Vande Mataram Rajya Sabha Debate Live Updates: संसद के शीतकालीन सत्र में तमाम मुद्दे उठ रहे हैं. दोनों ही सदनों में SIR, BLO की मौतों और इंडिगो संकट का मुद्दा उठ रहा है. कई बार बहसें हंगामों में भी तब्दील हो जा रही हैं. इसी बीच मंगलवार को राज्यसभा में भी बड़ी बहस होने जा रही है. सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् पर जोरदार बहस हुई. आज इसी मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा हुई. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत की थी. इस दौरान राधा मोहन दास अग्रवाल, के लक्ष्मन, घनश्याम तिवारी और सतपाल शर्मा ने भी अपने पक्ष और तर्क सामने रखे.
संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन राज्यसभा में वंदे मातरम के 150वें वर्षगांठ के मुद्दे पर बहस जोरदार रही. इस दौरान कई बार हंगामा मचा. विपक्ष के नारों और सभापति के बार-बार समझाने के बावजूद सदन अनियंत्रित हो गया. हालांकि चर्चाओं का दौर जारी रहा और कई वक्ताओं ने इस मौके पर अपने संबोधन दिए. देर शाम 8 बजे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. सदन की कार्यवाही अब 10 दिसंबर सुबह 11 बजे से फिर से शुरू होगी.
बीजेपी सांसद डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने विपक्ष पर हिंदुओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक नेता ने दूसरे सदन में बयान दिया कि “हिंदू 24 घंटे हिंसा और नफरत फैलाते हैं.” उन्होंने कहा कि देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था और कांग्रेस आज भी हिंदुओं को अपमानित करने की राजनीति करती है.
उन्होंने विपक्ष पर “टुकड़े-टुकड़े गैंग” का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी नेता भारत को देश नहीं बल्कि “यूनियन ऑफ स्टेट्स” बताते हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बाबरी मस्जिद का अस्तित्व खत्म हो चुका है, लेकिन विपक्ष अभी भी बाबर और बाबरी मस्जिद की राजनीति करता है.
संजय सिंह ने क्रांतिकारियों का उदाहरण देते हुए कहा “जब शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और खुदीराम बोस वंदे मातरम् का नारा लगाकर फांसी के फंदे पर चढ़ रहे थे, तब आपके पुरखे क्या कर रहे थे?”
उन्होंने दावा किया कि वे 31 वर्षों से खुदीराम बोस की जयंती आयोजित करते आ रहे हैं. संजय सिंह ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने बंगाल के तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर को पत्र लिखकर “भारत छोड़ो आंदोलन” को असफल करने की सिफारिश की थी.
उन्होंने कहा—
“आप जिन्ना से अपने रिश्ते क्यों नहीं बताते? फजलुल हक की सरकार में आपके नेता मंत्री थे, वही फजलुल हक बाद में पाकिस्तान के गृहमंत्री बने.”
संजय सिंह ने कहा कि देश की आजादी के आंदोलन में RSS की भूमिका नहीं थी. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, 'RSS के चार लोगों का नाम बताइए जो वंदे मातरम् कहकर जेल गए हों.'
उन्होंने दावा किया कि उनके मुताबिक RSS ने 52 साल तक अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया और जब तीन युवकों ने झंडा फहराया तो संगठन ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कराई.
संजय सिंह ने सदन में 28 दिसंबर 1949 के ऑर्गेनाइज़र (RSS का पत्र) का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि पत्र ने राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ पर सवाल उठाए थे.
उनके अनुसार पत्र में लिखा था कि राष्ट्रगान “सिर्फ एक मनोरंजन की वस्तु” है.
बहस के दौरान जब विपक्ष के नेता ने “दलित” शब्द का उपयोग किया तो BJP सांसदों ने आपत्ति जताई. इस पर संजय सिंह ने कहा, “क्या दलित, पिछड़े और आदिवासी भारत माता के बच्चे नहीं हैं?”
लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर चली विशेष चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि सरकार देशभक्ति के नारों को अपने 'गुनाहों को छिपाने का माध्यम' बना रही है.
संजय सिंह ने सदन में कहा,
“वंदे मातरम् का मतलब मातृभूमि की वंदना है, लेकिन आप मातृभूमि को बेचकर वंदना कर रहे हैं.” उन्होंने उत्तर प्रदेश की एक घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि व्यापारी बिजली न मिलने की शिकायत लेकर पहुंचे, लेकिन मंत्री “जय श्रीराम” और “बजरंगबली की जय” बोलकर चले गए.
संजय सिंह ने सवाल किया “क्या भगवान राम ने कहा है कि जनता को अंधेरे में रखो?”
भाषण के दौरान मनोज झा ने स्पष्ट कहा, “मैं कांग्रेस का नहीं हूँ, लेकिन नेहरूवादी, गांधीवादी और अंबेडकरवादी मानता हूँ. आज ये तीनों धरती पर आएं तो एक मोर्चा बना लेंगे.”
उन्होंने अमृता शेरगिल द्वारा जवाहरलाल नेहरू को लिखी 1937 की एक चिट्ठी का ज़िक्र करते हुए राजनीतिक विनम्रता का उदाहरण रखा.
इतिहास को चुनिंदा तरीके से पेश करने पर टिप्पणी करते हुए झा बोले: “लोग इतिहास पूरा नहीं पढ़ते, केवल सेमी-कॉलन के बाद का हिस्सा पढ़ते हैं.” “मेरा इतिहासबोध 2014 के बाद का नहीं, उससे पहले का भी है.”
“वंदे मातरम् का उत्सव ज़रूर मनाएँ, लेकिन इसे राजनीतिक हथियार न बनाएं. महापुरुषों को अपनी राजनीति का अवसर न बनाएं.”
सांसद मनोज झा ने आज के राजनीतिक माहौल को लेकर चिंता जताई: उन्होंने कहा- “ध्रुवीकरण आज की जिंदगी का हिस्सा बन गया है.”
“क्या बंकिम बाबू ने सोचा था कि देश ऐसे बंटेगा?” “कुछ महीने पहले आई लव महाकाल बनाम आई लव मोहम्मद को लेकर झगड़ा करा दिया गया.”
उन्होंने कहा: “चुनाव जीतना कला हो सकती है, लेकिन यदि चुनाव जीत जाएँ और देश हार जाए—यह कौन सा वंदे मातरम् है?”
वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर राज्यसभा में हुई विशेष चर्चा के दौरान राजद सांसद प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने सरकार और मौजूदा राजनीति पर कड़ा सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ गीत का उत्सव नहीं, बल्कि देश की वर्तमान सामाजिक स्थिति का मूल्यांकन करने का भी मौका है. मनोज झा ने अपने भाषण की शुरुआत एक रूपक से की उन्होंने कहा- “वर्षगांठ में ‘गांठ’ और सालगिरह में ‘गिरह’ होती है. इन्हें समझे बिना उत्सव अधूरा है.”
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् देश की सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता का प्रतीक है
यह बंगाल में लिखा गया,
लेकिन सारे देश की सीमाएं पार कर गया,
क्योंकि इसके शब्द ही नहीं, इसकी स्पिरिट भी सर्वमान्य थी.
राज्यसभा में हंगामा जारी है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने अचानक ही तेज आवाज में दलितों का मुद्दा उठाया और बोले- दलितों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलता. उन्हें बारात में घोड़ी नहीं चढ़ने दिया जाता है. मैं पूछता हूं कि दलितों से इतनी नफरत क्यों है? इस पर जेपी नड्डा फिर से खड़े हुए और बोले- यहां विरोध दलितो का नहीं है. बस इतना है कि आप विषय से अलग हट कर बोल रहे हैं. आपको समय वंदेमातरम् के लिए दिया गया है. जेपी नड्डा ने खड़गे को टोका, नड्डा ने कहा- आज वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही है, तो उस पर कीजिए, आप दूसरे मुद्दे उठा रहे हैं. ये डिबेट का तरीका नहीं है.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने वंदे मातरम् पर बोलते हुए अलग मुद्दों का जिक्र किया तो उनके बयान पर राज्यसभा में उन्हें टोकते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है, लेकिन डिबेट का एक स्तर है. अगर आप विदेश नीति या आर्थिक नीति पर डिबेट चाहते हैं तो ठीक है, लेकिन अभी वंदे मातरम से अलग विषय पर मत जाइए. इसके बाद राज्यसभा में काफी शोर शराबा होने लगा. पीठासीन ने सभी को अपनी सीट पर बैठने को कहा.
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आप नेहरू जी के नाम को नीचा करना चाहते हैं पर वो सबसे ऊंचे हैं और ऊंचे ही रहेगें और आप नीचे हैं और नीचे ही रहेगें. हमारे पूर्व राष्ट्रपति ने जो कहा उसको भी नहीं मानते हैं, आप किसको मानते हैं. हमारे पड़ोसी देशों में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, हमारा प्रभाव घट रहा है. आपकी 56 ईंच की छाती तो रहने दो, आपकी छाती का देश को फायदा क्या हुआ? चीन के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल सकते. आपके विदेश मंत्री स्वीकार कर चुके हैं कि भारत अभी छोटी अर्थव्यवस्था है और चीन का मुकाबला नहीं कर सकते. पीएम ने खुद 19 जून 2020 को क्लीनचिट दी ती और कहा था कि न कोई घुसा है और न ही कोई घुस आया है.
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पीएम मोदी जी को देश से माफी मांगनी चाहिए. आजादी के लिए जान देने वाले लोगों, जेल में रहने वाले महापुरुषों का अपमान कर रहे हैं. आपने देश की आजादी की लड़ाई भी नहीं लड़ी. हम आजादी लेकर आए. आप संविधान को मानने वाले नहीं हैं. हमसे कहते हैं कि आपने क्या किया. क्या आपके घर में नौकरी करना है? हमने जो किया देश के लिए किया.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- मैं पूछता हूं कि क्या आप भी भ्रष्ट हैं. आपकी सरकार की हालत तो बदतर से बदतर हो गई है. आज डॉलर 100 रुपये हो गया, जैसे हिमालय से गिरने के बाद लोगों के शव के टुकड़े नहीं मिलते, वैसे ही आज भारतीय रुपए की स्थिति हो गई है. जेपी नड्डा ने मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण का खड़े होकर विरोध किया.
राज्यसभा में हंगामा बढ़ गया है. मल्लिकार्जुन खड़गे वंदे मातरम् पर बोलते हुए रुपये की गिरती वैल्यू पर आ गए. इस पर सत्ता पक्ष ने शोर मचाना शुरू कर दिया. खड़गे ने कहा- रुपये के गिरते स्तर पर मोदी ने 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था कि देश जानना चाहता है कि ऐसा क्या कारण है कि सिर्फ भारत का रुपया डॉलर के मुकाबले गिरता ही चला गया, गिरता ही चला गया. ये सिर्फ आर्थिक कारणों से नहीं हुआ. ये आपकी भष्ट्र राजनीति के कारण हुआ.
राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान बड़ा हंगामा हो गया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर सीधा पलटवार किया. उन्होंने कहा- 'जब महात्मा गांधी ने 1921 में Cooperation Movement शुरू किया, तब कांग्रेस के लाखों स्वतंत्रता सेनानी वंदे मातरम कहते हुए जेल गए. आप उस समय क्या कर रहे थे? आप अंग्रेजों के लिए काम कर रहे थे.'
खड़गे ने कहा, 'पीएम मोदी कोई मौका नहीं छोड़ते नेहरू जी का अपमान करने का, और गृह मंत्री अमित शाह भी वही करते हैं.'
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 'वंदे मातरम' को नारा बनाने का काम किया. आपका इतिहास रहा है कि आप हमेशा स्वतंत्रता संग्राम और देशभक्ति गीतों के खिलाफ रहे.' पहले आप देशभक्ति के नाम से डरते थे.
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वंदे मातरम् की चर्चा में हिस्सा लिया. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के बयानों पर उनका पलटवार किया. स्पीच शुरू करने से पहले खड़गे ने वंदे मातरम्,के नारे लगाए. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री के बोलने के बाद मुझे समय दिया, सभापति का इसके लिए धन्यवाद. मैं सौभाग्यशाली हूं. मैं 60 सालों से यही गीत गा रहा हूं. वंदे मातरम् नहीं गाने वालों ने अभी शुरूआत की है. कांग्रेस की तरह से बंकिमजी को नमन करता हूं. आजादी के आंदोलन में जिन लोगों ने बलिदान दिया, उनको भी नमन है. 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में रविन्द्रनाथ टैगोर ने पहली बार वंदे मातरम् गाया था.
अमित शाह ने राज्यसभा में कहा- कांग्रेस के जिस जिस सांसद ने वंदे मातरम् नहीं गाने पर बयान दिया. सदन से बाहर चले गए, मैं इसकी लिस्ट आज शाम तक सदन के पटल पर रख दूंगा. इस सदन के चर्चा के रिकॉर्ड में रहना चाहिए कि कांग्रेस के सांसद वंदे मातरम् का विरोध करते हैं बंकिम चंद्र की 130वीं जयंती पर हमारी सरकार ने एक स्टांप जारी किया. आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर हर घर तिरंगा अभियान भी हमने शुरू किया और आह्वान किया था तिरंगा फहराते वक्त वंदे मातरम् का कहना भूलना नहीं है.
अमित शाह ने कहा, जिस गान को गांधी ने राष्ट्र की शुद्धतम आत्मा से जुड़ा गीत कहा, वो वंदे मातरम् का टुकड़ा करने का काम कांग्रेस ने किया. वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन को गति दी. श्यामजी कृष्ण वर्मा, मैडम भीखाजी कामा और वीर सावरकर ने भारत का त्रिवर्ण ध्वज निर्मित किया था, उस पर भी स्वर्णिम अक्षर में एक ही नाम लिखा था- वंदे मातरम्. भारतीय जनता पार्टी का एक भी सदस्य वंदे मातरम् गान के समय सम्मान के साथ खड़ा न हो ऐसा हो ही नहीं सकता.
वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, 'मैं कल देख रहा था कि कांग्रेस के कई सदस्य वंदे मातरम की चर्चा को राजनीतिक हथकंडा या मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथियार मान रहे थे. हम मुद्दों पर चर्चा करने से नहीं डरते. संसद का बहिष्कार हम नहीं करते. अगर संसद चलने दी जाए तो सभी मुद्दों पर चर्चा होगी. हमारे पास छिपाने को कुछ नहीं है.'
Vande Mataram Debate: राज्यसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर तीखा हमला बोला. शाह ने कहा, 'नेहरू जी ने वंदे मातरम के दो टुकड़े किए. तुष्टिकरण के लिए वंदे मातरम का विरोध किया गया.' उन्होंने आगे कहा कि जब वंदे मातरम के 100 साल पूरे होने पर देश जश्न मनाता, तब देश को आपातकाल में डाल दिया गया. अमित शाह की इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सदन में हंगामा हुआ.
गृहमंत्री ने कहा, 'गुलामी के कालखंड में वंदे मातरम् गीत ने घनघोर अंधेरे के बीच लोगों के मन में आजादी के खिलाफ लड़ने का जोश जगाया. जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ, पूरे देश को बंदी बना दिया गया. जब 150 साल पर कल सदन में चर्चा शुरू हुई, गांधी परिवार के सदस्य नदारद थे. वंदे मातरम का विरोध नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस नेतृत्व के खून में है. कांग्रेस पार्टी की एक नेत्री ने लोकसभा में कहा कि वंदे मातरम पर अभी चर्चा की कोई जरूरत नहीं है.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- वंदे मातरम् में भारत माता को सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा के स्वरूप बताया गया है. विद्या, संपन्नता और वीरता हमारी मिट्टी से ही मिलती है. उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा, 'प्रभु राम ने लंका में रहने का प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा था कि माता और मातृभूमि ईश्वर से भी बड़ी होती है. यही भाव बंकिम बाबू ने वंदे मातरम के जरिए जीवित किया.'
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अमित शाह ने कहा कि भारत की सीमाएं अधिनियम से नहीं, बल्कि संस्कृति से तय हुई हैं. 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को लेकर जागरूक करने का काम बंकिमचंद्र ने किया. जब अंग्रेजों ने प्रतिबंध लगाया, तब बंकिम बाबू ने लिखा कि मेरे सारे साहित्य को गंगा में बहा दो, लेकिन वंदे मातरम जन-जन का गान होगा.'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम ने देश को जागरूक किया और यह चर्चा हमेशा जरूरी रहेगी.' अमित शाह ने बताया कि अंग्रेजों के दौर में वंदे मातरम बोलने वालों पर कोड़े बरसाए जाते थे, फिर भी यह गीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला. 'अंग्रेजों ने नई संस्कृति थोपने की कोशिश की थी, लेकिन वंदे मातरम् उस समय पुनर्जागरण का मंत्र था.'
अमित शाह ने कहा- वंदे मातरम् के टुकड़े हुए तो देश बंट गया. 50वें पड़ाव पर वंदे मातरम् के टुकड़े किए गए थे. तुष्टिकरण न होता तो देश का बंटवारा न होता.
अमित शाह ने कहा- '7 नवंबर, 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी की वंदे मातरम् रचना पहली बार सार्वजनिक हुई थी. शुरुआत में इसे एक उत्कृष्ट साहित्यिक कृति माना गया, लेकिन जल्द ही यह गीत देशभक्ति, त्याग और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गया, जिसने आज़ादी के आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया. अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है, जिसने लाखों लोगों को प्रेरित किया.'
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय समर्पण का आह्वान हमेशा से जरूरी रहा है और 2047 में भी महत्वपूर्ण रहेगा. उन्होंने भारत की पहचान और लोकतांत्रिक भावना में इसके स्थायी स्थान पर जोर दिया.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- 'वंदे मातरम सिर्फ बंगाल तक या देश तक सीमित नहीं रहा. दुनिया भर में जहां तक आजादी के दीवाने थे, उन्होंने इसका गुणगान किया. जब सरहद पर एक जवान अपने प्राण त्यागता है, तो उसकी जुबान पर वंदे मातरम् होता है.'
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, 'वंदे मातरम् के यशोगान के लिए चर्चा के लिए हम यहां आए है. चर्चा के जरिए हमारे देश के किशोर, युवा, आने वाली पीढ़ियों तक वंदे मातरम् का योगदान पता चले. हम सब सौभाग्यशाली है कि हमें एतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं. इस महान सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही है तब कल कुछ सदस्यों ने लोकसभा में सवाल किया था इस चर्चा की जरूरत क्या है. चर्चा की जरूरत वंदे मातरम् के प्रति समर्पण के प्रति जरूरत जब यह बना तब भी थी और अब भी है.'
अमित शाह ने कहा- 'जिनको आज वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों हो रही है समझ नहीं रही है उनको अपने समझ पर विचार करने की जरूरत है
कुछ लोग इसको बंगाल चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं वो सही नहीं है
ये सही है कि बंकिम बाबू की पृष्टभूमि बंगाल थी लेकिन वंदे मातरम् बंगाल तक समिति नहीं था
आज भी सरहद पर जवान अपना सर्वोच्च बलिदान देता है उसके मुंह पर एक ही मंत्र होता है वो है वंदे मातरम्
वंदे मातरम् का नारा आजादी के उद्घोष का नारा बन गया था. वह आजादी का प्रेरणा स्रोत बना था.
वंदे मातरम् के दोनों सदनों में चर्चा से हमारे बच्चे, किशोर युवा और आने वाली कई पीढ़ियां वंदे मातरम् के महत्व को समझेगी.'
वंदे मातरम् की रचना में राष्ट्रभक्ति और राष्ट्र की संस्कृति का जो भाव है और संस्कृति के साथ जुड़ाव आने वाली पीढ़ियों का जुड़ाव हो
हम सब सौभाग्यशाली है कि इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं और हिस्सा भी ले रहे हैं
कुछ सदस्यों ने लोक सभा में सवाल उठाया था आज वंदे मातरम् पर आज चर्चा की जरूरत क्या है
वंदे मातरम् पर चर्चा की जरूरत पहले भी थी और आगे भी रहेगी.
अमित शाह ने कहा- वंदे मातरम् आजादी का उद्घोष है. इसकी चर्चा से हमारी आने वाली पीढ़ियां इसकी महिमा समझेंगी
राज्य सभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वंदे मातरम् पर चर्चा शुरू की है.
संसद में वंदे मातरम् पर हो रही चर्चा के बीच कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा, “कांग्रेस का रुख बिल्कुल स्पष्ट है. पार्टी की ओर से मनीष तिवारी बहस की शुरुआत करेंगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हस्तक्षेप करेंगे. कई अन्य वक्ता भी इस मुद्दे पर बोलेंगे. हमारा मुख्य फोकस चुनावी सुधारों पर होगा, खास तौर पर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली, निर्वाचन सूची, डिजिटाइज्ड वोटर लिस्ट और ‘वोट चोरी’ पर. बिहार चुनाव के बाद SIR एक बेहद अहम मुद्दा बन गया है, लोकतंत्र बचाने की राहुल गांधी की लड़ाई के कारण अब चुनाव आयोग पर तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों का दबाव है. INDIA गठबंधन पूरी तरह एकजुट है और हम मताधिकार बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.”
संसद में वंदे मातरम् पर हुई बहस को लेकर समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने कहा, “चर्चा तो विकास पर होनी चाहिए, देश को कर्ज से बाहर निकालने पर होनी चाहिए, समाज में फैल रही सांप्रदायिकता को खत्म करने पर होनी चाहिए, लेकिन यह सरकार सिर्फ हिंदू-मुस्लिम विभाजन पर ही ध्यान दे रही है. वंदे मातरम् का कोई विरोध नहीं करता. रोज़ बोलो, कौन मना करता है? लेकिन किसी की आस्था में दखल देना ठीक नहीं है.”
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने संसद में ‘वंदे मातरम्’ पर हुई बहस को लेकर कहा, “उन्होंने एक ऐसे नारे को राजनीतिक एजेंडा बना दिया है, जो देश के गौरवशाली इतिहास से जुड़ा रहा है. यह नारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ पूरे देश को एकजुट करने वाला रहा है. कल विपक्ष ने सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए मनगढ़ंत तथ्यों का पर्दाफाश किया. वंदे मातरम्’ आज भी देश के लोगों के मन में गूंजने वाला नारा है. उन्हें लगता है कि इससे पश्चिम बंगाल चुनाव में कोई लाभ मिलेगा, लेकिन कल की बहस के बाद देश के सामने इतिहास का सही रूप स्पष्ट हो गया है. मैं आज राज्यसभा में इस बहस का हिस्सा बनकर सरकार का जवाब देने की उम्मीद करती हूं.”
सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसदीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी जी को बिहार के नेताओं की ओर से बिहार जीत पर अभिनन्दन किया गया. राज्य और क्षेत्र के लिए किस तरह काम करना है. उसको लेकर मार्गदर्शन दिया.' उन्होंने कहा, ' पीएम मोदी ने देश के आम आदमी की जिदंगी आसान बनाने के लिए हर क्षेत्र में रिफॉर्म करने की बात कही. किसी नागरिक को कोई तकलीफ ना झेलना पड़े उसको लेकर निर्देश दिया. कोई ऐसा कानून या नियम ना हो जो बिना मतलब आम आदमी को परेशान करें. युवाओं को कनेक्ट करने के लिए खेल कूद जैसे आयोजनों पर जोर दिया.'
पार्लियामेंट्री पार्टी की मीटिंग पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'आज लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा शुरू होगी. राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज वंदे मातरम् पर चर्चा का नेतृत्व करेंगे. कुछ विपक्षी सदस्यों ने कहा है कि वंदे मातरम् पर चर्चा चुनाव की वजह से हो रही है. ऐसा कहना गलत है.'
लोकसभा के बाद अब मंगलवार को राज्यसभा में भी ऐतिहासिक राष्ट्रीय गीत पर विशेष चर्चा होगी. इसको लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. इसी क्रम में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा और पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा. महुआ मोइत्रा ने कहा कि जरूरी मुद्दों को छोड़कर वंदे मातरम पर चर्चा हो रही है. वहीं, पप्पू यादव ने कहा कि भाजपा को इतिहास की जानकारी नहीं है.
संसद में आज SIR पर बड़ी चर्चा के आसार हैं. ऐसे में पीएम मोदी NDA संसदीय दल की बैठक के लिए पहुंच गए हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, जेडीयू सांसद संजय झा, NCP सांसद प्रफुल्ल पटेल, केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर सहित NDA के कई अन्य नेता संसदीय दल की इस बैठक में शामिल हो रहे हैं.
राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे शुरू हो गई है.
राज्यसभा में आज ‘वंदे मातरम्’ पर विशेष चर्चा होने वाली है. यह चर्चा दोपहर 1 बजे से शुरू होगी. गृह मंत्री अमित शाह बीजेपी की ओर से चर्चा की शुरुआत करेंगे, जबकि भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा इस चर्चा का समापन करेंगे.
अन्य वक्ताओं में राधा मोहन दास अग्रवाल, के. लक्ष्मण, घनश्याम तिवारी, सतपाल शर्मा शामिल हैं.