'नेहरू के मुकाबले मोदी अतुलनीय पीएम', सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में 3 Point में बताया

बीजेपी सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत की. डॉक्टर त्रिवेदी ने विपक्ष को निशाने पर रखा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पंडित नेहरू के मुकाबले अतुलनीय पीएम बताया. उन्होंने अयोध्या के नतीजे की भी चर्चा की.

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Sudhanshu Trivedi Sudhanshu Trivedi

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:03 PM IST

लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र का पांचवा दिन भी हंगामेदार रहा. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने चुनाव नतीजों से लेकर अयोध्या और भगवान राम से जुड़ी सीटों पर हार, संविधान को लेकर विपक्ष पर जमकर हमला बोला. सुधांशु त्रिवेदी ने साथ ही राज्यसभा में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के मुकाबले नरेंद्र मोदी को अतुलनीय पीएम भी बताया.

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सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया और मोदीजी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. इसके साथ ही पंडित नेहरू के उस रिॉर्ड की बराबरी हो गई जिस पर वे बहुत इतराते थे. बहुत से कांग्रेसी सदस्य कहते हैं- भाई नेहरूजी की बराबरी तो मोदीजी से नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि तीसरी बार मोदीजी चुन कर आए हैं. ये मैं भी मानता हूं कि नेहरूजी और मोदीजी में बराबरी नहीं हो सकती. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि तीसरी बार आने पर सिर्फ तीन बिंदू दूंगा जिसपर हम मानते हैं कि नेहरूजी और मोदीजी की बराबरी नहीं हो सकती.

...जब चुने गए थे पीएम कैंडिडेट

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि 13 सितंबर 2013 को जब मोदीजी प्रधानमंत्री कैंडिडेट चुने जाने थे, शाम 6 बजे बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक होनी थी. मोदीजी खुद उसके सदस्य थे मगर उन्होंने कहा कि मैं इस बैठक में नही आऊंगा जिस बैठक में मेरे बारे में विचार हो रहा हो. ये होता है नैतिकता के आधार पर निर्णय. उस समय राजनाथ सिंह पार्टी के अध्यक्ष थे और मुझे ही ये दायित्व दिया गया था कि मोदीजी को रिसीव कर के अध्यक्ष के कमरे में बैठा लूं और जब बैठक खत्म हो जाए तब सब एकसाथ जाएंगे घोषित करने के लिए. पूरा बोर्ड एकमत था. सारे कार्यकर्ता, पूरा देश एकमत था और तब प्रधानमंत्री के लिए मोदीजी कैंडिडेट घोषित हुए.

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उन्होंने नेहरू के पीएम चुने जाने के वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि 26 अप्रैल 1946 को कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना जाना था. उसके लिए कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होनी थी और 20 अप्रैल को मौलाना आजाद को गांधीजी ने लेटर लिखा कि आप अपना नाम वापस ले लीजिए, मैं चाहता हूं नेहरूजी प्रधानमंत्री बनें. इसके बावजूद उस बैठक के अंदर क्या हुआ? इसका रिकॉर्ड आचार्य कृपलानी (जेबी कृपलानी) ने अपनी किताब 'Gandhi His Life and Thought', मौलाना आजाद ने अपनी किताब 'India Wins Freedom', राजमोहन गांधी ने अपनी किताब सरदार पटेल और उस समय के प्रसिद्ध पत्रकार दुर्गा दास ने अपनी किताब 'India from Curzon to Nehru and After' में लिखा है.

किताबों का उल्लेख करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि तब एक वोट मिला पट्टाभि रमैया को. शायद एक या दो वोट मिले अर्चाय कृपलानी को और बाकी सारे वोट मिले सरदार पटेल को. शून्य वोट मिले नेहरूजी को. वाकई कैसे तुलना हो सकती है. सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री के कैंडिडेट बनने वाले मोदीजी और शून्य वोट पाकर प्रधानमंत्री का कैंडिडेट बनने वाले नेहरूजी में कैसे तुलना हो सकती है. एक वो नेता जिसको पूरे देश ने नेता माना और एक वो नेता जिसको उसकी पार्टी में किसी ने नेता नहीं माना. इसलिए तुलना नहीं हो सकती.

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उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि आज खड़गेजी को नेता बनना था. सोनिया गांधी की इच्छा थी तो सारे डेलिगेट्स ने खड़गेजी को वोट कर दिया. उस समय गांधीजी की इच्छा के बावजूद किसी ने नेहरूजी के लिए वोट नहीं किया तो मैं कह सकता हूं कि आज खड़गेजी की स्थिति उस समय के नेहरूजी से बेहतर है. 

अप्रोच में जमीन-आसमान का अंतर

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि नेहरूजी के विषय में प्रख्यात शायर मजरुह सुल्तानपुरी ने एक आर्टिकल लिख दिया था कि उनकी कार्यशैली में हिटलर की झलक दिखती है. उसके बाद वो दो साल जेल में रहे. और यहां मोादीजी के समय में हिटलर की मौत, मोदीजी की मृत्यु की कामना, कब्र खुदेगी जैसी बात कहने वाले लोग तो छोड़िए, जिन्होंने बोटी-बोटी की बात कही थी वो भी सम्मानित सदस्य बनकर अगले सदन में आ गए. इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है तो मैं मानता हूं कि कोई तुलना नहीं है मोदीजी और नेहरूजी की. दोनों की अप्रोच में जमीन आसमान का अंतर है. 

गिनाए नागरिक सम्मान 

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि हमारे प्रधानमंत्री को कितने देशो ने अपना नागरिक सम्मान दिया है. इसमें भूटान, फ्रांस, पापुआ न्यू गिनी, फिजी, रूस और मालदीव. इसके अलावा तमाम मुस्लिम देश इजिप्ट, सऊदी अरब, यूएई, बहरीन, अफगानिस्तान और विषेषकर ध्यान दें- फिलिस्तीन. इतने देशों ने मोदीजी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जो भारत के इतिहास में किसी प्रधानमंत्री को नहीं मिला. और प्रधानमंत्री ने किसको सर्वोच्च सम्मान दिया? हमारी सरकार ने और सरकार की बनाई समिति ने सिर्फ हमारे नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी ही नहीं, कांग्रेस के नेताओं को भी सम्मान दिया. कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं को भारत रत्न दिया- मदन मोहन मालवीय, प्रणब मुखर्जी, पीवी नरसिम्हाराव. जो हमारी पार्टी के नहीं थे लेकिन कर्पूरी ठाकुर को भी भारत रत्न मिला. कांग्रेस नेता एससी जमीर और तरुण गोगोई को पदम अवॉर्ड मिला. दूसरी तरफ नेहरूजी ने क्या किया? न किसी से अवॉर्ड मिला, दूसरी पार्टी तो छोड़िए अपनी पार्टी के सरदार पटेल और बाबा साहब आंबेडकर को भी नहीं दिया. उन्होंने (नेहरू ने) अपनी ही सरकार से खुद भारत रत्न ले लिया. एक मोदीजी, जिन्होंने सबको भारत रत्न दिया और एक नेहरूजी, जिन्होंने खुद को भारत रत्न ले लिया.

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उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं इन तीनों बिंदुओं पर नेहरूजी और मोदीजी में कोई तुलना नही है. मोदीजी, नेहरूजी की तुलना में एक अतुलनीय प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने वो अतुलनीय उपलब्धि हासिल की. नेहरूजी जवाहरात के लाल थे और नरेंद्र मोदीजी गुदड़ी के लाल हैं. इससे पहले डॉक्टर त्रिवेदी ने सदन में एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि आज फेल हुए छात्र खुश हैं. उन्होंने अयोध्या के चुनाव नतीजों को लेकर कहा कि विरोधी हमें बता रहे हैं कि भगवान राम से जुड़ी सीटों पर हम हार गए. आपको क्या लगता है, भगवान राम हमें हराने के लिए आए थे. नहीं, वो आपको अपना अस्तित्व मनवाने के लिए आए थे.

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