13 दिसंबर 2001: वो तारीख, जब संसद तक पहुंचा था आतंक का साया, जानें पूरी कहानी

हमले की सुबह संसद भवन परिसर में एक सफेद रंग की एम्बेसडर जिसका नंबर DL-3 CJ 1527 था. तेज रफ्तार से प्रवेश करती इस कार ने पहले  उपराष्ट्रपति की कार को टक्कर मारी. जिसके बाद उपराष्ट्रपति की कार के ड्राइवर ने आतंकियों की गाड़ी चला रहे चालक का कॉलर पकड़ लिया. ड्राइवर को कुछ समझ आता इससे पहले ही आतंकियों की बंदूक देखकर वह पीछे हटे. वहां मौजूद पुलिस एएसआई ने आतंकियों पर रिवाल्वर तान दी जिसके बाद  गोलियां की बौछार शुरू हो गई.

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13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हमला हुआ था.(फाइल फोटो) 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हमला हुआ था.(फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:32 AM IST
  • पांच आतंकियों समेत कुल 14 लोगों की हुई थी मौत
  • पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई की भी हमले में थी भूमिका

देश की राजधानी दिल्ली स्थित संसद भवन पर हमले की आज यानी 13 दिसंबर 2020 को 19वीं बरसी है.  आज ही के दिन 2001 की सुबह आतंक लोकतंत्र के मंदिर तक पहुंचा था. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और सुरक्षाबलों के पहरे के बाद भी आतंकी संसद भवन के परिसर तक पहुंचने में कामयाब रहे थे. इस हमले से हर कोई अवाक था.

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जिस समय यह हमला हुआ था. उस वक्त संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था.  संसद के दोनों सदन कुछ देर के लिए स्थगित हुए थे. दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी संसद भवन से जा चुके थे. हालांकि लालकृष्ण आडवाणी समेत 100 अन्य लोग संसद भवन में ही मौजूद थे.

हमले की सुबह संसद भवन परिसर में एक सफेद रंग की एम्बेसडर जिसका नंबर DL-3 CJ 1527 था. तेज रफ्तार से प्रवेश करती इस कार ने पहले  उपराष्ट्रपति की कार को टक्कर मारी. जिसके बाद उपराष्ट्रपति की कार के ड्राइवर ने आतंकियों की गाड़ी चला रहे चालक का कॉलर पकड़ लिया. ड्राइवर को कुछ समझ आता इससे पहले ही आतंकियों की बंदूक देखकर वह पीछे हटे. वहां मौजूद पुलिस एएसआई ने आतंकियों पर रिवॉल्वर तान दी जिसके बाद  गोलियों की बौछार शुरू हो गई.

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जहां देश के लिए नीतियां और कानून बनते हैं, वो परिसर अब किसी युद्ध के मैदान जैसा लगने लगा था. ना नेताओं का हल्ला ना किसी की आवाजाही. सिर्फ गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी. अफरा-तफरी के माहौल के बीच एक आतंकी ने खुद को संसद भवन के गेट के पास उड़ा लिया. हमले की गतिविधियां बढ़ते ही सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और आतंकियों को मार गिराया था.

दिल्ली पुलिस के मुताबिक मारे गए पांच आतंकियों में हमजा, हैदर उर्फ तुफैल, राना, रनविजय और मोहम्मद शामिल थे. भारतीय कोर्ट के मुताबिक इस हमले में मौलाना मसूद अजहर, गाजी बाबा उर्फ अबू जेहादी और तारिक अहमद का भी हाथ था. जांच में हमले के मास्टरमाइंड के नाम भी सामने आए थे.

इस हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ-साथ मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन (अफजल गुरु का चचेरा भाई) एस ए आर  गिलानी शामिल थे. इन आतंकियों को मौत की सजा सुनाई गई थी. अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी.

इस हमले में पांच आतंकी समेत कुल 14 लोग मारे गए थे. सबसे पहले घटनास्थल पर कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव शहीद हुईं थीं. इस घटना में दिल्ली पुलिस के 6 जवान और संसद भवन की सुरक्षा सेवा के दो कर्मचारी और संसद के एक माली की मौत हुई थी.

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