ब्रेन की रिवर्स एजिंग में कारगर है सद्गुरु का ध्यान कार्यक्रम... रिसर्च में खुलासा

यह रिसर्च उन लोगों पर की गई, जिन्होंने समयमा साधना और उससे पहले की तैयारी की थी. रिसर्च में EEG हेडबैंड्स की मदद से उनकी नींद के दौरान दिमाग की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया. इससे Brain Age Index (BAI) नाम का एक मापदंड निकाला गया, जिससे पता चलता है कि किसी व्यक्ति का दिमाग असल में कितना 'जवान' या 'बूढ़ा' है.

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रिसर्च के मुताबिक ध्यान कार्यक्रम दिमाग की उम्र लगभग 5.9 साल तक कम करने में मददगार है. रिसर्च के मुताबिक ध्यान कार्यक्रम दिमाग की उम्र लगभग 5.9 साल तक कम करने में मददगार है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:51 PM IST

ध्यान और योग का अभ्यास न सिर्फ मानसिक शांति देता है, बल्कि यह हमारे दिमाग को भी जवान बनाए रख सकता है. ये जानकारी एक रिसर्च में निकलकर सामने आई है. दरअसल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े दो बड़े मेडिकल संस्थानों मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और बेथ इसराइल डीकॉनेस मेडिकल सेंटर के रिसर्चर्स ने पाया है कि सद्गुरु द्वारा डिजाइन किया गया ध्यान कार्यक्रम ‘समयमा साधना’ दिमाग की उम्र लगभग 5.9 साल तक कम करने में मददगार है.

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यह रिसर्च उन लोगों पर की गई, जिन्होंने समयमा साधना और उससे पहले की तैयारी की थी. रिसर्च में EEG हेडबैंड्स की मदद से उनकी नींद के दौरान दिमाग की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया. इससे Brain Age Index (BAI) नाम का एक मापदंड निकाला गया, जिससे पता चलता है कि किसी व्यक्ति का दिमाग असल में कितना 'जवान' या 'बूढ़ा' है.

क्या निकला नतीजा?

- स्टडी के मुख्य नतीजों से पता चला कि इस गहन ध्यान का अभ्यास करने वालों का दिमाग उनकी असली उम्र से औसतन 5.9 साल यंग दिखा – यानी इन प्रतिभागियों के दिमाग की एजिंग की  प्रक्रिया धीमी हो गई थी, या कुछ मामलों में उलटी भी हो गई थी.

-⁠ इनकी नींद की गुणवत्ता बेहतर हुई – नींद गहरी और ज्यादा तरोताज़ा करने वाली थी, जिससे दिमाग को स्वस्थ रहने में मदद मिली.

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-⁠ इन ध्यानकर्ताओं की मेमोरी तेज़ थी, सोचने की क्षमता और स्पष्टता बेहतर थी, और उन्हें अपने उम्र के उन लोगों की तुलना में कम तनाव और कम अकेलापन महसूस हुआ, जो ध्यान नहीं करते थे.

-⁠ कुल मिलाकर, नतीजे बताते हैं कि ध्यान करने से दिमाग को उम्र बढ़ने से बचाया जा सकता है और अल्ज़ाइमर व डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो सकता है.

सद्गुरु ने क्या कहा?

सद्गुरु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लिखा, "यह जानकर अच्छा लग रहा है कि आधुनिक विज्ञान अब यह पहचान पा रहा है कि ध्यान जैसे आंतरिक विज्ञान का इंसान के शरीर और दिमाग पर कितना गहरा असर पड़ता है. जब हम अपने भीतर ऊर्जा और जीवंतता बढ़ाते हैं, तो बढ़ती उम्र और मानसिक गिरावट की रफ्तार अपने आप धीमी हो जाती है. हर इंसान को अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में निवेश करना चाहिए – यह न सिर्फ हमारे लिए ज़रूरी है, बल्कि हमारे आसपास के लोगों और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी."

रिसर्चर की बात

इस स्टडी के सह-लेखक डॉ. बालाचुंधर सुब्रमणियम ने कहा, “यह काफी उत्साहिक करने वाली बात है की इतनी गहरी योगिक प्रक्रियाएं, जैसे समयमा या फिर इसकी तैयारी में किया जाने वाला शक्ति चलन क्रिया, दिमाग को यंग बनाए रखने में मदद कर सकती हैं. यह देखना अच्छा लगता है कि सदियों पुरानी ये विधियां आज की साइंस की कसौटी पर खरी उतर रही हैं. अभी बहुत कुछ जानना बाकी है, लेकिन यह पूरब और पश्चिम के ज्ञान को जोड़ने की दिशा में एक मजबूत कदम है.”

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क्या होता है समयमा साधना?

यह एक 8-दिन का गहन मौन ध्यान कार्यक्रम है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए कई सालों की साधना और अनुशासन ज़रूरी होता है. इससे पहले प्रतिभागियों ने 40 दिन की तैयारी की, जिसमें वेगन डाइट, नियमित योग, ध्यान और शक्ति चलन क्रिया, शाम्भवी महामुद्रा, योगासन, शून्य ध्यान और सुखा क्रिया शामिल थीं. इस कार्यक्रम के पहले भी कई स्टडीज़ में इसके इम्यून सिस्टम सुधारने, शरीर की सूजन कम करने, और मानसिक स्थिरता बढ़ाने जैसे फायदे सामने आ चुके हैं.

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