संसद ने गुरुवार को परमाणु ऊर्जा से जुड़ा अहम विधेयक पारित कर दिया. राज्यसभा ने सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल को ध्वनिमत से मंजूरी दी. इसके साथ ही देश के सख्त नियंत्रण वाले सिविल परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी का रास्ता साफ हो गया है. यह विधेयक इससे पहले बुधवार को लोकसभा से पारित हो चुका था.
विधेयक पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया (X) पर अपनी खुशी जाहिर की. उन्होंने इसे भारत के तकनीकी परिदृश्य के लिए एक 'परिवर्तनकारी क्षण' बताया. पीएम ने एक्स पोस्ट में लिखा, "संसद के दोनों सदनों से SHANTI बिल का पास होना हमारे टेक्नोलॉजी माहौल के लिए एक बड़ा बदलाव लाने वाला पल है. जिन MPs ने इसे पास करने में मदद की, उनका मैं शुक्रगुजार हूं. AI को सुरक्षित रूप से पावर देने से लेकर ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग को मुमकिन बनाने तक, यह देश और दुनिया के लिए क्लीन-एनर्जी भविष्य को एक बड़ा बढ़ावा देता है. यह प्राइवेट सेक्टर और हमारे युवाओं के लिए भी कई मौके खोलता है. यह भारत में इन्वेस्ट करने, इनोवेट करने और बनाने का सबसे अच्छा समय है!"
इससे पहले राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए परमाणु ऊर्जा विभाग में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह बिल भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और अन्य ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करने की दिशा में बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा 24x7 भरोसेमंद बिजली उपलब्ध कराने वाला स्रोत है, जबकि अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में यह निरंतरता नहीं है.
'देश 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल कर सकता है'
मंत्री ने बताया कि वर्ष 2025 में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता 8.9 गीगावॉट तक पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा, “अगर 2047 तक तय रोडमैप पर अमल हुआ, तो देश 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल कर सकता है, जो कुल ऊर्जा जरूरत का करीब 10 फीसदी होगा.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते इस्तेमाल के कारण भविष्य में ऊर्जा जरूरतें काफी हद तक परमाणु स्रोतों पर निर्भर होंगी.
निजी क्षेत्र की भागीदारी को लेकर उठे सवालों पर सिंह ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में निजी निवेश खोलने के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं. उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि निजी भागीदारी और एफडीआई की अनुमति के बाद आज भारत का स्पेस इकोनॉमी 8 अरब डॉलर का हो चुका है और अगले कुछ वर्षों में इसके 45 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
परमाणु सुरक्षा मानकों से कोई समझौता नहीं: मंत्री
सुरक्षा को लेकर आशंकाओं को खारिज करते हुए मंत्री ने कहा कि परमाणु सुरक्षा मानकों से कोई समझौता नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि सुरक्षा प्रावधान और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) वही हैं, जो 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम में थे. उन्होंने कहा, “SOP में साफ लिखा है पहले सुरक्षा, फिर उत्पादन.” साथ ही उन्होंने दावा किया कि अब तक आम जनता को किसी भी तरह के विकिरण खतरे की कोई रिपोर्ट नहीं आई है.
चर्चा में हिस्सा लेते हुए IUML सांसद हारिस बीरन ने आरोप लगाया कि यह विधेयक भोपाल गैस त्रासदी के बाद बने दायित्व ढांचे को कमजोर करता है. वहीं CPI सांसद पीपी सुनीर ने इसे संवेदनशील क्षेत्र में “खतरनाक जल्दबाजी” करार दिया. दूसरी ओर, TDP सांसद मस्तान राव यादव बीधा ने इसे ऐतिहासिक विधेयक बताते हुए कहा कि यह 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम और 2010 के सिविल न्यूक्लियर लायबिलिटी कानून को आधुनिक, एकीकृत ढांचे में समेटता है.
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