वैश्विक जलवायु सम्मेलन में पीएम मोदी बोले- पेरिस समझौते को हासिल करने के ट्रैक पर है भारत

पीएम मोदी ने कहा कि भारत जलवायु सुधार में दुनिया का पूरा सहयोग करेगा. भारत न सिर्फ पेरिस एग्रीमेंट को हासिल करने के ट्रैक पर है, बल्कि उम्मीदों से आगे बढ़कर उनपर काम कर रहा है.

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पीएम मोदी ने वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को किया संबोधित पीएम मोदी ने वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को किया संबोधित

गीता मोहन

  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST
  • पेरिस जलवायु समझौते की पांचवीं वर्षगांठ
  • पीएम मोदी ने सम्मेलन को संबोधित किया
  • 'पेरिस एग्रीमेंट को हासिल करने के ट्रैक पर भारत'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. पेरिस जलवायु समझौते की पांचवीं वर्षगांठ के मौके पर ये सम्मेलन हो रहा है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत जलवायु सुधार में दुनिया का पूरा सहयोग करेगा. भारत न सिर्फ पेरिस एग्रीमेंट को हासिल करने के ट्रैक पर है, बल्कि उम्मीदों से आगे बढ़कर उनपर काम कर रहा है.

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पीएम मोदी ने कहा कि हमने 2005 के मुकाबले अपनी उत्सर्जन तीव्रता 21 फीसदी कम की है. उन्होंने कहा कि हमारी सौर ऊर्जा क्षमता 2014 में 2.63 गीगावाट से बढ़कर अब 2020 में 36 गीगावाट हो गई है. हमारी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विश्व में चौथे नंबर पर है. ये 2022 से पहले 175 गीगावाट हो जाएगी और हमारा लक्ष्य 2030 तक इसे 450 गीगावाट करने का है. 

क्या है पेरिस समझौता?

पेरिस समझौते के तहत प्रावधान है कि वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना और यह कोशिश बनाए रखना कि वो 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा न बढ़ने पाए. मानवीय कार्यों की वजह से होने वाले ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को इस स्तर पर लाना कि पेड़, मिट्टी और समुद्र उसे प्राकृतिक रूप से सोखते रहें.

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समझौते के तहत हर पांच साल में गैस उत्सर्जन में कटौती में प्रत्येक देश की भूमिका की प्रगति की समीक्षा करना भी उद्देश्य है. साथ ही इसमें विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्तीय सहायता के लिए 100 अरब डॉलर प्रति वर्ष देना और भविष्य में इसे बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने की बात भी कही गई है.

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हालांकि यह समझौता विकसित और विकासशील देशों पर एक सामान नहीं लागू किया जा सकता था. इस कारण से समझौते में विकासशील देशों के लिए कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए आर्थिक सहायता और कई तरह की छूटों का प्रावधान किया गया.

 

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