आईडीबीआई ने एमटेक ऑटो लिमिटेड के पूर्व निदेशकों को 12000 करोड़ रुपये के लोन की हेराफेरी के मामले में फ्रॉड घोषित कर दिया है. इसकी जानकारी सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय को दी है. हालांकि बैंक ने कंपनी को फ्रॉड घोषित नहीं किया है.
इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने सितंबर में नोटिस जारी किया था. इसके जवाब में सीबीआई ने हलफनामे के माध्यम से इसकी जानकारी दी है. याचिकाकर्ता ने जय अनंत देहद्राई के माध्यम से दायर याचिका में एमटेक ऑटो के पूर्व प्रमोटरों, प्रमुख-लाभार्थियों, निदेशकों, बेनामीदारों और बैंकरों के खिलाफ जांच की मांग की है.
सीबीआई ने कहा है कि उसने 19 बैंकों से संपर्क किया, जिन्होंने एमटेक को क्रेडिट सुविधाएं प्रदान की थीं. एमटेक के खाते को फ्रॉड घोषित करने की स्थिति में सीबीआई के पास शिकायत दर्ज करने की मांग की.
हालांकि इनमें से सिर्फ 5 बैंकों ने जवाब दिया है. जिनमें से बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पीएनबी, एसबीआई और आईएफसीआई लिमिटेड ने एमटेक के खाते को धोखाधड़ी घोषित नहीं किया है. अन्य 14 बैंकों ने अभी सीबीआई को जवाब नहीं दिया है.
क्या था आईडीबीआई का जवाब?
सीबीआई के हलफनामे के अनुसार, आईडीबीआई बैंक ने सीबीआई को सूचित किया कि वह कंपनी के पूर्व प्रमोटर/निदेशकों के खिलाफ शिकायत को अंतिम रूप देने और दर्ज करने की प्रक्रिया में है. हालांकि कंपनी एमटेक ऑटो लिमिटेड को फ्रॉड घोषित नहीं किया गया है. सीबीआई ने अब आईडीबीआई बैंक को अपनी शिकायत में आवश्यक तथ्यों के साथ वापस जाने के लिए कहा है ताकि सीबीआई एफआईआर दर्ज कर सके.
सृष्टि ओझा