सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना केस में उन्हें दोषी करार दिया गया है. इसके साथ ही उन्हें 24 अगस्त तक अपने बयान पर पुनर्विचार कर माफी मांगने को कहा गया है. हालांकि कई लोग अब प्रशांत भूषण को कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज सीएस कर्णन मामले में दी गई उनकी प्रतिक्रिया को लेकर खरी खोटी सुना रहे हैं. जिसमें प्रशांत भूषण ने पूर्व जज के खिलाफ अवमानना मामले में कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था. ट्वीट पर आ रही लगातार प्रतिक्रियाओं के बीच प्रशांत भूषण ने अपनी सफाई दी है.
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर आदेश की कॉपी का मुख्य पृष्ठ साझा करते हुए लिखा है, 'कुछ लोग मेरे ऊपर सवाल उठा रहे हैं कि मैंने जस्टिस कर्णन मामले में कोर्ट के फैसले का समर्थन क्यों किया? कर्णन ने जजों पर अनर्गल आरोप तो लगाया ही था, इसके साथ ही उन्होंने जजों को अवैध तरीके से जेल की सजा सुनाई थी जो न्यायिक कार्यालय के अधिकारों का दुरुपयोग था.'
बता दें, प्रशांत भूषण और जस्टिस कर्णन दोनों, कंटेप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 के तहत दोषी करार दिए गए हैं. इस एक्ट के तहत दोषी को अधिकतम छह महीने की जेल या 2000 रुपए का जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है.
कर्णन को सजा दिए जाने पर क्या बोले थे भूषण?
सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को कर्णन को अदालत, न्यायिक प्रक्रिया और पूरी न्याय व्यवस्था की अवमानना का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिलने के बाद जस्टिस कर्णन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इस मामले में फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा था- “खुशी हुई की सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार अदालत की अवमानना करने के लिए कर्णन को जेल भेज दिया. उन्होंने जजों पर अनाप-शनाप आरोप लगाए और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ भी बकवास आदेश जारी किए.”
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गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना का मामला चल रहा है. कोर्ट ने उन्हें ट्विटर पर न्यायाधीशों को लेकर की गई टिप्पणी के लिए 14 अगस्त को दोषी ठहराया था. अदालत का कहना है कि 24 अगस्त तक प्रशांत भूषण चाहें तो बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो 25 अगस्त को इस पर विचार किया जाएगा. हालांकि सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने गांधी के कथन को दोहराते हुए माफी मांगने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं ना दया की भीख मांगता हूं और न ही कोई नरमी की अपील करता हूं.
महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा, 'मैं दया की भीख नहीं मांगता हूं, और न ही मैं आपसे उदारता की अपील करता हूं. मैं यहां किसी भी सजा को शिरोधार्य करने के लिए आया हूं जो मुझे उस बात के लिए दी जाएगी, जिसे कोर्ट ने अपराध माना है, जबकि वह मेरी नजर में गलती नहीं, बल्कि नागरिकों के प्रति मेरा सर्वोच्च कर्तव्य है.'
प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें इस बात की पीड़ा है कि उन्हें 'बहुत गलत समझा गया'. उन्होंने कहा 'मैंने ट्वीट के जरिए अपने परम कर्तव्य का निर्वहन करने का प्रयास किया है.'
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ट्वीट को लेकर शुरू हुआ विवाद
प्रशांत भूषण ने 27 जून को अपने एक ट्वीट में न्यायपालिका के छह वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जून को शीर्ष अदालत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी.
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