विवादित कार्टून मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई करते हुए मंगलवार 15 जुलाई को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने हेमंत मालवीय की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है. साथ ही इस मामले की सुनवाई को अब 15 अगस्त के बाद तक के लिए टाल दिया है. हालांकि, कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी के दुरुपयोग पर गहरी चिंता जताई और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री को नियंत्रित करने की जरूरत पर जोर दिया.
पीठ ने कहा कि लोग अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी लिखने रचना करने में लगे हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या ऐसी भाषा पर नियंत्रण नहीं होना चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने जो पोस्ट हैं उनमें से एक बहुत ही आपत्तिजनक है और कई दंडात्मक कानूनों को आकर्षित करती है. सभी प्रकार की पोस्ट बनाई जा रही हैं. शो आदि में वे जिस भाषा का इस्तेमाल करते हैं. किसी को भी कुछ भी कह दो आप? कोई मुझसे कह रहा है अरे सब लोग सोशल मीडिया पर कुछ भी कह कर हीरो बनना चाहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा कोई अन्य आपत्तिजनक पोस्ट किया जाता है तो प्रतिवादी को कानून के अनुसार कार्यवाही शुरू करने की स्वतंत्रता है.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया कि सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने आरोप लगाया है कि याचिकाकर्ता द्वारा एक्स पर डाली गई पोस्ट घटना के बाद आई हैं.
'मैंने बनाया था कार्टून'
अदालत ने कार्टूनिस्ट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि मैंने वो कार्टून 2020 में बनाया था. किसी और ने सोशल मीडिया से मेरा कार्टून उठाकर उसमें कुछ ऐसा जोड़ दिया जो अब FIR का विषय है. क्या किसी की आलोचनात्मक मानसिकता नहीं हो सकती? क्या कोई सरकार की आलोचना नहीं कर सकता? अगर उसका नज़रिया सरकार से मेल नहीं खाता!
ASG नटराज ने कहा कि किसी को भी अपनी राय और विचार व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन इस तरह से नहीं कि वह अपराध की श्रेणी में आता हो. वे बार-बार बयान नहीं दोहरा सकते.
इस पर ग्रोवर ने कहा कि हमने अपने ट्वीट से कार्टून नहीं हटाया, क्योंकि मुझे कल अदालत से अनुमति नहीं मिली थी. अगर हम इसे हटा देते हैं तो आप कहेंगे कि हमने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है. माफी ईमानदारी से मांगी गई है. अन्य पीठों ने भी भाईचारे की बात की है, लेकिन इस देश में सभी पर यह आदेश नहीं लगाया जा सकता कि वे कभी भी सत्ताधारी पार्टी की आलोचना न करें.
ग्रोवर ने दलील दी कि कार्टून को अदालत के समक्ष इसलिए रखा जा रहा है, ताकि अदालत को प्रभावित किया जा सके! अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत यह मेरा अधिकार है. ये खराब भाषा है. मैं इससे इनकार नहीं कर रहा, लेकिन अदालत को ये देखना होगा कि क्या यह आपराधिक या गैरकानूनी भाषा है? उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण होना चाहिए, लेकिन सोशल मीडिया नियंत्रण से बाहर है.
'खास तरीके से हो रहा है सोशल मीडिया का इस्तेमाल'
इस पर एएसजी नटराज ने कहा कि हम सत्ताधारी पार्टी के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं. आजकल सोशल मीडिया पर भाषा का इस्तेमाल एक खास तरीके से किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर किसी अभिव्यक्ति का तरीका और अखबार में उसे लिखने का तरीका अलग है. ये खराब भाषा या घटिया भाषा हो सकती है लेकिन क्या यह गैरकानूनी होगी?
'2020 में प्रकराशित हुआ था कार्टून'
ASG ने कहा कि पूरी घटना पर FIR दर्ज हो गई है और जांच चल रही है. इस पर ग्रोवर ने कहा कि FIR 21 मई 2025 को दर्ज की गई थी. मेरा कार्टून 2020 में प्रकाशित हुआ था. वह एफआईआर मेरे मूल कार्टून पर नहीं थी. यह उस व्यक्ति की पोस्ट पर है, जिसने मेरा कार्टून उठाया और उसमें धार्मिक टिप्पणी वाला टेक्स्ट जोड़ा और राज्य का प्रकोप मुझ पर टूट पड़ा.
इस पर ASG ने कहा कि मुझे बताया गया है कि सोशल मीडिया पर न्यायपालिका के खिलाफ भी कई आपत्तिजनक पोस्ट हैं. इस पर कार्टूनिस्ट के वकील ने कहा कि बहुत से लोग सोशल मीडिया पर बहुत सी बातें कहते हैं. मैंने उनका पूरा सोशल मीडिया इतिहास नहीं देखा है.
'एक पोस्ट पर थी FIR'
ASG ने कहा कि वह पूरी कार्यवाही देख रहे हैं. वह कुछ चीजें हटा सकते हैं. इस पर ग्रोवर के कहा कि बहुत से लोग भटक जाते हैं. FIR एक पोस्ट पर थी, लेकिन अब भानुमती का पिटारा खुल रहा है. क्या ये सही है? अगर कोई भटक रहा है तो उसे वापस पटरी पर आने देना चाहिए.
'कसने दीजिए परीक्षण की कसौटी'
इसके बाद जस्टिस धूलिया ने कहा कि इसे एक बार परीक्षण की कसौटी पर कसने दीजिए. हमें इनके बारे में कुछ करना होगा. कोर्ट ने हिंदी में कहा कि हद है! आजकल लोग कुछ भी कह लिख रहे हैं. भाषा के स्तर की परवाह किए बगैर कुछ भी, कैसे भी लिखे जा रहे हैं.
वहीं, ASG तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें तुरंत पोस्ट हटाने दें. उन्होंने ये भी कहा कि पोस्ट हटाने से पहले उन्हें अदालत के सामने रिकॉर्ड में रखना चाहिए ताकि पता चल सके कि वे क्या कह रहे थे. कॉपी जांच अधिकारी को दिखाई जानी चाहिए तो हमें रिकार्ड की सत्यता की जांच करनी होगी, बेहतर होगा कि वे उसे डिलीट न करें. इसके बाद ग्रोवर ने कहा, 'मैं पोस्ट हटा दूंगा.'
संजय शर्मा