'दिव्य मंजन में मांसाहारी तत्व', पतंजलि के खिलाफ अदालत पहुंचा शख्स, कोर्ट ने जारी किया नोटिस

योग गुरू बाबा रामदेव द्वारा बड़े स्तर पर प्रचारित किए जा रहे 'दिव्य मंजन' में मांसाहारी प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया गया है. एक शख्स ने इसकी शिकायत केंद्र सरकार में मंत्रालयों से भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब वह कोर्ट पहुंचे हैं और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाते हुए मुआवजा और कार्रवाई की मांग की है.

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पतंजलि स्टोर पतंजलि स्टोर

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:34 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव समेत अन्य के खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. आरोप है कि बाजार में 'दिव्य मंजन' को शाकाहारी उत्पाद बताकर बेचा जा रहा है, जबकि उसमें मछली के तत्व शामिल हैं. इस याचिका को लेकर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, पतंजलि, बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और अन्य से जवाब मांगते हुए नोटिस जारी किया.

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जनहित याचिका में बताया गया है कि 'दिव्य मंजन' या 'दिव्य दन्त मंजन' को शाकाहारी मानते हुए उसकी पैकिंग पर हरे रंग का विशेष चिन्ह अंकित किया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि 'दिव्य मंजन' में एक तत्व 'सामुद्रफेन (Sepia officinalis)' मछली से बनाया जाता है, जिसके मंजन में इस्तेमाल से वह हैरान हैं.

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मंजन में मछली के प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया गया

याचिकाकर्ता और उनके परिवार ने इस प्रोडक्ट का लंबे समय से इस्तेमाल कर यह सोचकर किया कि यह पूरी तौर पर शाकाहारी है. आखिरकार, बाबा रामदेव ने खुद अपने यूट्यूब वीडियो में स्वीकार किया है कि 'सामुद्रफेन' (Sepia officinalis) से निकाला जाता है और इसका 'दिव्य मंजन' में इस्तेमाल किया जा रहा था.

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धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप, कार्रवाई की मांग

याचिकाकर्ता का कहना है कि उनका परिवार ब्राह्मण परिवार से संबंध रखता है, जहां मांसाहारी उत्पादों का सेवन धार्मिक नजरिए से पूरी तरह वर्जित है. ऐसी स्थिति में, इस उत्पाद को लंबे समय से इस्तेमाल करने पर उन्हें गहरा धक्का पहुंचा है.

शिकायत पहले भी की लेकिन नहीं हुआ एक्शन

याचिकाकर्ता ने मई 2023 में दिल्ली पुलिस को शिकायत की, और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और आयुष मंत्रालय में भी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अब तक किसी भी संस्था ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

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याचिकाकर्ता ने कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके. उन्होंने इस अनजाने मांसाहारी प्रोडक्ट के सेवन से हुई गहरी पीड़ा के लिए मुआवजा की मांग की. याचिकाकर्ता ने धार्मिक मान्यताओं ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है और कार्रवाई की मांग की है.

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