संसद में महिला आरक्षण की गूंज, जब आबादी आधी तो 33 फीसदी आरक्षण की बात क्यों?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान महिला आरक्षण का मसला गूंजा. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मांग की है कि अब महिलाओं को पचास फीसदी आरक्षण देने पर विचार होना चाहिए.

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शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सदन में उठाई आवाज (फोटो: RSTV) शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सदन में उठाई आवाज (फोटो: RSTV)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST
  • संसद में महिला दिवस के अवसर पर चर्चा
  • प्रियंका चतुर्वेदी ने उठाया 50 फीसदी आरक्षण का मसला

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर संसद के बजट सत्र में महिला सांसदों ने अपनी बात कही. राज्यसभा में जब कार्यवाही की शुरुआत हुई, तो महिला दिवस पर बधाई दी गई. इसी दौरान एक बार फिर महिला आरक्षण का मुद्दा सदन में गूंजा. खास बात ये रही कि अब सदन में आवाज़ उठी है कि महिलाओं को सिर्फ 33 फीसदी आरक्षण क्यों दिया जा रहा है, बल्कि 50 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए.

शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सदन में कहा, ‘देश में 24 साल पहले महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई थी, लेकिन अब 33 फीसदी को बढ़ाकर 50 फीसदी कर देना चाहिए. जब देश में महिलाओं की आबादी 50 फीसदी है, तो फिर महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी 50 फीसदी होना चाहिए.’ 

प्रियंका चतुर्वेदी ने सदन में कहा कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर काफी दबाव बढ़ा है, जो डोमेस्टिक से लेकर मानसिक तक का है, ऐसे में इन सभी विषयों पर सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए और महिलाओं को हक दिलाना चाहिए.

इधर सदन में प्रियंका चतुर्वेदी ने महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की बात कही, तो कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने ट्वीट कर अपील करते हुए कहा कि कांग्रेस को तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के लिए 33 फीसदी टिकट महिलाओं को ही देने चाहिए.

गौरतलब है कि लंबे वक्त से महिला आरक्षण की बात की जा रही है, 33 फीसदी आरक्षण और सही प्रतिनिधित्व की बात भी हर दल करता आया है. हालांकि, अगर प्रतिनिधित्व की बात करें तो कम ही ऐसी पार्टियां हैं जो 33 फीसदी या उससे अधिक टिकट महिलाओं को दिया गया हो या फिर कोई पद किसी महिला को दिया गया हो. 

इस सबसे इतर एक खास बात ये भी रही कि राज्यसभा में ही सोमवार को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की मांग की गई. सांसद सोनल मानसिंह ने सदन में इस बात को उठाया.
 

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