चिल्ड्रेन प्रोटेक्शन होम में रह रहे बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

चिल्ड्रेन प्रोटेक्शन होम में रह रहे बच्चों के कोविड से बचाव के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्याय मित्र ने कोर्ट को बताया कि अब तक 2 लाख 27 हजार 511 बच्चों में से एक लाख 45 हजार 788 बच्चों को उनके अभिभावक, परिजन या गार्जियन के पास भेज दिया गया है. 

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:26 PM IST
  • न्याय मित्र ने बताया 2 लाख से अधिक बच्चों को गार्जियन के पास भेजा
  • जुविनाइल जस्टिस बोर्ड को पढ़ाई के लिए देनी चाहिए सुविधा
  • बच्चों की प्रोग्रेस को भी मॉनिटर किया जा रहा

चिल्ड्रेन प्रोटेक्शन होम में रह रहे बच्चों के कोविड से बचाव के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्याय मित्र ने कोर्ट को बताया कि अब तक 2 लाख 27 हजार 511 बच्चों में से एक लाख 45 हजार 788 बच्चों को उनके अभिभावक, परिजन या गार्जियन के पास भेज दिया गया है. 

संवास में रह रहे बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और जुविनाइल जस्टिस बोर्ड को पढ़ाई के लिए सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए. इन सुविधाओं में ऑनलाइन क्लास के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था करना भी शामिल हो. न्याय मित्र के मुताबिक पिछले पांच महीनों के दौरान बच्चों की प्रोग्रेस को भी मॉनिटर किया जा सकता है.

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कोर्ट ने न्याय मित्र की सिफारिश को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि कोर्ट अब इस मामले में डायरेक्शन देगा. उन निर्देशों पर राज्यों को अमल करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि चाइल्ड प्रोटेक्शन होम में रह रहे बच्चों को कोविड संकट की वजह से पढ़ाई को लेकर  काफी परेशानी उठानी पड़ी है.
कोर्ट ने इसकी भरपाई के लिए बच्चों के एक्ट्रा क्लासेज मुहैया कराने को भी कहा है.

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक 22 से 24 छात्रों के बीच एक टीचर की  शीघ्र नियुक्ति करे. जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर राज्य सरकारें मुहैया कराएं जो क्लासेज को चालू किए जाने के लिए जरूरी हो. ये व्यवस्थाएं आज से तीस दिन के भीतर शुरू कर दी जाए. चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन में पर्याप्त टीचर और पढ़ाई के हर संभव संसाधन मुहैया कराए जाएं.

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जिला चाइल्ड केयर प्रोटेक्शन यूनिट डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी को इस प्रोग्रेस और सभी प्रावधानों की जानकारी मुहैया कराई जाए. कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि जिस परिवार में आर्थिक तंगी है उस परिवार को डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट की रिपोर्ट पर राज्य सरकार प्रति बच्चा दो हजार रूपया प्रति माह मुहैया कराएगी. ये धनराशि सिर्फ बच्चे की पढ़ाई के लिए खर्च होगी. अगर राज्यों को इसमें कोई परेशानी होगी तो वो न्याय मित्र को जानकारी देंगे और कोर्ट इस पर ध्यान देगा.

 

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