राहुल गांधी ने DTC बस में किया सफर, कर्मचारियों ने गिनाईं समस्याएं, बोले- नौकरी जाने का डर रहता है... देखें Video

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) के कर्मचारियों से बातचीत की है और बस में सफर का वीडियो शेयर किया है. राहुल से बातचीत में कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाले एक बस कंडक्टर ने बताया, हमारा हर साल कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू होता है. अगर ड्यूटी कम होती हैं तो कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया जाता है. घर बैठने के लिए कह दिया जाता है. हमें परमानेंट किया जाना चाहिए.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने डीटीसी बस में सफर किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने डीटीसी बस में सफर किया है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:47 PM IST

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) की बस में सफर का वीडियो शेयर किया है. राहुल ने बस कंडक्टर, ड्राइवर और अन्य स्टाफ से बातचीत भी की. उन्होंने बस स्टाफ से उनकी सैलरी पूछी और समस्याओं के बारे में जाना. राहुल ने सोमवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को घेरा और बस स्टाफ की परेशानियां गिनाईं हैं. राहुल का कहना था कि ड्राइवर्स और कंडक्टर्स अनिश्चितताओं के अंधेरों में जीने पर विवश हैं. यात्रियों की सुरक्षा में निरंतर तैनात होमगार्ड्स 6 महीनों से वेतनहीन हैं.

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राहुल गांधी के साथ बातचीत में DTC स्टाफ का कहना था कि हमें एक दिन के करीब 816 रुपए मिलते हैं. इसमें पीएफ समेत अन्य कटौतियां भी होती हैं. महीने में हमें कोई रेस्ट नहीं मिलता है. त्योहारों की भी छुट्टी नहीं मिलती. अगर हम कोई छुट्टी लेते हैं तो पैसे काटे जाते हैं. एक ड्राइवर का कहना था कि किमी के हिसाब से हमारी सैलरी तय होती है. 8 घंटे तक काम करना होता है. एक-दो घंटे ज्यादा भी हो जाते हैं.

बिना सैलरी के परिवार कैसे पालें?

राहुल ने पूछा कि हम आपकी कैसे मदद कर सकते हैं? इस पर DTC स्टाफ ने बताया कि हमें 5 महीने से सैलरी नहीं मिल रही है. घर का कहां से किराया दें और कैसे परिवार का पेट पालें? बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. बसें भी प्रॉपर नहीं चल रही हैं. राज्य सरकार, केंद्र के पाले में गेंद डालती है और केंद्र, राज्य का मसला बताकर पल्ला झाड़ लेता है. फंड रिलीज नहीं होने के बहाने बना दिए जाते हैं. अब दो महीने और इंतजार के लिए कह दिया गया है. हमें यह भी कहा जाता है कि जिस नेता के पास जाना हो, चले जाइए. कुछ नहीं हो सकता है. अक्टूबर से पहले सैलरी नहीं मिलने की बात कही जा रही है. हमारे साथ ऐसा सलूक किया है और अब नई भर्ती करने जा रहे हैं, उनके साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा.

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हर साल रिन्यू होता है कॉन्ट्रेक्ट

कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाले एक बस कंडक्टर ने कहा, हमारा हर साल कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू होता है. अगर ड्यूटी कम होती हैं तो कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया जाता है. घर बैठने के लिए कह दिया जाता है. हमें परमानेंट किया जाना चाहिए. समान वेतन और समान काम होना चाहिए. यही हमारी मांग है. 

50 साल की उम्र में अब कहां जाएं?

एक होमगार्ड ने कहा, हमारा सवाल यही है कि नागरिकता पक्की है तो नौकरी पक्की क्यों नहीं है? सबसे ज्यादा निजीकरण किया जा रहा है. इससे हमारे बच्चों का क्या भविष्य रहेगा. पिछले 6 महीने से सैलरी का इंतजार है. यही वजह है कि होमगार्ड्स के 24 जवान सदमे में अपनी जान गंवा बैठे. किसी की हार्टअटैक से मौत हुई है. हर छह महीने में ट्रेनिंग दी जाती है. जबकि हम लोग पहले से ट्रेंड हैं. ट्रेनिंग के बाद होमगार्ड में भर्ती हुए थे. अभी 10285 की भर्ती निकाली गई है और हमें जनवरी 2025 तक समय दिया गया है. हम 50 से ज्यादा उम्र के हो चुके हैं. इस उम्र में कहां जाएं? कौन हमें नौकरी देगा. एक महिला ड्राइवर ने कहा, समान काम और समान वेतन दिया जाए.

राहुल गांधी ने पूछा कि प्राइवेटाइजेशन का फायदा किसे मिल रहा है? इस पर डीटीसी कर्मचारियों ने कहा कि इससे उद्योगपतियों को फायदा पहुंच रहा है. हर कोई बोलना चाहता है, लेकिन लोगों को अपनी बात रखने में डर लगता है.

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राहुल ने पूछा कि क्या आप लोग पैसे बचा पाते हैं. इस पर डीटीसी स्टाफ ने कहा कि बिल्कुल नहीं. कर्मचारियों का कहना था कि हमारा एक साल का कॉन्ट्रेक्ट होता है. हमें कभी भी निकाल दिए जाने का डर बना रहता है.

राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट में क्या लिखा? 

कांग्रेस ने नेता राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक सुखद बस यात्रा के अनुभव के साथ DTC कर्मचारियों से संवाद कर उनके दिनचर्या और समस्याओं की जानकारी ली. न सामाजिक सुरक्षा, न स्थिर आय और न की स्थाई नौकरी - Contractual मजदूरी ने एक बड़ी ज़िम्मेदारी के काम को मजबूरी के मुकाम पर पहुंचा दिया है. जहां ड्राइवर्स और कंडक्टर्स अनिश्चितताओं के अंधेरों में जीने पर विवश हैं, वहीं यात्रियों की सुरक्षा में निरंतर तैनात होमगार्ड्स 6 महीनों से वेतनहीन हैं. इस उपेक्षा से त्रस्त, देश भर के सरकारी कर्मचारियों की तरह DTC वर्कर्स भी लगातार निजीकरण के डर के साए में जी रहे हैं. ये वो लोग हैं जो भारत को चलाते हैं, प्रतिदिन लाखों यात्रियों के सफर को सुगम बनाते हैं - मगर समर्पण के बदले उन्हें कुछ मिला है तो सिर्फ अन्याय. मांगें स्पष्ट हैं - समान काम, समान वेतन, पूरा न्याय. वो भारी मन और दुखी दिल से सरकार से पूछ रहे हैं, हम नागरिक पक्के तो नौकरी कच्ची क्यों?
 

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