तरुण तेजपाल इसलिए हो गए रेप केस से बरी, CCTV फुटेज में फेल हो गई लिफ्ट की कहानी

अभियोक्ता ने इस मामले में शुरुआत में कहा था कि दो मिनट तक लिफ्ट लगातार ऊपर से नीचे आती जाती रही. इस दौरान तेजपाल ने उसके साथ रेप किया. उसका कहना कि लिफ्ट को लगातार चलाना जारी रखा गया जिससे लिफ्ट के दरवाजे खुल ना सकें.

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तरुण तेजपाल. (फाइल फोटो) तरुण तेजपाल. (फाइल फोटो)

नलिनी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2021,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST
  • साथी महिला पत्रकार ने लगाया था तरुण पर रेप का आरोप
  • गोवा की सेशन कोर्ट का फैसला
  • रेप केस में तरुण तेजपाल 8 साल बाद बरी

गोवा के ग्रैंड हयात होटल के सीसीटीवी फुटेज ने रेप के मामले तरुण तेजपाल के बरी होने में अहम भूमिका निभाई. जज क्षमा एम. जोशी ने अपराध स्थल के सीसीटीवी फुटेज पर काफी भरोसा किया है. वो लिफ्ट जिसमें रेप की घटना होने की बात कही गई थी और अभियोक्ता पक्ष के बयान के जरिए घटनाक्रम की सही कड़ी के बारे में पता लगाने की कोशिश की गई.

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अभियोक्ता ने इस मामले में शुरुआत में कहा था कि दो मिनट तक लिफ्ट लगातार ऊपर से नीचे आती-जाती रही. इस दौरान तेजपाल ने उसके साथ रेप किया. उसका कहना कि लिफ्ट को लगातार चलाना जारी रखा गया जिससे लिफ्ट के दरवाजे खुल ना सकें. बाद में अभियोक्ता ने अपना बयान बदल दिया और कहा कि तेजपाल ने लगातार लिफ्ट की एक बटन पर हाथ रख रखा था जिससे लिफ्ट के दरवाजे खुल ना सकें.

हालांकि जज जोशी ने अपने फैसले के पैराग्राफ 248 में इस बात को उल्लेखित किया कि जिस लिफ्ट के बारे में बात की जा रही है, वो सीसीटीवी फुटेज में सात नवंबर 2103 को साफ तौर पर ग्राउंड फ्लोर पर उसके दरवाजे दो बार खुलते नजर आए. इस मामले के फैसले में जांच अधिकारी और पुलिस को भी अहम सबूत मिटाने को लेकर कठघरे  में खड़ा किया गया है.

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जज ने आगे कहा कि जांच अधिकारी द्वारा पहली मंजिल के गेस्ट लिफ्टों के सीसीटीवी फुटेज को नष्ट कर दिया गया, इसलिए यह नहीं पता चल पाया कि पहली मंजिल पर लिफ्ट कितनी बार खुली.  हालांकि यह आरोपित का मामला है कि आरोपी और अभियोक्ता पहली मंजिल पर बाहर निकले और फिर पहली मंजिल पर (लिफ्ट) के अंदर जाते दिखे.

जज ने अभियोक्ता की गवाही पर भी संदेह जताया. जज ने कहा कि अभियोक्ता यह बताने में असमर्थ थीं कि आरोपित ने घटना के दौरान लिफ्ट की कौन सी बटन को दबाए रखा था.जज ने कहा कि अभियोक्ता का यह नहीं बता पाना संदेह पैदा करता है. गोवा कोर्ट ने ग्रैंड हयात होटल के कई स्टाफ सदस्यों और लिफ्ट का इस्तेमाल और जांच करने वाले व्यक्तियों की गवाही को भी ध्यान में रखा.

फैसले में कहा गया है कि सीसीटीवी फुटेज के महत्व को पहली बार 23 नवंबर, 2013 को दिल्ली में तेजपाल ने बताया था, जिस दिन इस मामले में पहली बार प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सीसीटीवी फुटेज की सामग्री खुद मुकदमेबाजी का विषय बन गई थी जब तेजपाल को उच्चतम न्यायालय तक जाने के लिए मजबूर किया गया था कि सीसीटीवी फुटेज की प्रतियां उन्हें दी जाएं.

क्या था आरोप

तरुण तेजपाल पर साथी महिला पत्रकार ने आरोप लगाया था कि गोवा में तहलका का एक इवेंट था, उस रात जब वह एक गेस्ट को उसके कमरे तक छोड़ कर वापस लौट रही थीं, तो इसी होटल के ब्लॉक 7 के एक लिफ्ट के सामने उसे उसके बॉस तरुण तेजपाल मिल गए. तेजपाल ने गेस्ट को दोबारा जगाने की बात कह अचानक उसे वापस उसी लिफ्ट के अंदर खींच लिया.

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