Exclusive : भारत को दहलाने की साजिश! ISI की PoK में आतंकी संगठनों के साथ हुई मीटिंग

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और कई आतंकी संगठनों के लीडर्स के बीच हाल ही में मीटिंग हुई है. बताया जा रहा है कि ये बैठक PoK के मुजफ्फराबाद में हुई . इस मीटिंग में भारत और जम्मू कश्मीर को कैसे दहलाया जा सकता है, इस पर चर्चा हुई.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 8:07 AM IST
  • PoK के मुजफ्फराबाद में हुई मीटिंग
  • जम्मू कश्मीर में हमले की रची गई साजिश
  • भारतीय खुफिया एजेंसी ने जारी किया अलर्ट

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और कई आतंकी संगठनों के लीडर्स के बीच हाल ही में मीटिंग हुई है. बताया जा रहा है कि ये बैठक PoK के मुजफ्फराबाद में हुई . इस मीटिंग में भारत और जम्मू कश्मीर को कैसे दहलाया जा सकता है, इस पर चर्चा हुई.   

आज तक को भारतीय खुफिया एजेंसी के सूत्रों से यह जानकारी मिली है. सूत्रों के मुताबिक, 21 सितंबर को आईएसआई अफसरों और आतंकी संगठनों के बीच बेहद गोपनीय यह बैठक हुई है. इस बैठक को लेकर भारतीय खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट भी जारी किया है. आज तक के पास अलर्ट की कॉपी भी है. 

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जम्मू कश्मीर में हमले की रची गई साजिश
बताया जा रहा है कि आईएसआई और आतंकी संगठनों के बीच मुजफ्फराबाद में हुई बैठक में जम्मू कश्मीर में बड़े पैमाने पर आतंकी हमले करने का प्लान बनाया गया है. बैठक में तय किया गया है कि कश्मीर में टारगेट किलिंग ज्यादा से ज्यादा की जाएं. 

टारगेट किलिंग और हमलों की जिम्मेदारी लेने के लिए नए नए नाम से आतंकवादी संगठन तैयार किए जा रहे हैं.  ये संगठन हमलों की जिम्मेदारी लेकर जांच एजेंसियों को गुमराह करेंगे. मीटिंग में तय हुआ था की पुलिस के खबरियों, सुरक्षा बलों के साथ काम करने वालों, खुफिया विभागों में काम करने वाले कश्मीरियों की हत्या की जानी हैं.  

आईएसआई ने बनाई लिस्ट 
इसके अलावा जम्मू कश्मीर में गैर कश्मीरी लोगों, भाजपा-संघ से जुड़े लोगों को टारगेट करने की साजिश रची गई है. आईएसआई ने शुरुआती 200 लोगों की एक हिट-लिस्ट भी बनाई है, जिनकी हत्या से सनसनी फैलाने की कोशिश की जाएगी, इसमें कई कश्मीरी पंडितों के भी नाम हैं, जो पंडितों की घर वापसी को लेकर सक्रिय हैं. 

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हत्याओं के लिए उन आतंकवादियों का इस्तेमाल किया जाएगा जो अभी तक सुरक्षा बलों की नजर में नहीं हैं, इसके लिए बड़ी तादाद में ऐसे कश्मीरियों का इस्तेमाल किया जाएगा जो आतंकवादियों के हमदर्द हैं, लेकिन लंबे अरसे से किसी वारदात में शामिल नहीं रहे हैं.

 

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