशेष अदालत का गठन किया और न्यायाधीश एम.एल. तहलियानी को नियुक्त किया गया. 

-16 जनवरी 2009 को कसाब को आर्थर रोड जेल में रखा गया और वहीं पर विशेष कोर्ट की व्यवस्था की गई ताकि सुरक्षा पुख्ता बनी रहे.

-25 फरवरी 2009 को मुंबई पुलिस ने केस में पहली चार्जशीट दाखिल की, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा, पाकिस्तानी साजिश, आतंकियों की पहचान और हेडली-राणा जैसे विदेशियों की भूमिका का जिक्र था.

-अक्टूबर 2009 में अमेरिका में स्थित FBI ने शिकागो से तहव्वुर हुसैन राणा को गिरफ्तार किया. इसी महीने, डेविड कोलमैन हेडली, जो कि हमले की रैकी कर चुका था, उसे भी अमेरिका में गिरफ्तार किया गया. हेडली ने बाद में यह कबूल किया कि उसने भारत में जगह-जगह की जासूसी की थी और हमले के लिए जानकारी जुटाई थी. राणा, उसका करीबी और लॉजिस्टिक मदद देने वाला व्यक्ति था.

-11 नवंबर 2009 को भारत की NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने दिल्ली में राणा, हेडली और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया और बाद में चार्जशीट तैयार की.

-6 मई 2010 को मुंबई की विशेष अदालत ने कसाब को मौत की सज़ा सुनाई. साथ ही, भारतीय आरोपी फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया.

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-9 जनवरी 2011 को अमेरिका की एक कोर्ट ने तहव्वुर राणा को 14 साल की जेल की सजा सुनाई. उस पर डेनमार्क स्थित अखबार ‘जिल्लैंड्स-पोस्टन’ पर हमले की साजिश और लश्कर-ए-तैयबा की सहायता करने का आरोप सिद्ध हुआ, हालांकि उसे 26/11 हमलों से संबंधित आरोपों से अमेरिका में दोषी नहीं ठहराया गया था.

-21 फरवरी 2011 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कसाब की सजा को बरकरार रखा और अन्य दो भारतीय आरोपियों की रिहाई को सही ठहराया.

-24 दिसंबर 2011 को NIA ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में तहव्वुर राणा के खिलाफ चार्जशीट दायर की और उसके प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका को आधिकारिक अनुरोध भेजा.

-29 अगस्त 2012 को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कसाब की मौत की सजा को सही ठहराया. इसके बाद कसाब ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी.

-नवंबर 2012 में राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका खारिज कर दी और 21 नवंबर 2012 को, कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई. यह पूरे देश के लिए इंसाफ की प्रतीकात्मक जीत थी. इसके बाद भारत सरकार ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की दिशा में काम तेज किया.

-21 जनवरी 2025 को अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका को सुनवाई से इनकार कर दिया, जिससे उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया का रास्ता साफ हुआ.

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-13 फरवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत दौरे के दौरान PM नरेंद्र मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह ऐलान किया कि अमेरिका ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. ट्रंप ने राणा को दुनिया के सबसे खतरनाक और शैतानी साजिशकर्ताओं में से एक बताया.

-27 फरवरी 2025 को राणा ने आखिरी कोशिश करते हुए US सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एलेना कगन के सामने एक इमरजेंसी स्टे एप्लिकेशन दाखिल की, जिसे मार्च में खारिज कर दिया गया. इसके बाद उसने वही याचिका चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स के सामने पेश की.

-7 अप्रैल 2025 को US सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी और राणा के प्रत्यर्पण का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया.

-10 अप्रैल 2025 को भारत की NIA और NSG की टीम राणा को लॉस एंजेलेस से विशेष विमान द्वारा दिल्ली लेकर आई. उसे IGI एयरपोर्ट पर औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया.

-11 अप्रैल 2025 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने राणा को 18 दिन की NIA कस्टडी में भेज दिया. उसे अब दिल्ली के CGO कॉम्प्लेक्स स्थित NIA मुख्यालय में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है, जहां उससे 26/11 हमले से जुड़ी साजिश, हेडली से संबंध, और पाकिस्तानी एजेंसियों की भूमिका को लेकर गहन पूछताछ की जाएगी.

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