पहले परमाणु तकनीक बेचता रहा है पाकिस्तान, इस बार एटम बम बेचेगा?: दिन भर, 23 जनवरी

पाकिस्तान अपनी माली हालत सुधारने के लिए क्या न्यूक्लियर हथियारों का सौदा कर सकता है और ये कितना आसान है? उत्तर प्रदेश में मनरेगा फ़ंड को लेकर क्या धांधली सामने आई है, जोशीमठ की त्रासदी का बद्रीनाथ की यात्रा पर क्या असर पड़ेगा और इंडियन नेवी में शामिल हुए पनडुब्बी वागीर की ख़ासियतें क्या हैं, सुनिए आज के 'दिन भर' में नितिन ठाकुर से.

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कुमार केशव / Kumar Keshav

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  • 23 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान का हाल दिन-बदिन ख़राब होता जा रहा है. पाकिस्तान के लोगों को अनाज के लाले पड़े हुए हैं. आलम कुछ ऐसा है कि गरीबों को दो वक़्त की रोटी भी ठीक से मोहताज नहीं हो रही है. आटा, चावल, सब्जी समेत कई तरह के जरूरी घरेलू सामान के दाम आसमान छू रहे हैं. सोशल मीडिया पर  कई ऐसे वीडियो सामने आये हैं, जिसमें लोग खाने-पीने के सामान के लिए आपस में मारा-मारी कर रहे हैं. माली हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि आज भी कराची के कई इलाक़े अँधेरे में डूब गए. 

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पाकिस्तान बेच देगा परमाणु बम?

आज की तारीख़ में पाकिस्तान पर दुनिया का क़र्ज़ 100 अरब डॉलर के आसपास है और उसके पास विदेशी मुद्रा का भंडार सिर्फ 4.3 अरब डॉलर बचा है, जो नौ सालों में सबसे निचले स्तर पर है. इतने में पाकिस्तान अपने एक महीने का इम्पोर्ट बिल भी नहीं भर सकता है. इस बीच एक ख़बर सामने आई है जिसमें कहा जा रहा है कि अपनी डांवाडोल इकोनॉमी को बचाने के लिए पाकिस्तान अपने परमाणु बम बेच सकता है. ये शिगूफ़ा कहाँ से निकला और इसमें कितना दम है, क्या न्यूक्लियर एसेट्स का सौदा इतना आसान है और पाकिस्तान के लिए अब आगे रास्ता क्या है?


मनरेगा में धांधली क्यों नहीं रुक रही?

मनरेगा - महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी क़ानून - 2005 में अस्तित्व में आया. एक ऐसा कानून जिसमें हर ग्रामीण परिवार के सभी वयस्कों को एक न्यूनतम मज़दूरी पर 100 दिनों का रोज़गार देने की बात कही गई है. तब से ये योजना गाँव-जवार में रोज़ी-रोटी ढूँढ़ने वालों के लिए एक तरह से संजीवनी बनकर उभरी. मनरेगा को कभी 'कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक' बताने वाली बीजेपी ने भी इसे जारी रखा.

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आपको याद होगा कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में हुए रिवर्स माइग्रेशन ने बेरोजगारी का व्यापक संकट खड़ा कर दिया था और इस दौरान मनरेगा योजना ही मज़दूरों की लाइफ़लाइन बनी. लेकिन हर सरकारी योजना की तरह ये भी गड़बड़ी और गबन से रहित नहीं है. अब उत्तर प्रदेश में इस योजना को लागू करने में बड़ी अनियमितता सामने आई है. किस तरह की गड़बड़ी देखने को मिली है और कौन से ज़िले हैं जहाँ सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.

बद्रीनाथ यात्रा के लिए नए नियम?

उत्तराखंड के जोशीमठ में आयी त्रासदी ने कई तरह के संकट खड़े कर दिए हैं. स्थानीय लोग तो इसकी मार झेल ही रहे हैं, अब बद्रीनाथ की यात्रा करने के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों को भी परेशानी होने वाली है. जोशीमठ को बद्रीनाथ का द्वार कहा जाता है और यहाँ हजारों तीर्थयात्री आते हैं. आवागमन के लिए  भारी संख्या में गाड़ियों का इस्तेमाल भी होता है. लेकिन अब जोशीमठ में कई स्थानों को डेंजर ज़ोन में रखे जाने पर बद्रीनाथ तक के जाने वाले रास्ते इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

राज्य सरकार का कहना है कि जोशीमठ के कारण बद्रीनाथ यात्रा प्रभावित नहीं होगी और यह योजना के अनुसार होगी. मौसम को देखते हुए चार धाम सड़क परियोजना के तहत बद्रीनाथ के लिए बाईपास तैयार किया जा रहा है, जो जोशीमठ से लगभग 9 किमी पहले हेलंग से शुरू होता है. लेकिन यह परियोजना अभी आधी अधूरी है. स्थानीय लोगों के विरोध के बाद बाईपास परियोजना पर काम रोक दिया गया है. जिस कारण ये मई के पहले हफ्ते तक तैयार नहीं हो सकता है, जब आम तौर पर यात्रा शुरू होती है.

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हाल के कुछ सालों में तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी ने स्थानीय अधिकारियों के संकट को बढ़ा दिया है.अगर आंकड़ों की बात करें तो 2016 में साढ़े 6 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ गए थे. लेकिन 2022 में यह संख्या बढ़कर साढ़े 17 लाख के पार हो गई. यही संख्या प्रशासन और जानकारों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. तो अब सवाल है कि इस जोशीमठ में त्रासदी के बाद क्या सरकार बद्रीनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या को रेगुलेट करने वाली है, क्या नए नियम बनाए जाने की बात हो रही है और जोशीमठ में अभी क्या स्थिति है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

नौसेना में 'साइलेंट शार्क'

और अब बात करते हैं 'वागीर' की जो आज भारतीय नौसेना में शामिल हो रही है। कलवारी क्लास की इस पांचवी पनडुब्बी को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप ने तैयार किया है. इसकी लंबाई 67 मीटर और ऊंचाई 21 मीटर है. स्पीड की बात करें तो ये पानी के ऊपर बीस किलोमीटर पर-आवर और पानी के अंदर चालीस किलोमीटर पर-आवर की स्पीड से चल सकती है. कैपेसिटी पचास लोगों की है और ये पूरी तरह से 16 टोरपीडोज़ , माइंस और मिसाइल्स से लैस है.

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आज इसे नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया, इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार चीफ़ गेस्ट रहे.  ये अहम इसलिए भी है क्योंकि ये उस वक्त हो रहा है जब चीन हिंद महासागर इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है. इस पनडुब्बी के बारे में कहा जा रहा है कि ये देश में बनने वाली पनडुब्बियों में अब तक सबसे कम वक्त में बनने वाली पनडुब्बी है. पहली बार ये 1973 में कमीशन हुई थी बाद में, 2001 में इसे डी-कमीशन कर दिया गया था... तो क्या ये वही पनडुब्बी है और साथ ही ये भी बताइये कि इस वागीर पनडुब्बी में और कौन कौन सी खूबियां है.. जो इसे इतना मॉडर्न और अपडेटेड बनाती हैं और और वागीर को साइलेंट शार्क क्यों कहा जा रहा है?

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