तमिलनाडु में बढ़ी साइबर फ्रॉड की घटना, जालसाजों ने जनवरी से सितंबर तक लगाया 1000 करोड़ से अधिक का चूना

तमिलनाडु में साइबर फाइनेंशियल धोखाधड़ी के कारण जनवरी से सितंबर 2024 तक 1,116 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. राज्य की साइबर अपराध पुलिस ने यह जानकारी दी है. यह चौंकाने वाला आंकड़ा क्षेत्र में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को बताता है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

शिल्पा नायर

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 5:43 AM IST

तमिलनाडु में साइबर फाइनेंशियल धोखाधड़ी के कारण जनवरी से सितंबर 2024 तक 1,116 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. राज्य की साइबर अपराध पुलिस ने यह जानकारी दी है. यह चौंकाने वाला आंकड़ा क्षेत्र में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को बताता है. साइबर पुलिस का कहना है कि इस तरह की घटनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और तुरंत रिपोर्ट करने की आवश्यकता है. साइबर अपराध शाखा ने इस तरह के नुकसानों को कम करने के लिए कई जरूरी प्रयास किए हैं. 

साइबर पुलिस ने 526 करोड़ रुपये फ्रीज किए
साइबर पुलिस ने ऑटोमेटिक और मैन्युअल उपायों की मदद से 526 करोड़ रुपये फ्रीज किया है. इसके अतिरिक्त, अधिकारियों ने 48 करोड़ रुपये वापस प्राप्त किए हैं, जिन्हें इन धोखाधड़ी के पीड़ितों को वापस कर दिया गया है. इस अवधि के दौरान कुल 91,161 शिकायतें दर्ज की गई हैं. 

साइबर अपराध शाखा ने फ़िशिंग, केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) धोखाधड़ी और डिजिटल गिरफ़्तारी सहित विभिन्न प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी की पहचान की है. पुलिस ने इस तरह की घटनाओं को जल्दी रिपोर्ट करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि तुरंत कार्रवाई से खोए हुए पैसे की वसूली की संभावना काफी बढ़ सकती है. 

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तमिलनाडु साइबर अपराध शाखा के एक प्रतिनिधि ने चेतावनी देते हुए कहा, 'जब शिकायत बहुत पुरानी हो जाती है तो कोई नतीजा नहीं निकल सकता है.' उन्होंने पीड़ितों से घटना घटते ही इसकी रिपोर्ट करने का आग्रह किया.

रिपोर्ट करने की सुविधा के लिए, पुलिस नागरिकों को आधिकारिक साइबर अपराध सरकारी पोर्टल [www.cybercrime.gov.in](http://www.cybercrime.gov.in) के माध्यम से या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके अपनी शिकायतें दर्ज करने की सुविधा देती है.

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट, कैसे करते हैं ठगी? 
डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है. इसमें धोखेबाज ऑडियो या वीडियो कॉल करते हैं. खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारी के तौर पर पेश करते हैं. उन्हें केस से मुक्ति दिलाने के नाम पर वसूली करते हैं. ताजा मामले में गिरोह के एक ठग ने 1 सितंबर को आरआरसीएटी में वैज्ञानिक को फोन किया और ट्राई का अधिकारी बनकर लाखों का चूना लगा दिया. ये घटना तमिलनाडु से बाहर की है.

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