टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अधिग्रहित जमीन के मुआवजे से विकास शुल्क काटने को लेकर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने पनबिजली परियोजना के लिए किसान की जमीन अधिग्रहित करने और उसे दूसरे स्थान पर विकसित जमीन देने के साथ मुआवजे की राशि से विकास शुल्क काट लेने पर कड़ा रुख अख्तियार किया है.
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे टिहरी कॉर्पोरेशन को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने टिहरी कॉर्पोरेशन की याचिका खारिज कर दी है. मामले की सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत जारी राशि में केवल वैधानिक कटौती की जा सकती है. राज्य सरकार यह नहीं कह सकती है कि उसकी अपनी नीति है और इस प्रकार मुआवजा कम होगा, सुप्रीम कोर्ट ने मुआजवा तय किया हुआ है.
कोर्ट ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि 4500 परिवारों को पुनर्वास के लिए मुआवजा दिया जाएगा. उन्हें विकसित जमीनें दी गईं और फिर विकास शुल्क उनके मुआवजे से काट लिया जाएगा. कोर्ट ने पूछा कि आपने किस नियम के तहत मुआवजे में से कटौती की है. आप इस बात को लेकर बहस नहीं कर सकते कि इसे लेकर कोई नीति है. यह असंवैधानिक है. कोई राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण के बदले में दिए गए मुआवजे से कटौती कैसे कर सकती है?
इसपर एएसजी ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में इस नीति का जिक्र है. हमें एक सप्ताह का समय दीजिए हम यह नीति रिकॉर्ड में लाएंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप हाईकोर्ट में इस नीति को रिकॉर्ड में कभी नहीं लेकर आए. सीजेआई ने इतना कहकर याचिक खारिज कर दी.
अनीषा माथुर / संजय शर्मा