तमिलनाडु के कृष्णानगर जिले की मरंदपल्ली पंचायत में एक गांव पड़ता है. नाम है ओंदियुर. महज 50 परिवारों वाला ये गांव जंगल के काफी करीब है. 1989 में इस गांव को चिन्नारू से ओंदियुर शिफ्ट कर दिया गया था क्योंकि वहां एक डैम बनाया जाना था.
ओंदियुर में रहने वाले ग्रामीण दशकों से एक संकरे रास्ते से ही आना-जाना कर रहे हैं. ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि सालों से अधिकारियों को यहां सड़क बनाने की अर्जी दी जा रही है, लेकिन अधिकारी उनकी अर्जियों पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं. सबसे बड़ी दिक्कत तब आती है जब किसी गर्भवती महिला या बुजुर्ग को अस्पताल ले जाना पड़ता है.
ग्रामीणों ने कई बार धमकी भी दी कि अगर गांव में सड़क नहीं बनी तो वो चुनाव में वोट नहीं डालेंगे. लेकिन चुनाव अधिकारियों ने उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए मना लिया. ग्रामीणों ने दावा किया है कि हाल ही में एक तेंदुआ उनके गांव में घुस आया और एक बच्चे को उठाकर ले गया, लेकिन सड़क नहीं होने के कारण रात के वक्त वो बच्चे को ढूंढने नहीं जा सके और अगले दिन बच्चे का सिर और हड्डियां ही मिलीं.
आखिरकार थक-हारकर ग्रामीणों ने अपने खर्चे से ही सड़क बनाने का फैसला लिया. इसके लिए ग्रामीणों ने हर घर से पैसा इकट्ठा किया और करीब 1.5 लाख रुपये जुटाए. इस पैसों से उन्होंने एक रोड मूवर्स को किराए पर लिया, जमीन समतल की और एक चौड़ा कच्चा रास्ता बना दिया. हालांकि, ये डामर की सड़क नहीं है इसलिए ग्रामीणों को बारिश में इसकी हालत खराब होने का डर है. उन्होंने राज्य सरकार से गांव में डामर की सड़क बनाने का अनुरोध किया है.
प्रमोद माधव