प्रियंका गांधी के साथ 2 घंटे की सीक्रेट मीटिंग... प्रशांत किशोर को लेकर क्यों लगने लगे कयास?

बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के करीब एक महीने बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने हाल ही में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा से नई दिल्ली में मुलाकात की थी. हालांकि दोनों पक्षों के सूत्रों ने इस मुलाकात के राजनीतिक मायने कम करके बताए हैं, लेकिन सियासी गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है.

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प्रशांत किशोर की दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ सीक्रेट मीटिंग के बाद अटकलों का बाजार गर्म है. (File Photo: PTI) प्रशांत किशोर की दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ सीक्रेट मीटिंग के बाद अटकलों का बाजार गर्म है. (File Photo: PTI)

राहुल गौतम

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर बिहार विधानसभा चुनाव में जन सूरज पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं में लौट आए हैं. सूत्रों के मुताबिक पीके ने हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ एक बंद कमरे में बैठक की, जिससे राजनीतिक हलकों में नई अटकलें लगने लगी हैं. बैठक लगभग दो घंटे तक चली, जिसमें दोनों ने उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तर भारतीय राज्यों के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की. 

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हालांकि दोनों पक्षों ने प्रियंका गांधी और पीके की मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताकर इसके राजनीतिक अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की है. लेकिन राजनीतिक रूप से यह मुलाकात काफी दिलचस्प है, क्योंकि बीते कुछ वर्षों में प्रशांत किशोर और कांग्रेस का रिश्ता कड़वाहट भरा रहा है. प्रशांत किशोर ने 2021 में जद(यू) से निष्कासित होने के एक साल बाद कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव दिया था. उनकी 2022 में कांग्रेस आलाकमान के साथ बातचीत शुरू हुई. अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के 10 जनपथ निवास पर प्रशांत किशोर ने राहुल और प्रियंका सहित शीर्ष नेतृत्व के सामने पीपीटी प्रेजेंटेशन दिया था. 

PK की कांग्रेस नेतृत्व संग 2022 में भी हुई थी बैठक

तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर के प्रस्तावों पर विचार के लिए एक पैनल गठित किया. कुछ दिनों बाद सोनिया ने कांग्रेस की राजनीतिक चुनौतियों के लिए ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप’ बनाया और किशोर को इसमें शामिल होने का न्योता दिया. लेकिन किशोर ने इसे ठुकरा दिया क्योंकि वह इस ग्रुप में सिर्फ सदस्य बनकर शामिल होने के बजाय अधिक अधिकार और स्वतंत्रता चाहते थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, जिनमें प्रशांत किशोर का प्रेजेंटेशन देखने वाले जी-23 समूह के सदस्य भी शामिल थे, उन्होंने किसी बाहरी व्यक्ति के इशारे पर पार्टी संगठन में बदलने का विरोध किया. उन्हें प्रशांत किशोर पर पूरा भरोसा नहीं था.

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यह भी पढ़ें: 'चुनाव में गड़बड़ी हुई, लेकिन सबूत नहीं हैं', बिहार में पार्टी की हार पर बोले जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर

सोनिया ने PK को दिया था कांग्रेस में आने का न्योता

कांग्रेस ने बयान जारी किया, 'प्रशांत किशोर का पीपीटी प्रेजेंटेशन देखने और उनके साथ चर्चा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने 2024 लोकसभा चुनावों के लिए एक एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप गठित किया और उन्हें जिम्मेदारी के साथ पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण दिया. उन्होंने मना कर दिया. हम उनके प्रयासों और सुझावों की सराहना करते हैं.' प्रशांत किशोर ने भी एक बयान जारी करके कहा था, 'मैंने कांग्रेस के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. मेरे विचार में कांग्रेस को मुझसे ज्यादा नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है ताकि पार्टी में गहरी जड़ें जमा चुकीं संरचनात्मक समस्याओं को परिवर्तनकारी सुधारों से ठीक किया जा सके.' 

बिहार में PK और कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार

तब से प्रशांत किशोर कांग्रेस की आलोचना करते रहे हैं. बिहार चुनाव के दौरान भी उन्होंने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए 'वोट चोरी' और 'मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण' (SIR) जैसे मुद्दों को दरकिनार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि बहार में इन दोनों मुद्दों का कोई चुनावी प्रभाव नहीं है. चुनाव परिणाम आने पर पीके की बात सच साबित हुई थी और कांग्रेस 61 में से सिर्फ 6 सीटें जीत सकी थी. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी बिहार में 238 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन खाता नहीं खोल सकी. उसके 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.

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