INDIA गठबंधन के 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के लिए रवाना, हिंसा पीड़ितों से करेंगे मुलाकात

मणिपुर हिंसा में जमीनी हालातों को जानने के लिए विपक्षी दलों के 21 सांसदों का डेलिगेशन शनिवार मणिपुर के लिए रवाना हो गया है. 2 दिवसीय इस दौरे पर यह प्रतिनिधिमंडल हिंसा प्रभावित लोगों से भी मुलाकात करेगा.

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विपक्षी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के लिए रवाना विपक्षी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के लिए रवाना

श्रेया चटर्जी

  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A के 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के लिए रवाना हो गया है. ये प्रतिनिधिमंडल राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेगा और हालात का जायजा लेगा. इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न विपक्षी दलों के सांसद शामिल हैं. विपक्ष के डेलिगेशन को 2 हिस्सों में बांटा गया है. टीम-A और टीम-B. टीम-ए में 10 सदस्य हैं, जबकि टीम-बी में 11 सदस्य हैं. 

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हिंसा प्रभावित इलाकों का करेंगे दौरा

विपक्षी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य पहले जमीनी हालात का आंकलन करेंगे और फिर कल राज्यपाल से मिलेंगे.सांसद दो समूहों में बांटे गए हैं और वे हालात का आकलन करने के लिए पहाड़ी और घाटी दोनों इलाकों का अलग-अलग दौरा करेंगे. जिन इलाकों में ये सांसद जाएंगे उनमें चुराचांदपुर, इम्फाल पूर्व और पश्चिम में राहत शिविर, मोइरांग राहत शिविर शामिल हैं. सांसद अपनी यात्रा की एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और बाद में संसद में उस पर चर्चा की मांग करेंगे.

ये सांसद हैं प्रतिनिधिमंडल में शामिल

टीम ए

  1. अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस
  2. सुष्मिता देव, टीएमसी
  3. कनिमोझी करुणानिधि, डीएमके
  4. संदोष कुमार पी. सीपीआई
  5. ए.ए. रहीम, सीपीआईएम
  6. मनोज कुमार झा, आरजेडी
  7. जावेद अली खान, सपा
  8. डी रविकुमार, वीसीके
  9. थीरु थोल थिरुमावालवन, वीसीके
  10. फुलो देवी नेतम, कांग्रेस

टीम बी

  1. राजीव रंजन सिंह, जेडीयू
  2. गौरव गोगोई, कांग्रेस
  3. पी.पी. मोहम्मद फैजल, एनसीपी
  4. अनिल प्रसाद हेगड़े, जेडी (यू)
  5. ई.टी. मोहम्मद बशीर, आईयूएमएल
  6. एन. के प्रेमचंद्रन, आरएसपी
  7. सुशील गुप्ता,AAP
  8. अरविंद सावंत, शिवसेना (यूबीटी)
  9. महुआ मांझी,जेएमएम
  10. जयंत सिंह, रालोद

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विपक्षी डेलिगेशन देना चाहता है ये मैसेज

तृणमूल कांग्रेस के नेता देव ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश देना चाहता है कि हम मणिपुर के लोगों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि हम चिंतित हैं, हम चाहते हैं कि मणिपुर में फिर से शांति बहाल हो. लेकिन सरकार ऐसा करने में विफल है, इसलिए हम वहां जाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि क्या समाधान निकाला जा सकता है. DMK नेता टीआर बालू ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल शनिवार सुबह मणिपुर के लिए रवाना होगा और पता लगाएगा कि क्या गलत हुआ, किस हद तक जान-माल का नुकसान हुआ.

कुकी-मैतेई के बीच संघर्ष के बारे में जानेंगे

RSP नेता प्रेमचंद्रन ने कहा कि डेलिगेशन के इस दौरे का मकसद मणिपुर में होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी लेना है. उन्होंने कहा कि हिंसा अभी भी जारी है इसलिए हम वहां जाकर हालातों के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे.  उन्होंने कहा कि हम पीड़ितों के पुनर्वास के लिए राहत शिविरों का दौरा करेंगे. हम पता लगाना चाहते हैं कि हिंसा का असली कारण क्या है?

मणिपुर में कब भड़की हिंसा? 
3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.  इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है. मणिपुर हिंसा में अब तक 150 लोग मारे जा चुके हैं.

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मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा? 

मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है. राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नागा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है. मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.


 

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