संसद के शीतकालीन सत्र का आज 14वां दिन था. लोकसभा में आज संविधान पर चर्चा हुई. शनिवार को भी ये चर्चा जारी रहेगी. शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी इस पर जवाब देंगे. संसद की कार्यवाही से जुड़े सभी अपडेट्स आप aajtak.in पर देख सकते हैं.
सदन की कार्यवाही कल यानी शनिवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. कल फिर सदन में संविधान पर चर्चा होगी. शुक्रवार को महुआ मोइत्रा के भाषण के बाद हंगामा हुआ जिसके चलते कुछ देर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
सपा सांसद इकरा चौधरी ने कहा, 'संभल में जो हुआ वो सभी के सामने है. पुलिस के संरक्षण में लोगों की हत्या की गई. अल्पसंख्यकों पर हिंसा बढ़ती जा रही है मगर सत्ता में बैठे लोग या तो आंखें मूंदे हुए हैं या इन घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं. हद तो तब हो जाती है जब न्यायपालिका की बात भी अनसुनी कर दी जाती है. सत्ता में बैठे लोग मॉब लिंचिंग को रोकने के बजाय आग में घी डालने का काम कर रहे हैं.'
कैराना से सपा सांसद इकरा चौधरी ने कहा, 'आज पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक समुदाय को संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हर रोज मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. आज ऐसा लगता है कि संविधान की किताब तो है लेकिन इसे चलाने वालों का ईमान गुम हो गया है. आज हिंदुस्तान में हर वर्ग को किसी न किसी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. अल्पसंख्यक खासकर मुसलमानों पर जो कहर टूटा है वो किसी से छुपा नहीं है. ये लोग सिर्फ अपनी मजहबी पहचान की वजह से निशाने पर हैं. हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि हेट स्पीच, मॉब लिंचिंग, बुलडोजर द्वारा घरों को गिराने की घटनाएं आम हो गई हैं खासतौर पर उत्तर प्रदेश में जहां ऐसा लगता है कि कानून के नाम पर जंगलराज चल रहा है.'
महुआ मोइत्रा का भाषण खत्म होने के तुरंत बाद निशिकांत दुबे ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की. स्पीकर कुमारी सैलजा ने जगदंबिका पाल से बोलने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं जाएगा. इसके तुरंत बाद अनुराग ठाकुर खड़े हो गए लेकिन सैलजा ने फिर कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं जाएगा. स्पीकर ओम बिड़ला के लौटने के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जस्टिस लोया केस पर महुआ मोइत्रा की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि इस केस में फैसला आ चुका है. हमने मामले को संज्ञान में लिया है. मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि इस पर कार्रवाई होगी. हम लोगों की तरफ से उचित संसदीय कार्रवाई की जाएगी. इस तरह की टिप्पणी करके आप बच नहीं सकते हैं. इसके बाद सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गई.
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि पिछले 10 साल से देश में बहुत से लोगों को लग रहा है कि संविधान खतरे में है. उन्होंने कहा कि एफसीआरए में संशोधन कर बीजेपी को काला धन मिला. महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में जस्टिस लोया केस का जिक्र किया.
फैजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, 'हमारे संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की बात कही गई है. लेकिन आज बीजेपी की डबल इंजन की सरकार कुचक्र चलाकर हमारे धार्मिक स्थलों को बिगाड़ रही है. हम सुप्रीम कोर्ट के बहुत आभारी हैं. उच्चतम न्यायालय के फैसले ने देश में एक संदेश दिया है कि देश में कानून का राज चलेगा, संविधान का पालन होगा और इस देश को सांप्रदायिकता की आग में जलाने वालों को मौका नहीं दिया जाएगा. किसी देश की दौलत सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात नहीं होते, देश की दौलत हमारे देश के युवा हैं, हमारे देश के किसान हैं लेकिन आज बेरोजगारी के नाम पर क्या हो रहा है, लोग आत्महत्या करने की सोच रहे हैं.'
फैजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, 'हम संविधान बचाने दिल्ली आए हैं. अगर इस देश में समाजवाद की शुरुआत किसी ने की है तो वो डॉ राम मनोहर लोहिया ने की और समाजवाद के आधार पर सरकार चलाने का काम अगर किसी ने किया तो हमारे नेता मुलायम सिंह यादव ने. आज खुशी है कि जिस संविधान को, जिस समाजवाद की व्यवस्था को नेता जी ने चलाया, आज हमारे नेता अखिलेश यादव ने उसी के आधार पर जातीय जनगणना का संकल्प किया है.'
सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि इस सरकार में लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ हुआ है, इतना कभी नहीं हुआ. संविधान बचेगा तो न्याय बचेगा और न्याय बचेगा तभी सबको बराबर मौके मिलेंगे. भेदभाव भी मिटेगा. इसलिए आज फिर से संविधान को बचाने के लिए एक और करो या मरो आंदोलन की जरूरत है. पिछले चुनाव में भी बहुत सारे सत्तापक्ष के माननीय कहते थे कि हमें इतनी सीटें मिल जाएंगी तो संविधान बदल देंगे. मैं जनता को धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने 400 पार के नारे को गिरा दिया. और उनके सपने को तोड़ दिया. बहुत सारे साथी इधर के ही उधर हैं. अगर उधर वाले इधर आ गए तो उसी दिन ये सत्ता से बाहर हो जाएंगे.
अखिलेश यादव ने कहा कि जब यूपी में चुनाव थे, बहुत से लोगों को वोट डालने का अधिकार से रोका गया. और जो लोग वोट डालने जा रहे थे, उन्हें डराया-धमकाया जा रहा था. मैं उन महिलाओं को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इसकी परवाह नहीं की.
उन्होंने कहा कि आर्थिक न्याय के बगैर न सामाजिक न्याय मिल सकता है और न राजनीतिक न्याय मिल सकता है. उन्होंने कहा कि अगर मौका मिला तो हम जातिगत जनगणना जरूर करवाएंगे. उन्होंने कहा कि अब तो उपासना करने में भी दिक्कत है, क्योंकि हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने वाले लोग शांति नहीं चाहते.
अखिलेश ने कहा कि जो हालात यूपी के हैं, वैसे पहले कभी नहीं देखे हैं. जहां पर कानून की धज्जियां उड़ रही हैं. ऐसी कई घटनाएं हैं.
उन्होंने कहा कि आज कई मायनों में यूपी पीछे दिखाई दे रहा है. सरकारी नौकरियां इसलिए नहीं, क्योंकि आरक्षण न देना पड़ जाए. आए दिन पेपर लीक. न केवल पेपर लीक है, बल्कि जानबूझकर पेपर लीक कराया जाता है, ताकि परीक्षा रद्द कराई जा सके. अग्निवीर वाला सवाल आज भी वैसा का वैसा है. हम कभी इस व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर सकते हैं. अगर पहले जैसे ही भर्ती होगी तो हमारी सीमाएं और सुरक्षित होंगी.
अखिलेश ने कहा कि आज सीमाओं की रक्षा करना संप्रभु का सबसे अहम कर्तव्य है. लेकिन आज सीमा पर समय-समय पर सेंध लगती हो और हमारे मंत्री बेहतर जानते होंगे कि कई जगह पर हमारी सीमा सिकुड़ रही हैं. हमारे संसदीय मंत्री अरुणाचल प्रदेश में रहते हैं. वो जानते होंगे कि हमारे पड़ोस में कितने गांव बस गए हैं. लद्दाख की तरफ अभी दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं. हम अपनी सीमा में ही पीछे हटे हैं. चीन जो हमारी सीमा के अंदर आ गई थी, वो आंशिक रूप से पीछे हटी है. उस सीमा के पास रेजांग ला मेमोरियल बना था. जिस समय लद्दाख को लेकर बात उठी, उस मेमोरियल को तोड़ दिया गया.
लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान सपा सांसद अखिलेश यादव ने संसद अटैक में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी.
उन्होंने कहा कि भारत राज्यों का एक संघ है और हमें विविधता में एकता पर गर्व है. ये हमारा संविधान ही है जिसने भाषाई, धार्मिक और जातीय विविधता वाले देश को एक रखा है. आंबेडकरजी ने कहा था कि संविधान की सफलता निर्भर करेगी कि हम उसके अनुसार कैसा काम करते हैं. इस महान देश का शासन संविधान में निहित उस सिद्धांतों के अनुसार चलाया जाए. ये वही संविधान है जो समय समय पर हमारा रक्षा कवच बनता है.
अखिलेश ने कहा कि ये संविधान हमारी ढाल है. संविधान हमारी सुरक्षा है. संविधान हमें शक्ति देता है. संविधान देश की 90 प्रतिशत शोषित और पीड़ित जनता का संरक्षक है. ये हमारा बड़ा मददगार है. हमारे जैसे लोग और देश के कमजोर लोगों के लिए, खासकर पीडीए के लिए संविधान की सुरक्षा जन्म और मरण का विषय है. संविधान ही लोकतंत्र की प्राणवायु है.इस संविधान पर 75 साल बाद संसद में फिर चर्चा हो रही है. हमारे संविधान की प्रस्तावना, संविधान का निचोड़ है.
प्रियंका ने कहा कि विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया जाता है. उन्हें सताया जाता है. देशद्रोही कह-कहके यूपी में मुझे याद है कि कुछ अध्यापिकाओं पर मुकदमा डाल दिया. पूरे देश का माहौल भय से भर दिया है. इनकी मीडिया की मशीन झूठ फैलाती है. शायद वो भी भय में है. मैं याद दिलाना चाहती हूं कि ऐसा डर का माहौल देश में अंग्रेजों के राज में था. जब इस तरफ बैठे हुए गांधी के विचारधारा के लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, तब उस विचारधारा के लोग अंग्रेजों के साथ सांठ-गांठ कर रहे थे. लेकिन भय का भी अपना स्वभाव होता है. भय फैलाने वाले खुद भय का शिकार बन जाते हैं. आज इनकी भी यही हालत हो गई है. भय फैलाने के इतने आदी हो गए हैं कि चर्चा से डरते हैं. आलोचनाओं से डरते हैं.
उन्होंने कहा कि राजा भेष बदलकर आलोचना सुनने जाता था. लेकिन आज का राजा भेष तो बदलते हैं, शौक तो है उनको भेष बदलने का, लेकिन न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की. मैं तो सदन में नई हूं. सिर्फ 15 दिन से आ रही हूं. लेकिन मुझे ताज्जुब होता है कि इतने बड़े-बड़े मुद्दे हैं, प्रधानमंत्री जी सिर्फ एक दिन के लिए 10 मिनट दिखे हैं. बात ये है कि ये देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है. इसको बनाने वाले देश के किसान, जवान, करोड़ों मजदूर और गरीब जनता है. संविधान इनको साहस देता है. मेहनती मिडिल क्लास है. इस देश के करोड़ों देशवासी हैं, जो रोजाना भयंकर परिस्थितियों का सामना करते हैं, उनको साहस देता है. वायनाड में जो आपदा आई, उसमें एक छोटा लड़का था 17 साल का. 6 घंटे उसने मां को बचाने की कोशिश की. अंत में वो मां भी बह जाती है. उस लड़के का साहस, उन महिलाओं का साहस जो पीड़ित हैं, लेकिन फिर भी अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं. वो साहस इस संविधान ने दिया है. वो आत्मविश्वास इस संविधान ने दिया है. ये देश भय से नहीं चलता है. भय की भी सीमा होती है और जब वो पार हो जाती है तो उसमें एक ऐसी शक्ति पैदा होती है, जिसके सामने कोई कायर नहीं खड़ा हो सकता. देश ज्यादा देर तक कायरों के हाथ में नहीं रहा है. ये देश उठेगा, लड़ेगा, सत्य मांगेगा. सत्यमेव जयते.
प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकारों को पैसे के बल पर गिरा देते हैं. सत्तापक्ष के हमारे साथी ने उदाहरण दिया यूपी सरकार का. मैं भी उदाहरण दे देती हूं महाराष्ट्र की सरकार का. गोवा की सरकार. हिमाचल की सरकार. क्या ये सरकारें जनता ने नहीं चुनी थीं. पूरे देश की जनता जानती है कि इनके यहां तो वाशिंग मशीन है. जो यहां से वहां जाता है, वो धुल जाता है. इस तरफ दाग, उस तरफ स्वच्छता. मेरे कई ऐसे साथी हैं, जो इस तरफ होते थे, उस तरफ चले गए, मुझे दिख भी रहे हैं कि वाशिंग मशीन में धुल गए हैं. जहां भाईचारा और अपनापन होता था, वहां शक और घृणा के बीज बोए जा रहे हैं. एकता का सुरक्षा कवच तोड़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी यहां सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं, लेकिन संभल में, मणिपुर में न्याय की गुहार उठती है तो उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती. शायद समझ नहीं पाए हैं कि भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है. भारत के संविधान ने हमें एकता दी है. हमें आपसी प्रेम दिया. उस मोहब्बत की दुकान जिस पर आपको हंसी आती है, उसके साथ करोड़ों देशवासी चले.
उन्होंने कहा कि इनकी जो विभाजनकारी नीतियां हैं, उसका नतीजा हम रोज देखते हैं. राजनीतिक फायदे के लिए संविधान को छोड़िए, देश की एकता की भी सुरक्षा नहीं कर सकते. संभल में देखा, मणिपुर में देखा. दरअसल, इनका कहना है कि अलग-अलग इस देश के अलग-अलग हिस्से हैं. हमारा संविधान कहता है कि ये देश एक है और एक रहेगा. जहां खुला विवाद होता था, अभिव्यक्ति का सुरक्षा कवच होता था, इन्होंने भय का माहौल पैदा किया है. सत्तापक्ष के मेरे साथी अक्सर 75 साल की बात करते हैं. लेकिन 75 सालों में ये उम्मीद, आशा, अभिव्यक्ति की ज्योति थमी नहीं. जब-जब जनता नाराज हुई, सत्ता को ललकारा. चाय की दुकानों में, नुक्कड़ की दुकानों में, चर्चा कभी बंद नहीं हुई. लेकिन आज ये माहौल नहीं है. आज जनता को सच बोलने से डराया जाता है.
प्रियंका ने कहा कि अडानी जी को सारे कोल्ड स्टोरेज आपकी सरकार ने दिए. देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ देश की जनता को नकारा जा रहा है. सारे बिजनेस, सारे संसाधन, सारी दौलत, सारे मौके, एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं. सारे बंदरगाह, एयरपोर्ट, सड़कें, रेलवे का काम, कारखाने, खदानें, सरकारी कंपनियां सिर्फ एक व्यक्ति को दी जा रही हैं. जनता को भरोसा था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान हमारी रक्षा करेगा. मगर आज सरकार सिर्फ अडानीजी के मुनाफे पर चल रही है. जो गरीब है वो और गरीब हो रहा है. जो अमीर है, वो और अमीर हो रहा है.
प्रियंका गांधी ने कहा कि आज हमारे साथी ज्यादातर अतीत की बात करते हैं. अतीत में क्या हुआ. नेहरू जी ने क्या किया. अरे वर्तमान की बात करिए. देश को बताइए. आप क्या कर रहे हैं. आपकी जिम्मेदारी क्या है. सारी जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू की है. ये सरकार आर्थिक न्याय का सुरक्षा कवच तोड़ रही है. आज संसद में बैठी सरकार बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही जनता को क्या राहत दे रही है. कृषि कानून भी उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं. वायनाड से लेकर ललितपुर तक इस देश का किसान रो रहा है. आपदा आती है तो कोई राहत नहीं मिलती. भगवान भरोसे है आज इस देश का किसान. जितने भी कानून बने हैं, वो बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं. हिमाचल में सेब के किसान रो रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सब बदल रहा है.
प्रियंका गांधी ने कहा कि आज जातिगत जनगणना की बात हो रही है. सत्तापक्ष के साथी ने इसका जिक्र किया. ये जिक्र इसलिए हुआ क्योंकि चुनाव में ये नतीजे आए. ये इसलिए जरूरी है ताकि हमें पता चले कि किसकी क्या स्थिति है. इनकी गंभीरता का प्रमाण ये है कि जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जोरदार आवाज उठाई जातिगत जनगणना होनी चाहिए. तो इनका जवाब था- भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे. ये गंभीरता है इनकी.
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली. किसानों, गरीबों को जमीन बांटी. जिसका नाम लेने से कभी-कभी झिझकते हैं और कभी-कभी धड़ाधड़ इस्तेमाल किया जाता है, उन्होंने तमाम पीएसयू बनाए. उनका नाम पुस्तकों से मिटाया जा सकता है. भाषणों से मिटाया जा सकता है. लेकिन उनकी जो भूंमिका रही, देश की आजादी के लिए, देश के निर्माण के लिए, उसे कभी मिटाया नहीं जा सकता.
प्रियंका ने कहा कि पहले संसद चलती थी तो जनता की उम्मीद होती थी कि सरकार महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा करेगी. लोग मानते थे कि नई आर्थिक नीति बनेगी तो अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बनेगी. किसान और आदिवासी भाई बहन भरोसा करते थे यदि जमीन के कानून में संशोधन होगा तो उनकी भलाई के लिए होगा. आप नारी शक्ति की बात करते हैं. आज चुनाव की वजह से इतनी बात हो रही है. क्योंकि हमारे संविधान ने उनको ये अधिकार दिया. उनकी शक्ति को वोट परिवर्तित किया. आज आपको पहचानना पड़ रहा है कि उनके बिना सरकार नहीं बन सकती. जो आप नारी शक्ति का अधिनियम लाए हैं, उसे लागू क्यों नहीं करते. क्या आज की नारी 10 साल उसका इंतजार करेगी.
प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे देश के करोड़ों देशवासियों के संघर्ष में, अपने अधिकारों की पहचान में, और देश से न्याय की अपेक्षा ने हमारे संविधान की ज्योत जल रही है. मैंने हमारे संविधान की ज्योत को जलते हुए देखा है. हमारा संविधान एक सुरक्षा कवच है, जो देशवासियों को सुरक्षित रखता है. न्याय का कवच है. एकता का कवच है. अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है. दुख की बात ये है कि मेरे सत्तापक्ष के साथी जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं, उन्होंने 10 सालों में ये सुरक्षा कवच तोड़ने का प्रयास किया है. संविधान में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय का वादा है, ये वादा सुरक्षा कवच है, जिसको तोड़ने का काम शुरू हो चुका है. लेटरल एंट्री और निजिकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है. अगर लोकसभा में ये नतीजे नहीं आए होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती. इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी. इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी.
वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी लोकसभा में भाषण दे रही हैं. ये लोकसभा में उनका पहला भाषण है. प्रियंका गांधी ने कहा कि हजारों साल पुरानी हमारे देश की परंपरा संवाद और चर्चा की रही है. वाद-विवाद और संवाद की पुरानी संस्कृति है. अलग-अलग धर्मों में भी ये वाद-संवाद, चर्चा-बहस की संस्कृति रही है. इसी परंपरा से उभरा हमारा स्वतंत्रता संग्राम. हमारा स्वतंत्रता संग्राम अनोखी लड़ाई थी, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित थी. हमारी ये जो लड़ाई थी आजादी के लिए, बेहद लोकतांत्रिक लड़ाई थी. इसमें हर वर्ग शामिल था. सबने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी. उसी आजादी की लड़ाई से एक आवाज उभरी, जो हमारे देश की आवाज थी, वो आवाज ही हमारा संविधान है. साहस की आवाज थी, हमारी आजादी की आवाज थी और उसी की गूंज ने हमारे संविधान को लिखा और बनाया. ये सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है. बाबा आंबेडकर, मौलाना आजाद जी और जवाहरलाल नेहरू जी और उस समय के तमाम नेता इस संविधान को बनाने में सालों जुटे रहे. हमारा संविधान इंसाफ, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जलती है. इसने हर भारतीय को ये पहचानने की शक्ति दी कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है. उसे अपने अधिकारों की आवाज उठाने की क्षमता है. जब वो आवाज उठाएगा तो सत्ता को उसके सामने झुकना पड़ेगा. इस संविधान ने हर किसी को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और बदल भी सकता है.
उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 1949 से एक दिन पहले डॉ आंबेडकर ने भाषण में कहा था कि कोई भी संविधान कितना ही अच्छा हो, वो कभी भी बुरा बन सकता है, अगर उसे चलाने वाले नकारात्मक हो. इसी तरह कोई संविधान कितना भी बुरा हो, वो अच्छा साबित हो सकता है, अगर उसे चलाने वाले की भूमिका सकारात्मक हो. ये राजनीति का चरित्र है. जैसे व्यक्तियों के हाथ में जाती है, वैसी बन जाती है.
उन्होंने कहा कि ये हमारा कर्तव्य है कि हम संविधान की पवित्रता को किसी भी सूरत में भंग न होने दें. मैं कह सकता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जो भी कीमत चुकानी पड़ी, संविधान की पवित्रता को किसी भी सूरत में भंग नहीं होने देंगे. ये कर्तव्य किसी भी अन्य दायित्व से ऊपर होना चाहिए.
राजनाथ सिंह ने शाहबानो मामले का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि शाहबानो का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं. लेकिन तुष्टिकरण के रास्ते पर चलते हुए कांग्रेस सरकार ने इस जजमेंट को ही पलट दिया. इसलिए जब कांग्रेस के लोग जो हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति करते आए हैं. इसलिए हमारे विपक्षी नेता जब मोहब्बत की दुकान की बात करते हैं तो हंसी आती है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे संविधान निर्माता आजादी के आंदोलन से प्रेरित थे. लेकिन भविष्य की सभी चुनौतियों को संविधान में सम्मिलित करना संभव नहीं था. हम सबको गर्व होना चाहिए कि हम सभी उन चुनौतियों का सामना कर पाए हैं. पिछले 75 साल में कई ऐसे मौके आए हैं जब सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की है. भारतीय संविधान वो आदर्श था, जिसके माध्यम से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अस्तित्व में आया था. पिछले 75 साल में संविधान की मूल भावना से प्रेरणा लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया. मेरा मानना है कि इन निर्णयों के पीछे जो गाइडिंग प्रिंसिपल थे, वो हमारे संविधान निर्माताओं के थे.
राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस के लोग भूल जाते हैं कि इंदिरा गांधी ने 50 बार चुनी हुई सरकार को गिराई. कांग्रेस को जब भी संविधान और सत्ता को चुनने का मौका मिला है, तो कांग्रेस ने हमेशा सत्ता को चुना है.
उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को मैं कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री था. अयोध्या के एक विवादित ढांचे में चोट पहुंचने की खबर मिली. और जब खबर मिली कि वहां भारी तोड़फोड़ हुई है. तो कल्याण सिंह ने शाम को इस्तीफा दे दिया. लेकिन आश्चर्य की बात है कि पूर्ण बहुमत की सरकार का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया और सरकार को बर्खास्त कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि 22 अक्टूबर 1997 को मैं यूपी बीजेपी का अध्यक्ष था. हमने अपना बहुमत साबित कर दिया था. फिर भी विपक्षी दल झुंड बनाकर यूपी के राज्यपाल के पास गए और उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है. विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद भी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया. मुझे याद है कि उस समय मेरे साथ सभी विधायक राष्ट्रपति भवन के सामने मौजूद थे. मैं आभार व्यक्त करना चाहूंगा देश के तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण का, जिन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए राज्यपाल के फैसले को पुनर्विचार के लिए भेज दिया.
राजनाथ सिंह ने कहा कि 1976 में 41वां संशोधन किया गया. इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री, राज्यपाल और राष्ट्रपति को पद ग्रहण करने से पहले उनके कार्यकाल के दौरान किए गए सभी आपराधिक मुकदमों से छूट प्रदान करना था. संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग यहीं नहीं रुका. 1976 को 42वां संशोधन किया गया, जिसमें प्रावधान था कि किसी भी कानून की संवैधानिकता सिर्फ 7 जजों की बेंच ही सुन सकती है. क्या ये एक तानाशाह द्वारा संविधान को विकृत करने का प्रयास नहीं था. 42वें संशोधन के द्वारा प्रावधान किया गया था अनुच्छेद 368 के तहत किया गया हर संशोधन वैध है. लोकसभा का कार्यकाल भी बढ़ाकर 6 साल कर दिया गया. क्या ये सब जनता को फिर से प्रजा बनाने की साजिश नहीं थी.
आज उसी पार्टी के लोग जाति के आधार पर जनगणना कराना चाहते हैं. देश की जनता में आंखों में धूल झोंककर नहीं की जानी चाहिए. आपको एक मसौदा लेकर आना चाहिए, जिसमें पूरी तरह से साफ हो कि जातिगत जनगणना कराएंगे तो किस जाति को कितना प्रतिशत देंगे. हमारा संविधान आपातकाल के सामने भी मजबूती से खड़ा रहा है. संविधान में समय के साथ कई संशोधन हुए हैं. लेकिन हमारी मूल भावना बनी रही है और हमेशा बनी रहेगी. कांग्रेस कितनी भी कोशिश कर ले, हम मूल चरित्र को बदलने नहीं देंगे. हमने आपातकाल के काले दिनों में भी संविधान के मूल्यों को चोट पहुंचाने का विरोध किया था. यातनाएं झेलीं. मैं भी 18 महीने जेल रहा हूं. हमें पैरोल तक नहीं मिली थी. कांग्रेस ने कभी न कभी संविधान का सम्मान किया और न कभी संवैधानिक संस्थाओं का.
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने जो भी संवैधानिक संशोधन किए हैं, उनसभी का उद्देश्य सामाजिक कल्याण था. हमने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया ताकि भारत की अखंडता सुनिश्चित हो. हमने जीएसटी कानून बनाया. जीएसटी काउंसिल में राज्यों की सहमत से टैक्स दरें निर्धारित की जाती हैं. लोगों का जीवन आसान हुआ है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरह हमने कभी राजनीतिक हित साधने का जरिया नहीं बनाया. हमने संविधान को जिया है. हमने संविधान की रक्षा के लिए कष्ट भी सहे. 2003 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब हमने 91वें संशोधन से मंत्रिपरिषद के आकार को सीमित कर दिया था. कांग्रेस ने सिर्फ संविधान संशोधन ही नहीं किया है, बल्कि धीरे-धीरे बदलने का प्रयास किया है.
उन्होंने कहा कि जब नेहरू पीएम थे, तब 17 बार संशोधन किए गए. इंदिरा गांधी के समय पर 28 बार बदलाव किए गए. राजीव गांधी के समय 10 बार बदलाव किया गया. मनमोहन सिंह के समय 7 बार संशोधन किए गए. ये संशोधन गलत नीतियों को लागू करने के लिए किए गए.
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज संविधान की रक्षा की बात की जा रही है. लेकिन हमें ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का अपमान किया है और किसने सम्मान किया है.
उन्होंने कहा कि 1976 में एक घटना घटी. जस्टिस एचआर खन्ना ने एक मामले में तब की कांग्रेस सरकार के खिलाफ डिसेंटिंग जजमेंट दिया था. जस्टिस खन्ना ये स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे कि किसी सरकार के द्वारा नागरिक से न्याय मांगने का हक छीन लिया गया. जस्टिस खन्ना को इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ी, ये काले इतिहास में दर्ज है.
इसी तरह 1973 में भी सभी संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखकर तीन जजों को दरकिनार कर चौथे सीनियर जज को भारत का मुख्य न्यायाधिश बना दिया. इन तीनों का सिर्फ यही अपराध था कि वो सरकार के सामने नहीं झुके. उन्होंने कहा कि ये किसी व्यक्ति पर हमला नहीं था, बल्कि ये संविधान पर हमला था. मुझे हैरानी होती है कि आज वही पार्टी संविधान के संरक्षण की बात करती है. मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ने अनेक मौकों पर संविधान का अपमान किया है. उन्होंने हमेशा एक कमिटेड ज्यूडिशियरी, कमिटेड ब्यूरोक्रेसी और कमिटेड इंस्टीट्यूशन बनाने का काम किया है. कांग्रेस के मुंह से संविधान के संरक्षण की बात शोभा नहीं देती
राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता संविधान की प्रति जेब में रखकर घूमते हैं. उन्होंने बचपन से यही सीखा है. संविधान को जेब में रखकर घूमना ही सीखा है. लेकिन बीजेपी ने संविधान को माथे से लगाया है. हमने कभी भी किसी भी संस्था के साथ खिलवाड़ नहीं किया है. संविधान के मूल्य हमारे लिए कहने या दिखाने भर की बात नहीं है. संविधान के मूल्य संविधान के द्वारा दिखाया गया मार्ग, सिद्धांत हमारे मन, वचन और कर्म में दिखाए देंगे.
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान ने भारतीयता से परिचित कराया है. हमारे संविधान की मूल प्रति के भाग 3 में भगवान श्रीराम, मां सीताजी और लक्ष्मणजी की तस्वीर भी अंकित है. मूल प्रति के मुखपृष्ण पर अजंता गुफाओं की पेंटिंग की छाप दिखती है. साथ ही कमल की फूल भी है. ये दिखाता है कि सदियों की गुलामी से निकल कर आजाद राष्ट्र का उदय हो चुका है. उकेरी गई आकृतियां समृद्ध इतिहास और महान परंपरा को दिखाती हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में हमारी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. हमने नारी शक्ति वंदन अधिनियम भी पास किया है. इससे राजनीतिक क्षेत्र की महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा. इसी सोच के तहत हमारी सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है. आजाद भारत में ये पहली बार हुआ. हमने 2019 में संवैधानिक संशोधन किया, ताकि आर्थिक आधार पर आरक्षण मिले. समग्र और समावेशी विकास के सभी काम हमारे संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों के जीवंत रूप हैं. हमने न सिर्फ संविधान के मूल्यों को केंद्र में रखकर काम किया है, बल्कि लागू भी किया है. इस देश में एक ऐसा राज्य भी था, जहां संविधान लागू नहीं होता था. संसद के कानून भी लागू नहीं होते थे. हमने वहां भी लागू करके दिखाया है. आज पूरा देश उस निर्णय का सकारात्मक परिणाम देख रहा है. हाल में चुनाव संपन्न हुए हैं. हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा संविधान प्रगतिशील, समावेशी, परिवर्तनकारी है. हमारे संविधान ने एक ऐसे समाज केनिर्माण का ब्लूप्रिंट दिया है, जिसमें समरसता और समृद्धि हो. यहां देश के शीर्ष पद को प्राप्त करने के लिए जन्म की पहचान मायने न रखती हो. जहां एक गरीब परिवार में जन्मा व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सके. राष्ट्रपति बन सके. संविधान की मूल भावना को आजादी के बाद ही ताक पर रख दिया गया था. लेकिन हमारी सरकार ने इस सच्चे मन से स्वीकार किया है. हमारी सरकार संविधान की मूल भावना को केंद्र में रखकर आगे बढ़ रही है. हमने तीन नए आपराधिक कानूनों को पारित किया है. हमारी सरकार समाज के सभी वर्गों और विशेषकर कमजोर वर्गों के विकास को अपना लक्ष्य बनाया है. रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के हमारे लक्ष्य ने भारत को आगे लाकर खड़ा कर दिया है.
उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि एक पार्टी ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया को हाईजैक करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है. भारत के लोगों के द्वारा, भारत के लोगों के अनुरूप बनाया गया दस्तावेज है. पश्चिमी सभ्यता में नाइट वॉचमैन स्टेट का कॉन्सेप्ट है. इसका अर्थ है कि सरकार का दायित्व लोगों को सुरक्षा प्रदान करने तक ही सीमित रहे. हमारे देश में राजधर्म की बात कही गई है. हमारे यहां राजा भी राजधर्म से बंधा हुआ है. उसकी शक्तियां लोगों के कल्याण के लिए है. कमजोर वर्गों की रक्षा के लिए है. हमारा संविधान नागरिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. हमारा संविधान नागरिकों के समग्र विकास में रास्ते में आने वाली बाधाओं को हटाने का निर्देश देता है.
लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू हो गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी शुरुआत की. उन्होंने कहा कि अब देश में राजा-रानी का शासन नहीं था और न तो ब्रिटिश तंत्र था, बल्कि लोकतंत्र था. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान सभी पहलुओं को छूते हुए राष्ट्रनिर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है. संविधान ने प्रजा को नागरिक बनाया. लोगों को सरकार चुनने का हक दिया.
राज्यसभा में शुक्रवार को भी जबरदस्त हंगामा हुआ. इस दौरान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ विपक्ष पर भी भड़क उठे. उन्होंने कहा कि आपको एक किसान का बेटा बर्दाश्त नहीं हो रहा है. इस पर कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने जवाब देते हुए कहा कि आप किसान के बेटे हैं तो मैं भी मजदूर का बेटा हूं. भारी हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को सोमवार 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया.
लोकसभा में शुक्रवार और शनिवार को संविधान पर चर्चा होनी है. इसके बाद 16 और 17 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी. राज्यसभा में दोनों दिन मौजूद रहने के लिए बीजेपी ने व्हिप जारी किया है. बीजेपी ने अपने सभी राज्यसभा सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर कार्यवाही में मौजूद रहने को कहा है.
राज्यसभा की कार्यवाही भी शुरू हो गई है. राज्यसभा में आज भी जबरदस्त हंगामा जारी है. इस दौरान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ विपक्ष पर भड़क गए हैं. उन्होंने भड़कते हुए कहा कि मैंने आपको बहुत बर्दाश्त किया है, लेकिन आपको किसान का बेटा बर्दाश्त नहीं हो रहा है. इस पर कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आप किसान के बेटे हैं तो मैं भी मजदूर का बेटा हूं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है. शुक्रवार को राज्यसभा में 55 विपक्षी सांसदों ने जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव राज्यसभा महासचिव को सौंप दिया. कपिल सिब्बल की अगुवाई में ये प्रस्ताव सौंपा गया. इस प्रस्ताव पर विवेक तन्खा, दिग्विजय सिंह, पीपी विल्सन, जॉन ब्रिटास, केटीएस तुलसी समेत 55 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं.
(इनपुटः अनीशा माथुर)
लोकसभा में प्रश्न काल के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि गेंद पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में है. हम आतंकवाद मुक्त चाहते हैं.
संसद के शीतकालीन सत्र का आज 14वां दिन है. लोकसभा की कार्यवाही शुरू हो गई है. कार्यवाही शुरू होते ही संसद अटैक के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. दो मिनट का मौन रखा गया. लोकसभा में आज से संविधान पर चर्चा भी शुरू होगी. संविधान पर चर्चा 12 बजे से शुरू हो जाएगी.
संसद के इस सत्र में कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने अडानी का मुद्दा जोरशोर से उठाया है. अडानी मुद्दे पर विपक्ष लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. इस बीच शुक्रवार से लोकसभा में संविधान पर चर्चा शुरू होगी. बताया जा रहा है कि संविधान पर चर्चा के दौरान अगर विपक्ष अडानी का मुद्दा उठाता है तो बीजेपी इसका पुरजोर विरोध करेगी. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संविधान पर चर्चा का अडानी से कोई लेना-देना नहीं है. अगर विपक्ष इस मुद्दे को उठाता है तो इसका विरोध किया जाएगा.
समाजवादी पार्टी के मुखिया और सांसद अखिलेश यादव ने एक देश-एक चुनाव को बीजेपी का जुगाड़ बताया है. उन्होंने कहा कि एक देश-एक चुनाव बीजेपी का जुगाड़ है ताकि वो चुनाव जीत सके. उन्होंने कहा कि संविधान को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी तो सभी की है.
संसद में आज संविधान पर चर्चा होनी है. इससे पहले समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि बीजेपी तो इमरजेंसी पर बात करेगी. विपक्ष बात करेगा कि क्या सरकार संविधान के तहत काम कर रही है या नहीं.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि संविधान पर चर्चा की मांग हमने की थी. ये लोग स्वायत्त संस्थाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं. देश में गवर्नेंस ठीक नहीं है, इसलिए संविधान पर चर्चा जरूरी है. वन नेशन, वन इलेक्शन बिल से जुड़े सवाल पर खड़गे ने कहा कि अभी बिल में क्या है और क्या नहीं, ये पता नहीं है. जब बिल सदन में आएगा तो उस पर चर्चा करेंगे.
संसद पर हमले की 23वीं बरसी भी आज है. इस हमले में शहीद हुए जवानों को थोड़ी ही देर में श्रद्धांजलि दी जाएगी. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कई सांसद उन्हें श्रद्धांजलि देंगे.
13 दिसंबर 2001 को संसद पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हमला कर दिया था. इस पूरे हमले में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, CRPF की एक महिला सिक्योरिटी गार्ड, राज्यसभा के 2 कर्मचारी और एक माली की मौत हो गई थी. हमला करने वाले सभी पांचों आतंकियों को मार गिराया गया था. इस हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फरवरी 2013 में फांसी दे दी गई थी.
संसद अब तक हंगामे की भेंट ही चढ़ा है. अडानी और सोरोस के मुद्दे पर जमकर हंगामा हो रहा है. ऐसे में संविधान पर बहस के दौरान भी हंगामा होने के आसार हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर तीखे हमले कर सकते हैं. बताया जा रहा है कि एनडीए आपातकाल और मुस्लिमों को आरक्षण के मसले पर कांग्रेस को घेरने की तैयारी कर रहा है.
लोकसभा में कांग्रेस के 5-6 सांसद भाषण देंगे. कांग्रेस को कुल 2 घंटे 20 मिनट का समय मिला है. इसमें ज्यादातर समय प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को दिया जाएगा. वायनाड से सांसद प्रियंका का यह संसद में पहला भाषण होगा.
बताया जा रहा है कि टीएमसी से कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा, एलजेपी से शांभवी चौधरी, डीएमके से टीआर बालू और ए राजा इस डिबेट में शामिल होंगे.
सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह इस बहस की शुरुआत करेंगे. एचडी कुमारस्वामी, श्रीकांत शिंदे, शांभवी चौधरी, राजकुमार सांगवान, जीतन राम मांझी, अनुप्रिया पटेल और राजीव रंजन सिंह जैसे एनडीए नेता बोलेंगे.
बताया जा रहा है कि एनडीए आपातकाल, विपक्ष की ओर से फैलाए जा रहे फेक नैरेटिव, कई संवैधानिक संशोधन जैसे मुद्दों को उठा सकता है. बीजेपी के करीब 12-15 सांसद इस बहस में शामिल होंगे. प्रधानमंत्री मोदी 14 दिसंबर को इस पर जवाब देंगे.
संविधान की 75वीं सालगिरह पर ये चर्चा हो रही है. संसद के दोनों सदनों में दो-दो दिन संविधान पर बहस होगी. लोकसभा में 13-14 दिसंबर तो राज्यसभा में 16-17 दिसंबर को चर्चा होगी. लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तो राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह चर्चा की शुरुआत करेंगे.