सेव-सॉयल के लिए खड़े हो जाइए, मिट्टी और पर्यावरण की सीमाएं नहीं होतीं : सद्गुरु

रविवार को सद्गुरु के साथ #AMAwithSadhguru ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था. यूजर्स ने सद्गुरु से क्रिप्टोकरेंसी, योग, मोटरसाइकिलों, मिट्टी बचाओ अभियान और तमाम चीजों को लेकर सवाल किए.

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सद्गुरु सद्गुरु

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2022,
  • अपडेटेड 7:26 PM IST

ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक सद्गुरु ने रविवार को लोगों से ट्विटर पर काफी देर बात की. इस दौरान सद्गुरु के साथ #AMAwithSadhguru ट्रेंड कर रहा था. यूजर्स ने सद्गुरु से क्रिप्टोकरेंसी, योग, मोटरसाइकिलों, मिट्टी बचाओ अभियान और तमाम चीजों को लेकर सवाल किए. सद्गुरु को मोटरसाइकिल पर रहस्यदर्शी, बाइक वाले योगी, टशन वाले गुरु का प्रतिरूप भी कहा गया. सद्गुरु ने ट्विटर पर नेटिजन्स के साथ करीब एक घंटे के सत्र (#AMAwithSadhguru) में कई सवालों के जवाब दिए.

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‘Ask Me Anything’ का निमंत्रण लोगों ने बहुत उत्साह से हाथों-हाथ लिया. ‘मैं आपके हाथ का डोसा खाना चाहता हूं’ से लेकर ‘क्या हम आपको मूवी में देखेंगे?’, ‘क्या आपने किसी को घूंसा मारा है?’, ‘क्या मुझे क्रिप्टोकरेंसी खरीदनी चाहिए?’ से लेकर रिश्तों पर सवाल तक, सवाल पर सवाल आते गए और सद्गुरु के जवाबों ने #AMAwithSadhguru को थोड़ी देर के लिए ट्विटर पर नंबर वन ट्रेंड बना दिया.

‘सद्गुरु, आपके सनग्लास कूल हैं, मैं उन्हें कहां से ले सकती हूं?’ इशरीन जानना चाहती थीं. तुरंत जवाब आया- आप पीछे के आदमी से चूक जा रही हैं, सनग्लास में कुछ कूल नहीं है. अगर आप सद्गुरु की 100-दिन की अकेले मोटरसाइकिल पर #JourneyForSoil फॉलो कर रहे हैं तो आप उनके सर्वव्यापी हर मौसम के लिए बने सनग्लास से चूके नहीं होंगे, जो उनके अनुसार सूर्य को 100-दिन की यात्रा में चमकते रहने का निमंत्रण है.

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सद्गुरु से बहुत से लोगों ने पूछा (कभी-कभी उतावलेपन से) कि उनके पास हर सवाल का जवाब कैसे होता है, यहां तक कि उन्हें सोचना भी नहीं पड़ता. जब डिकर पगुई ने पूछा कि क्या मुझे क्रिप्टोकरेंसी खरीदनी चाहिए? तो सद्गुरु ने उनसे कहा- इंतजार कीजिए जब तक मैं योगीकॉइन नहीं बनाता, तब तक योग कीजिए.

अनुप्रिया मालपानी ने जब सद्गुरु से कहा,‘मेरे पति आपके हाथ का डोसा खाना चाहते हैं, मैं भी...’ तो उन्होंने चुटकी ली, ‘ऐसा कभी मत होने दीजिए, आप अपने आदमी को खो सकती हैं.’

विपुल बेताला ने अपने सवाल के लिए शायद इस हास्यपूर्ण जवाब की उम्मीद नहीं की होगी, ‘क्या आपने किसी को घूंसा मारा है?’ इसके जवाब में सद्गुरु ने कहा कि सॉरी, आपको देर हो गई. मैं ऐसा अब और नहीं करता.

उनके पास उनको ‘ट्रॉल’ करने वालों के लिए भी संदेश था. आनंद हरिदास ने पूछा- ट्रॉल करने वालों में आपको क्या एक चीज सबसे ज्यादा पसंद है? सद्गुरु ने इसके जवाब में कहा कि मेरे कहे हर शब्द को सुनने की उनकी प्रतिबद्धता. उन्होंने अपने जवाब के साथ उनके लिए एक संदेश भी दिया- लेकिन इस दौर में, मैं उनसे विनती करता हूं, आप मुझे जितना हो सके ट्रॉल कीजिए लेकिन कृपया मिट्टी के लिए अपनी चिंता जाहिर कीजिए.

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कुछ सवाल पूछने वालों के होठों पर ‘मिट्टी’ शब्द भी था. जोई डुयेन गुयेन ने पूछा- ‘मैं एक कम्युनिस्ट देश से हूं जहां नागरिकों की जरूरतें आम तौर पर सरकार के कार्यक्रम का हिस्सा नहीं होतीं. मैं मिट्टी को बचाने के लिए क्या कर सकता हूं? इसका असर कैसे होगा? इसके जवाब में सद्गुरु ने वही बात दोहराई जो वे अपनी पूरी यात्रा में कहते रहे- इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां से हैं. सेव-सॉयल के लिए अपनी आवाज उठाएं क्योंकि मिट्टी और पर्यावरण की राष्ट्रीय सीमाएं नहीं होतीं. ये एक वैश्विक घटना है. इसका हिस्सा बनिए.

साढ़े नौ साल की आदिश्री जानना चाहती थीं कि इसमें कितना समय लगने का अनुमान है जब दुनिया के सारे लोग, मनुष्य के लिए मिट्टी के महत्व को जान जाएंगे? सद्गुरु ने इसके जवाब में कहा कि यह इस पर निर्भर करता है कि इसे संभव बनाने के लिए आप क्या करने को तैयार हैं. अगर आप और हर कोई अपना सौ प्रतिशत देता है तो हमें इसे 100 दिन में कर लेना चाहिए, जैसी योजना है.

अरुण कुमार ने भी कुछ ऐसी ही भावना व्यक्त की और कहा कि सरकार खुद मिट्टी के महत्व को क्यों नहीं समझ सकती और कार्यवाही क्यों नहीं कर सकती? अभी भारत सरकार के पास मिट्टी के लिए एक अच्छी नीति है और उस पर काम भी हो रहा है, ऐसा लगता तो है. तो सद्गुरु, इस बारे में थोड़ा भ्रम है कि हमारे मिट्टी अभियान के जरिए और अधिक क्या होने वाला है? मौजूदा सरकार इसे क्यों नहीं समझ सकती और खुद से कार्यवाही क्यों नहीं कर सकती है?

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इसके जवाब में सद्गुरु ने इरादे और कार्यवाही के बीच अंतर समझाते हुए कहा कि इरादे में बदलाव एक पल में हो सकता है लेकिन बात जब कार्यवाही की आती है तो यह उसकी गति का सवाल होता है. किसी देश में गति इससे तय होती है कि कितने लोग इरादे के पीछे हैं. सेव-सॉयल के लिए खड़े हो जाइए जिससे इरादे उचित समय में हकीकत में बदल जाएं.

 

लाइव ट्विटर सत्र दोपहर बाद 2 बजे शुरू हुआ और करीब एक घंटे तक चला. सद्गुरु ने मोटरसाइकिल पर अपनी अकेले 100 दिन की मिट्टी के लिए यात्रा के 40 दिन पूरे कर लिए हैं और यूरोप से मध्य-एशिया पहुंच गए हैं. सद्गुरु अब मध्य-पूर्व की यात्रा शुरू करने वाले हैं. पिछले महीने सद्गुरु ने मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के लिए इस वैश्विक अभियान को शुरू किया था. कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं और यूएन भी सद्गुरु के इस अभियान का समर्थन कर रहे हैं. दुनिया भर के 70 से अधिक देशों से वैश्विक नेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने सेव-सॉयल को अपना समर्थन दिया है.

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