लोकसभा में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत होनी थी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को संसद में इस महाबहस की शुरुआत करनी थी, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण ऐसा नहीं हो सका. दोपहर दो बजे सदन की कार्यवाही जब चौथी बार शुरू हुई, तब ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हो सकी.
बीजेपी की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद तेजस्वी सूर्या और बैजयंत पांडा के नाम भी वक्ताओं की लिस्ट में हैं. वहीं, कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई पहले वक्ता होंगे. प्रियंका गांधी का नाम भी वक्ताओं की लिस्ट में है. कांग्रेस ने अपने लोकसभा सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है.
इस बड़ी चर्चा से जुड़े तमाम बड़े अपजेट्स के लिए बने रहिए आजतक के इस लाइव पेज पर...
पप्पू यादव ने हालिया पहलगाम हमले पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया तंत्र की गंभीर चूक का परिणाम था. 150-200 मीटर की दूरी पर सैनिक तैनात थे, फिर भी आतंकवादी हमला कर गए. क्या स्थानीय फोर्सेज को खबर नहीं थी कि पहलगाम को टूरिज्म के लिए खोला गया है?
उन्होंने पूछा कि आखिर वह आदेश किसने दिया जिसके तहत इस क्षेत्र को पर्यटकों के लिए खोला गया?
पप्पू यादव ने भारत की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि भारत अपने पड़ोसियों और पुराने साझेदारों को खो रहा है. नेपाल, मालदीव, बांग्लादेश, श्रीलंका, ईरान जैसे देशों से भारत के संबंधों में गिरावट आई है. पहली बार आजाद भारत में रूस ने भारत का समर्थन नहीं किया. चीन के साथ व्यापार तो बढ़ता जा रहा है, लेकिन वह हमारी ज़मीन कब्जा कर रहा है और हम चुप हैं.
पप्पू यादव ने पुलवामा हमले में इस्तेमाल किए गए विस्फोटकों की ओर इशारा करते हुए सवाल किया कि "तीन क्विंटल बारूद आखिर भारत में कैसे आया? इस पर कोई चर्चा क्यों नहीं हुई? क्या यह खुफिया तंत्र की विफलता नहीं थी?"
उन्होंने सरकार पर पुलवामा हमले का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया. "पुलवामा हुआ, उसके बाद चुनाव लड़ा गया, लेकिन उन शहीदों के परिजनों का क्या हुआ? क्या हमने उनके लिए कुछ किया?"
पप्पू यादव ने केंद्र सरकार पर पाकिस्तान का नाम लेकर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, "आपकी पूरी राजनीति पाकिस्तान, कब्रिस्तान, ईद, बकरीद और एनआरसी के इर्द-गिर्द घूमती है. पाकिस्तान की बात करके आप अपनी राजनीतिक दुकान चलाते हैं."
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में बोलते हुए पुलवामा से लेकर पहलगाम तक हुई घटनाओं पर केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछे. उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे को लेकर हो रही राजनीति, खुफिया तंत्र की विफलता, विदेश नीति की गिरती स्थिति और सेना के सम्मान से जुड़े कई अहम मुद्दों पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया.
पप्पू यादव ने सरकार से पूछा कि जब अनुच्छेद 370 को हटाते समय यह दावा किया गया था कि इससे आतंकवाद समाप्त हो जाएगा, तो फिर क्यों अनुच्छेद हटने के बाद भी आतंकी हमले बढ़े हैं? पुलवामा से लेकर पहलगाम तक 10 से अधिक हमले हो चुके हैं. उन्होंने कहा, "आपने कहा था कि 370 हटेगा तो आतंकवाद खत्म होगा, लेकिन हकीकत इससे उलट निकली."
चंद्रशेखर आजाद ने सवाल उठाया कि जब अमेरिका जैसे देश भारत के लिए फैसले लेने लगें, तो यह देश की संप्रभुता पर हमला है. उन्होंने कहा, "भारत की कोई बराबरी नहीं कर सकता. देशवासी एकजुट हैं और जवाब देने में सक्षम हैं."
उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के क्या पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं? क्या आम नागरिकों की जान की कोई कीमत नहीं है? उन्होंने कहा कि जो लोग अपने परिवार खो बैठे हैं, उन्हें क्या सरकार ने कोई स्थायी आर्थिक सहायता दी है?
अपने भाषण के अंत में चंद्रशेखर आज़ाद ने भारतीय सेना और कश्मीर के आम लोगों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने सांप्रदायिकता फैलाने की साजिशों को विफल किया. उन्होंने कहा कि आतंकियों की साजिशों के बावजूद कश्मीरियों ने संयम दिखाया और देश के साथ खड़े रहे.
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकियों को मारा गया, जिनमें से मुख्य आरोपी कुछ दिन पहले पाकिस्तान में देखा गया था. उन्होंने सरकार से पारदर्शिता और ठोस जवाब की मांग की.
चंद्रशेखर आजाद ने सरकार से पूछा कि आखिर आतंकियों को भारत की सीमा में घुसपैठ करने और पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल तक पहुंचने में कौन मदद कर रहा है. क्या सुरक्षा एजेंसियों को पहले से कोई खुफिया जानकारी थी? अगर हां, तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? उन्होंने विशेष रूप से स्थानीय ड्राइवर माजिद खान और अन्य मृतकों के परिवारों को दी गई मुआवजा राशि का विवरण मांगा.
उन्होंने पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब पाकिस्तान की ओर से बार-बार हमले हुए, यहां तक कि गुरुद्वारों को भी निशाना बनाया गया, तब सरकार ने सीजफायर की इजाजत क्यों दी? क्या यह भारत की कमजोर कूटनीति को नहीं दर्शाता?
उन्होंने कहा कि टीआरएफ द्वारा हिंदू तीर्थयात्रियों को निशाना बनाना भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश थी. उन्होंने सरकार से उस मुस्लिम पोनी ऑपरेटर को शहीद घोषित करने की मांग की, जिसने अपनी जान देकर तीर्थयात्रियों की रक्षा की.
चंद्रशेखर ने पाकिस्तान को हाल ही में मिली IMF की सहायता पर भी सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि क्या भारत सरकार ने IMF और अन्य वैश्विक संस्थाओं के सामने औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई? क्या यह जांचा गया कि इस सहायता का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों में तो नहीं हो रहा?
चंद्रशेखर ने मांग की कि सेना और अर्धसैनिक बलों के वेतन को टैक्स मुक्त किया जाए और ‘बैटल ऑफ ऑनर’ से सम्मानित चमार रेजिमेंट को पुनः बहाल किया जाए. उन्होंने गुर्जर, मेहता और यादव रेजिमेंट की भी मांग की, यह कहते हुए कि गांवों में रहने वाले किसान देश के लिए जान तक देने को तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि पूरा देश एकजुट था, लेकिन सरकार ने पीओके को लेने का मौका गवां दिया. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के बयान का हवाला देते हुए पूछा कि जब सरकार को मौका मिला तो उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की?
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा में उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान और पहलगाम हमले में अपनी जान गंवाई. उन्होंने कहा, "झुककर सलाम करें उनको, जिनका लहू देश के काम आता है." उन्होंने भारतीय सेना की वीरता को सलाम किया और “जय भीम” के उद्घोष के साथ कश्मीर में निर्दोष नागरिकों की मौत पर शोक प्रकट किया.
राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर संसद में सरकार से तीखे सवाल किए. उन्होंने कहा कि 26 लोगों की आतंकियों द्वारा धर्म पूछकर की गई हत्या न केवल निंदनीय है, बल्कि पूरे देश को झकझोर देने वाली है. बेनीवाल ने लोकसभा में कहा, “उस समय जिसने भी टीवी और सोशल मीडिया पर देखा, हर घर में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक यही कह रहे थे कि यह गलत हुआ है.” उन्होंने आगे कहा कि आज भी हम सुरक्षित नहीं हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “मोदी जी ने पिछले 11 वर्षों में सुरक्षा की गारंटी के नाम पर हमसे वोट मांगे. कहा गया था कि अगर एनडीए की सरकार आएगी तो देश में किसी जवान की शहादत नहीं होगी. भारत को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जाएगा.”
लेकिन बेनीवाल ने सवाल उठाया कि जब 26 लोगों की निर्मम हत्या की गई, वह भी महिलाओं और परिजनों के सामने, तो क्या यही सुरक्षा है जिसकी गारंटी दी गई थी?
उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण दे रहा है और वही आतंकवादी पहलगाम में इस भयावह घटना को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह घृणित कृत्य पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद का नतीजा है.”
सांसद ने यह भी माना कि केवल बाहरी ताकतें ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि कहीं न कहीं हमारे सिस्टम के अंदर भी चूक हो रही है.
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर भारत खुद को विश्वगुरु मानता है तो उसे जी-7 देशों को मना कर पाकिस्तान को दोबारा FATF की ग्रे लिस्ट में डलवाना चाहिए. उन्होंने आग्रह किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को राजनीतिक मतभेदों का मुद्दा न बनाया जाए.FATF और विदेश नीति को राजनीति से अलग रखने की अपील
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा कि भारत के पास स्वीकृत सबमरीन की तुलना में बहुत कम ऑपरेशनल सबमरीन हैं. उन्होंने पूछा कि तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर कहां है और हथियार खरीदते वक्त क्या सोर्स कोड लिया जा रहा है?
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिका और भारत के संबंधों पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि अमेरिका के एक अधिकारी के बयान से पहले भारत ने कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी? क्या हमारी विदेश नीति इतनी निर्भरशील हो गई है कि अमेरिका तय करेगा हमें क्या बोलना है? चीन को लेकर उन्होंने कहा कि जब वह पाकिस्तान को सैन्य सहायता दे रहा है, तो भारत सरकार उसके सामने खामोश क्यों है?
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, सरकार की 'डिटरेंस' नीति और कश्मीर को लेकर लिए गए निर्णयों की आलोचना करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी आतंकी घटनाएं हो रही हैं, जिससे सरकार की नीति विफल साबित हो रही है.
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि पहलगाम किसने किया? उन्होंने कहा, हमारे साढ़े सात लाख फोर्स और पैरामिलिट्री फोर्स के रहते हुए चार चुहे घुसकर हमारे भारत के नागरिक को मार दिया. इसकी जवाबदेही किस पर फिक्स होगी. अगर एलजी पर फिक्स होगी तो एलजी को बर्खास्त करें. अगर आईबी पर आती है तो एक्शन लीजिए. पुलिस पर आती है तो एक्शन लीजिए. आप लीपापोती करने में जुटे हैं.
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री के उस बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते". उन्होंने पूछा कि अगर आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं चल सकते, तो फिर पाकिस्तान से क्रिकेट मैच कैसे खेला जा सकता है? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार उन शहीदों के परिवारों से बात कर सकती है और कह सकती है कि "हमने ऑपरेशन किया, अब मैच देखिए"?
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, भारतीय सेना ने बहावलपुर में हमला कर दहशतर्गी के दिल पर हमला किया. ऑपरेशन सिंदूर में मिली जीत के बाद देश के लोगों में जुनून पैदा हो गया था. लेकिन अफ़सोस है कि सरकार ने इसका फायदा नहीं उठाया.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान की फौज और ISI का मकदस है कि भारत को कमजोर किया जाए. अगर हमको इन ताकतों को कमजोर करना है तो देश में इत्तेहाद को बरकार रखना पड़ेगा. अगर हम बुलडोज़र के ज़रिए या जबरन या मज़हब के ज़रिए किसी को निशाना बनाएंगे तो हम उन पड़ोसी मुल्क के दहशतगर्द कहीं कामयाब न हो जाए.
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में बोलते हुए पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रृद्धांजलि दी और जम्मू-कश्मीर के लोगों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों ने पहलगाम हमला होने के बाद सड़क पर निकल कर इस मामले की निंदा की.
अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमारे पास नरेंद्र मोदी के रूप में दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता है. भारत ढाई मोर्चे पर लड़ाई लड़ रहा था. आधा वाला फ्रंट राहुल ऑक्यूपाइड कांग्रेस है. सेना के प्रमुख को सड़क का गुंडा कहते हो. राहुल गांधी को इस सदन में शर्म से सिर झुकाकर माफी मांगनी चाहिए. देश की जनता ने लीडर ऑफ अपोजिशन बना दिया, अब वो लीडर अपोजिंग भारत बन गए हैं. पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा के पोस्टर बॉय राहुल गांधी बन गए हैं. आज सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करनी थी, लेकिन कांग्रेस नेताओं में होड़ लगी थी कि कौन पाकिस्तान का सबसे प्रिय बनकर उभरे. पाकिस्तान सेना और पाकिस्तान सरकार लश्कर-ए-राहुल के बयानों को अपने पक्ष में इस्तेमाल कर रही है. पाकिस्तानी सेना के वीडियो में कांग्रेस अध्यक्ष के वीडियो को पूरी दुनिया में दिखाया जा रहा है. इनको दिक्कत मोदी जी से ही नहीं, मातृभूमि से भी है. आईएनसी अब इस्लामाबाद नेशनल कांग्रेस बन गई है. कांग्रेस का आइडिया ऑप डिप्लोमेसी क्या था, डोजियर का था, कार्रवाई करने का नहीं था. 26-11 के बाद इन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. राहुल गांधी की रुचि यह जानने में थी कि भारत के कितने विमान पाकिस्तान ने मार गिराये. आखिर ये जानकारी वो किससे साझा करना चाहते थे. जिनके हाथ रक्षा दलाली में रंगे रहे हों, अब किसके लिए दलाली करेंगे. मुझे पता नहीं. ऑपरेशन सिंदूर पर हमारी सेना ने जो किया, वो दुनिया ने देखा. ठीक बाद मोदी जी आदमपुर एयरबेस पर गए और सेना का मनोबल बढ़ाने का काम किया.न्यूक्लियर ब्लैकमेल की जब बात चलती है, वाजपेयी जी ने भी कहा था और मोदी जी ने भी स्पष्ट कह दिया है कि हमने ऐसा जवाब दिया है. सिंधु जल समझौते को लेकर विपक्ष के कुछ नेताओं ने कहा कि उनका पानी दे देना चाहिए पाकिस्तान को. पीएम मोदी ने साफ कहा कि पानी और खून साथ नहीं बह सकते. सिंधू डैम के गेट नहीं खुलेंगे. ये जो सात डेलिगेशन थे, वह देश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. हमारे मत अलग हो सकते हैं, लेकिन जब राष्ट्र का प्रश्न हो तब हम एक हैं. सातों के सातों प्रतिनिधिमंडल में किसी भी दल का सांसद होगा, उसने देश की बात की. सबका धन्यवाद किया. इतना कहूंगा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर हम किसी का साथ लेने नहीं गए थे. हम यह बताने गए थे कि भारत अपने दम पर आतंक के आकाओं को मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं और दिया है. मुस्लिम देशों में भी पाकिस्तान को अलग-थलग किया. कांग्रेस का रवैया सबसे अपमानजनक और आपत्तिजनक था. सेना का मनोबल गिराने में कांग्रेस पीछे नहीं रही. कांग्रेस के नेता एक फेक नैरेटिव चला रहे हैं सरेंडर, सरेंडर. कांग्रेस ने कितने ब्लंडर और सरेंडर किए हैं. कश्मीर मुद्दे को यूएन में ले जाने कर सरेंडर किसने किया, अक्साई चिन को बंजर जमीन बता चीन को सौंप सरेंडर किसने किया, कच्चा तिबू द्वीप श्रीलंका को सौंप सरेंडर किसने किया. कांग्रेस ने बहुत सरेंडर किए हैं.
अनुराग ठाकुर ने कहा कि अली एयरपोर्ट पर ऐसा प्रहार किया, कि आज वहां बैलगाड़ी चलाने लायक भी नहीं बचे हैं. भारतीय सेना वहां प्रहार करती है, जहां दर्द बहुत होता है. राहुल जी तक यह संदेश जरूर पहुंचा देना. उन्होंने कहा कि हम पर भरोसा न हो तो अपने प्रिय पाकिस्तान से जाकर पूछ लो, जिसकी शान में तुम दिन-रात कसीदे पढ़ते रहते हो. अनुराग ठाकुर ने पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री के बयान को भी कोट किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की सेना हमला करती रही और हम बेबस देखते रहे. उन्होंने कहा कि जो गजवा-ए-हिंद और थाउजेंड कट्स देने की बात करते थे, भारतीय सेना का 48 घंटे भी मुकाबला नहीं कर पाए. आप 26-11 के बाद विदेश से परमिशन का इंतजार करते रह गए, हमने किसी परमिशन का इंतजार नहीं किया और घर में घुसकर मारा. हमने इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित कर दिया. चीन था, पाकिस्तान था, टर्की था, अकेली भारतीय सेना तीनों पर भारी पड़ी है. इस कार्रवाई को सैन्य इतिहास में टेक्स्ट बुक काउंटर टेररिज्म के रूप में देखा जा रहा है. दुनिया को पता चल गया कि वॉरफेयर में भारत की टेक्नोलॉजी क्या है. दीपेंद्र हुड्डा डिफेंस बजट की बात कर रहे थे, आपके समय ढाई लाख करोड़ डिफेंस बजट था, हमारी सरकार में 6 लाख 81 हजार करोड़ कर दिया है. आपे बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं दी, हमने तीन साल में मेड इन इंडिया के तहत बनाकर दिया. सेना के शहीद जवानों का पार्थिव शरीर उनके घर भेजने की परंपरा अटल जी की सरकार में शुरू हुई.
अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हर बार शांति का हाथ बढ़ाया, बदले में पाकिस्तान ने आतंकवाद का रास्ता अपनाया. विपक्ष के किसी सांसद ने यह नहीं कहा कि धर्म पूछकर कलमा पढ़ने के लिए बोला गया, पैंट उतारकर देखा गया, तब गोली मारा गया. इतना बोलने में क्या दर्द था. धर्म पूछकर निर्दोष नागरिकों को मारने का पहली बार काम हुआ, लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में 140 करोड़ देशवासी एकजुट रहे. इन आतंकियों ने हमारी सरकार, हमारी सेना को चुनौती देने का काम किया. पीएम मोदी ने कहा था कि साजिशकर्ताओं को भारत उनकी कल्पना से भी परे सजा देगा. सात मई को हमने इन दुश्मनों को जवाब देते हुए आतंकी ठिकानों पर अचूक और निर्णायक प्रहार किया. 25 मिनट में नौ आतंकी ठिकानों पर 24 टी प्रहार करके हमारी सेना ने जमींदोज करने का काम किया. हमने विश्व को साफ शब्दों में बता दिया कि आतंकी हमले को भारत पर हमला माना जाएगा. ये भारत का आतंकवाद के खिलाफ शंखनाद था. अब भारत डोजियर नहीं, डोज देगा. ये नया भारत है और आतंकवाद पर यह न्यू नॉर्मल.
सुप्रिया सुले ने तेजस्वी सूर्या की बात पर आपत्ति करते हुए कहा कि ऐसे लोग गलत-गलत बोलकर जाते हैं. रिकॉर्ड में भी गलत जाता है. यह सुनकर दुख हुआ. यह तू-तू-मैं-मैं का समय नहीं है. विनम्रता से जयशंकर जी से कुछ सवाल पूछना चाहती हूं, मैं भी डेलिगेशन में गई थी. दुनिया डिएस्केलेशन के लिए तारीफ भी की. तेजस्वी सूर्या कह रहे थे कि कांग्रेस ने इतने साल तक कुछ नहीं किया. बोलना चाहती हूं कि पुलिस थे, कसाब को जिंदा पकड़ा था. तब उनको पेट में गोली लगी थी. जब आतंकी को जिंदा पकड़ा था, तब पुलिस थी वहां, ओमरे जी थे वहां. उन्होंने जान दी थी. मैं ये नहीं कहूंगी कि उसे पकड़ने कांग्रेस-एनसीपी गई थी. उमर अब्दुल्ला और सभी विधायकों ने इस हमले की विधानसभा में निंदा की. उन्होंने उरी से लेकर पुंछ हमले तक का जिक्र करते हुए कहा उन शहीदों को भी श्रद्धांजलि देनी चाहिए. संतोष जगदाले और अशोक गंगोटे का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी बेटी जब मिलती हूं, तब पूछती है कि सब ठीक हुआ. लेकिन मेरे बाबा को न्याय कब मिलेगा. आतंकी आए कब, गए कैसे. वह परिवार कहता है कि कश्मीर स्वर्ग है, लेकिन मेरे परिवार के लिए नर्क बन गया. बीजेपी के एक मध्य प्रदेश के विधायक हैं, उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ बोला और विक्रम मिसरी की बेटी को ट्रोल किया. ऑपरेशन सिंदूर तब तक न पूरा है, ना ही सफल, जब तक आप उन आतंकियों को नहीं पकड़ेंगे. जहां-जहां हम गए, चार लोगों के बारे में पूछ रहे थे. महात्मा गांधी, नेहरू जी, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी. ये साझा विरासत है. सभी आतंकी मिलने चाहिए. अटल जी ने जैसे करगिल में किया था, वैसे सरकार को ऑपरेशन सिंदूर का रिपोर्ट तैयार कर सदन में टेबल करना चाहिए.
कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर नाम सुनने में देशभक्ति का लगता है, लेकिन यह तमाशा था. देश में सवाल पूछने पर ही पाबंदी है. ये सरकार जवाबदेही से बचती है, सवाल से भागती है. हमारे देश की सरकार जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश करती नजर आ रही है. चुनावों से पहले आतंकी घटनाएं होती हैं. आतंकी आए कहां से, कहां गए... सरकार को कुछ नहीं पता. इनको बस वोट बटोरना है. हमारी सेना की बहादुरी पर बिल्कुल संदेह नहीं है, पर इस सरकार की दुर्जनता देखिए कि सेना को लड़ने जरूर भेजती है लेकिन दुश्मन को पहले ही आगाह भी कर देती है. ऑपरेशन सिंदूर से देश को क्या हासिल हुआ, अमेरिका के दबाव में शर्मनाक सीज फायर. किस बात का जश्न मनाने का पर्व प्रधानमंत्री बताते हैं, किस बात का जश्न मनाएं प्रधानमंत्री जी. सीज फायर का ऐलान आपके कथित मित्र ट्रंप करते हैं, क्या इसका जश्न मनाएं. हर चीज को इवेंट मत बनाइए मोदी जी, अपने मन की बात छोड़कर देशवासियों के सवालों का जवाब देने की भी हिम्मत दिखाइए. एक समय नेबर फर्स्ट की नीति थी, आज हमारे पड़ोसी हमें लास्ट प्रॉयोरिटी मानते हैं हमें.
बीजेपी सांसद तेजस्वी ने कहा कि पहलगाम की वारदात में मारे गए लोगों में तीन लोग कर्नाटक से थे, जिनमें से दो लोग मेरे संसदीय क्षेत्र से थे. उनके प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. आतंकी चाहे जहां भी हों, पाकिस्तान में घुसकर मारेंगे. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पहले के सभी वॉरफेयर से अलग था. ये न्यू जेनरेशन वॉरफेयर था. दुनिया ने इसे सैन्य सफलता के तौर पर देखा. 2014 के बाद न्यू नॉर्मल में पाकिस्तान की एक आंख के बदले दोनों आंख निकाली जा रही हैं. यह कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है कि पाक के कब्जे वाला कश्मीर सेना लेते-लेते रह गई. आज अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित कर दिया. कोलंबिया पाकिस्तान के पक्ष में था, हमारे जाने के बाद उसने अपना स्टैंड बदला और भारत के साथ आया. भारत आज मिलिट्री हो या डिप्लोमैटिक, दोनों युद्ध के लिए तैयार है. कांग्रेस के साथियों का भाषण सुनकर अजीब लग रहा था. उनके नेता बदलते हैं, नीति वही है. पंडित नेहरू की पॉलिसी थी कि भारत को सेना की जरूरत ही नहीं है. देश की आर्मी में ज्यादती करने का काम भी कांग्रेस ने किया था. बेंगलुरु के एचएएल, डीआरडीओ को कमजोर करने का काम भी इन लोगों ने किया था. राफेल की बात हो रही थी, देश को याद है कि विपक्ष के नेता ने कैसे इसका विरोध किया. तीन साल पहले जनरल बिपिन रावत ने देश को बताया था कि भारत को 2.5 फ्रंट वॉर के लिए रेडी रहना चाहिए. जिम्मेदारी से बताना चाहता हूं कि जीरो पॉइंट जो है, वह कांग्रेस पार्टी का है. 2004 में जब इनकी सरकार सत्ता में आई, पहला का किया पोटा कानून खत्म करने का, जो वाजपेयी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ बनाया था. चेयर पर मौजूद कुमारी शैलजा के कांग्रेस से आने का जिक्र भी तेजस्वी सूर्या ने किया. उन्होंने कहा कि पोटा कानून को कांग्रेस की सरकार ने वोटबैंक की राजनीति के तहत किया. उन्होंने अयोध्या रामजन्मभूमि, जौनपुर श्रमजीवी एक्सप्रेस से लेकर मालेगांव और पानीपत तक हुए बम धमाकों की चर्चा करते हुए कहा कि आपने केवल निंदा किया. यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल में 8 हजार से अधिक आम नागरिकों की मौत हुई. नाइन इलेवन के अटैक के बाद दुनिया के देश अपने फ्रेमवर्क को ताकत दे रहे थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने आतंक के खिलाफ मजबूत कानून को वापस लेने का काम किया. सरेंडर के बारे में बात हो रही थी, कांग्रेस के एक पूर्व गृह मंत्री इंटरव्यू में बोले थे कि हमने सोवियत की मध्यस्थता पर सीजफायर किया था, जब लाल बहादुर शास्त्री की सरकार थी. अरुण शौरी जब राज्यसभा में बोल रहे थे, तब उन्होंने कहा था कि मम्मी पर निर्भर होना सरकार की परंपरा बन गई है. यही बात कांग्रेस पार्टी के लिए भी है. देश के प्रधानमंत्री के विदेश नीति पर सवाल विपक्ष ने उठाया है, नरेंद्र मोदी जी भारत के रक्षक हैं. उरी और बालाकोट अटैक के समय हमने पाकिस्तान में घुसकर मारा.1965 में जब आपने सोवियत के दबाव में सीजफायर किया था, वह सरेंडर था. कांग्रेस का इतिहास सरेंडर का रहा है.
यूपी के रॉबर्ट्सगंज से सपा सांसद छोटेलाल ने कहा कि सेना के शहीदों पर चुनावी भाषण देने वाले प्रधानमंत्री जी इस घटना पर मौन क्यों हैं. यह वही सरकार है, जिसने पुलवामा के नाम पर चुपचाप शूटिंग जारी रखी है. मणिपुर जल रहा है, तब भी सरकार मौन रही. जो आतंकी पर्यटकों को मारकर चले गए, वे मारे गए या नहीं, यह भी नहीं बताया गया. क्या यही है वह अमृतकाल जब देश के मुखिया सदन से भाग रहे हैं. 11 साल में विदेश-विदेश कहां-कहां घूमे हैं, जब समय आया तब एक भी देश साथ नहीं आया. इसलिए इनको कमजोर प्रधानमंत्री माना गया. सारी सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही थीं, यह सुरक्षा पर बड़ा सवाल है. प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें युद्ध नहीं, बुद्ध चाहिए. इसी वजह से चीन पाकिस्तान जैसे देश इनको कमजोर देश समझकर हमारे देश पर हमले करते हैं. जब हमारे देश के जवान पाकिस्तान में घुसकर मार रहे थे, तो क्या कारण है कि ट्रंप ने सीजफायर करा दिया. कसम है जवानी की जागो जवानों, जरा गर्व से सिर को उठाना तो सीखो. जो तीर तुम पर चलाया है जालिम, वही तीर तुम भी चलाना तो सीखो. क्या प्रधानमंत्री केवल चुनाव जीतने के लिए काम करते हैं. राष्ट्रवाद को चोला बनाकर शहीदों के शव पर भी सियासत करते हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अनंतनाग राजौरी सीट से सांसद मियां अल्ताफ ने पहलगाम हमले को बर्बर बताते हुए निंदा की. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इस घटना के बाद खौफ था और जम्मू कश्मीर भी इसके विरोध के लिए निकला और विरोध किया. कई घरों में लोगों ने उस दिन खाना भी नहीं खाया और सोये भी नहीं. पीड़ित परिवारों के जख्म आज फिर ताजा हो रहे हैं. उन्हें हमें यह यकीन दिलाना है कि हम उनके साथ हैं. गृह मंत्री यहां बैठे हैं, आतंकियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए. दो मुल्कों के बीच जब लड़ाई हुई, ये ऑपरेशन शुरू हुआ, राजौरी और पुंछ में बॉर्डर शेलिंग में 17 जानें गईं. उनमें बच्चे-बूढ़े और जवान भी शामिल थे. पुंछ शहर में पहली बार गोले गिरे और सारी आबादी पलायन कर गई. गया तो देखा कि लोग अपने घरों में सामान छोड़कर भाग गए थे जान बचाने के लिए. राजौरी के शहर में तीन निर्दोष मरे. एक ईमानदार अधिकारी के सरकारी मकान पर भी बम गिरा और उनकी भी जान चली गई. पुंछ में गृह मंत्री गए, खुद हालात देखे कि गुरुद्वारे, मस्जिद और मकानों पर भी अटैक हुआ. दोबारा ऐसी आफत सीमा इलाकों में न आएं, यही दुआ करते हैं. और मुआवजा देने की जरूरत है. तीन दिन पहले जम्मू में परवेज नाम का 20 साल का लड़का पुलिस फायरिंग में मारा गया. इनोसेंट किलिंग का नोटिस लेकर कार्रवाई होनी चाहिए. इस ऑपरेशन के बाद जो निर्दोष पकड़े गए हैं, उनके मामलों को देखना चाहिए. सीमावर्ती इलाकों में बुलेटप्रूफ एम्बुलेंस होनी चाहिए, बंकर बननी चाहिए. राजौर और पुंछ को राष्ट्रीय हित में रेल लाइन दें. हजारों की तादाद में यहां फौजी रहते हैं. ऐसी घटनाओं की जद में निहत्थे लोग न आएं, ऐसे इंतजाम हों.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हां, मैं चीन गया था. चीन गया था सीमा पर तनाव कम करने पर चर्चा, ट्रेड और अन्य विषयों पर अपना स्टैंड क्लियर करने गया था. सीक्रेट समझौते करने नहीं गए थे. इस पर विपक्ष की ओर से टोका-टाकी पर नाराजगी जाहिर करते हुए अमित शाह ने कहा कि आपको प्रोटेक्शन देना चाहिए. कल बताऊंगा कि कितनी असत्य बातें कही गईं. बैठे-बैठे इतनी बातें कही जा रही हैं, हम भी अपने सदस्यों को समझा नहीं पाएंगे. जयशंकर ने कहा कि डोकलाम में जब हमारी सामने चीन के साथ आमने-सामने थी, विपक्ष के नेता अपने घर पर चीन के राजदूत से ब्रीफिंग ले रहे थे. विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद की चुनौती अब भी कायम हैं, जिसके लिए न्यू नॉर्मल हमारी पोजिशन है. उन्होंने न्यू नॉर्मल के पांच स्तंभ भी बताए. अरविंद सावंत का नाम लेकर उन्होंने कहा कि आपकी जानकारी गलत है. हर डेलिगेशन को पूरा सम्मान मिला. सातों डेलिगेशन ने देश को गौरवान्वित किया. हर सदस्य ने आतंक पर जीरो टॉलरेंस की भारतीय नीति को मजबूती से दुनिया के सामने रखा. आतंक पर किसी तरह का कोई विभाजन नहीं होना चाहिए और सदन से जीरो टॉलरेंस का संदेश जाना चाहिए.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि विपक्ष के नेता ने इतिहास की क्लास मिस कर दी होगी. टू फ्रंट 1948 में शुरू हुआ था, पीओके के लिए. 1963 में शुरू हुआ था चीन-पाकिस्तान की ओर से. 1966 में चीन की पहली सैन्य सप्लाई पाकिस्तान पहुंची थी. 11986 में परमाणु सहयोग दोनों का चरम पर था, जब राजीव गांधी पाकिस्तान गए थे. उन्होंने पाकिस्तान और चीन के बीच समझौतों का इतिहास गिनाते हुए कहा कि पाकिस्तान-चीन सहयोग का इतिहास 60 साल का है. इस पर विपक्ष की ओर से किसी ने कुछ कहा. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आपने सवाल उठाया, तो जवाब भी सुनना पड़ेगा. सुनो जवाब अब, जैसे सवाल करोगे, वैसे जवाब भी सुनने पड़ेंगे. जयशंकर ने अपना जवाब जारी रखते हुए कहा कि जो लोग एफएटीएफ के सात बिलियन डॉलर के पैकेज पर हाय-तौबा मचा रहे हैं, उनके समय में 15 बिलियन डॉलर का पैकेज उसे मिला था.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सदन को नौ मई की सुबह अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की फोन कॉल को लेकर जानकारी दी. उन्होंने सदन को बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तानी बड़ा हमला कर सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे साफ कह दिया कि भारत मुंहतोड़ जवाब देगा. जयशंकर ने किसी भी तरह की मध्यस्थता से इनकार करते हुए कहा कि सीजफायर की पहल पाकिस्तान की ओर से हुई थी. हमने साफ कह दिया था कि पाकिस्तान अगर युद्ध रोकना चाहता है तो उसके डीजीएमओ हमारे डीजीएमओ से बात करें. विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून तक कोई फोन कॉल नहीं हुई. इस पर विपक्ष के हंगामे पर गृह मंत्री अमित शाह खड़े हुए और कहा कि भारत का विदेश मंत्री यहां बोल रहा है, इनको विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है. किसी और देश पर भरोसा है. इसीलिए ये वहां बैठे हैं, अगले 20 साल तक वहीं बैठने वाले हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी हमले की निंदा की. पाकिस्तान ने टीआरएफ का बचाव किया. सात मई की सुबह मैसेज दिया गया और पाकिस्तान को सबक सिखाया गया. हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. हमने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया. अपने नागरिकों की रक्षा करना भारत का अधिकार है और भारत अब परमाणु ब्लैकमेलिंग नहीं सहेगा. भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मध्यस्थ नहीं था. सीज फायर की पहल पाकिस्तान की ओर से हुई. पाकिस्तान ने सीज फायर की गुहार लगाई. क्वॉड देशों ने घटना की निंदा की, अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण हुआ, ये हमारी डिप्लोमेसी है. फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय यूनियन ने एक स्टैंड लिया, ये हमारी डिप्लोमेसी है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की मीटिंग से लेकर पाकिस्तानी दूतावास के सदस्यों को पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा घोषित किए जाने तक, सरकार के कदम गिनाए. उन्होंने कहा कि दूतावासों को ब्रीफिंग देने के साथ ही मीडिया में भी यह जानकारी दी गई कि भारत को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार है. पाकिस्तान सुरक्षा काउंसिल का सदस्य है, हम नहीं हैं. हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के बारे में बताया. हमारी रेड लाइन पार कर गई, तब हमें सख्त कदम उठाने पड़े. हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब किया. सिक्योरिटी काउंसिल में पाकिस्तान समेत केवल तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया. यूएन के 193 में से तीन सदस्यों ने ही इस ऑपरेशन का विरोध किया.
राष्ट्रीय जनता दल के अभय कुमार सिन्हा ने कहा कि जो आतंकी आते हैं, उनका तो उद्देश्य ही यही होता है कि धार्मिक उन्माद बढ़े. देश में भी कई लोग उसमें बह जाते हैं. पहलगाम मैं भी गया था. वहां सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी, क्या सरकार ने इसकी जांच कराई. इस पर जवाब दिया, नहीं दिया. सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए. कश्मीर का पर्यटन उद्योग चौपट हो गया. 3337 पर्यटक उसी दिन कश्मीर से निकलकर अपने घर चले गए. हमारे गृह मंत्री कहते रहे कि कश्मीर आईए, घूमिए, कोई दिक्कत नहीं है. पर्यटक भारी संख्या में पहुंचे और यह सरकार की ओर से सुरक्षा की गंभीर चूक है. कुंभ मेले में जिस तरह से सुरक्षा व्यवस्था नहीं की और कई श्रद्धालुओं की जान गई. उसी तरीके से कश्मीर को लेकर भी कहा गया और लोग गए. जिस तरह से ये घटना घटी और जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर चला, हमले के सूत्रधार आज भी जिंदा हैं. सरकार से मांग करना चाहते हैं कि संसद एक सर्वदलीय समिति गठित करे, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के विषयों पर मीडिया के लिए स्वैच्छिक गाइडलाइंस तैयार करे. मृतकों को मुआवजा दिया जाए. सैयद आदिल हुसैन के परिवार को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने का प्रयास किया जाए.
शांभवी चौधरी ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कहा कि पहलगाम में जिस तरह से नागरिकों पर अटैक हुआ, वह मानवता पर अटैक है. पूरा देश वह चित्र कैसे भूल सकता है, जब एक नवविवाहित महिला लाल चूड़ी पहनकर अपने पति के शव के पास बैठी थी. यहां कुछ लोग हैं, जिन्हें पहलगाम से ज्यादा दुख फिलिस्तीन के लिए हुआ. यह नया भारत है, जो मोमबत्तियां नहीं जलाता. खतों का दौर गया, अब फरमान भेजे जाते हैं, जो करते हैं भारत पर वार, वो सीधे कब्रिस्तान भेजे जाते हैं. 1971 का क्रेडिट कांग्रेस पार्टी कभी जगजीवन राम को नहीं देते, जिन्हें बांग्लादेश ने वॉर हीरो घोषित किया था. कांग्रेस दलित नेतृत्व को कभी स्वीकृति नहीं दे सकती. इनको तो आंबेडकर की फोटो चरणों में रखने वाले का साथ देना है. ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के हौंसले पस्त कर दिए हैं. एक युवा नेता दुश्मन देश में है, एक विपक्ष में हैं. दोनों के सवाल एक कैसे हो सकते हैं. जब सेना सरहद पर लड़ रही होती है, तो उससे सवाल नहीं पूछे जाते, सलामी दी जाती है. सरेंडर से इनका विशेष लगाव इसलिए है, क्योंकि इतिहास गवाह है कि इन्होंने कई बार भारत का सिर शर्म से झुका दिया. वेस्टर्न मीडिया ने भारत को धोखेबाज देश कहा था. 1985 में सीआईए की क्लासीफाइड रिपोर्ट है कि विदेशी तंत्र भारत को चलाता है. 2001 में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर पर हमला हुआ, और ये लोग चुप बैठे रह गए. 2008 में मुंबई पर हमला हुआ, इन्होंने जवाब नहीं दिया. राजनीति के लिए ये कहते हैं कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता, ये दोहरा चरित्र क्यों है इनका. जिस सनातन को मुगलों की तलवार, अंग्रेजों की तोप नहीं खत्म कर पाई, उसे ये क्या खत्म कर पाएंगे. आतंकियों ने हमारे नागरिकों से कहा कि कलमा पढ़कर सुनाओ, मैं महाभारत सुनाना चाहती है. पीएम मोदी ने इस ऑपरेशन का नाम सिंदूर रखकर दुनिया को बता दिया है कि एक चुटकी सिंदूर की कीमत क्या होती है.
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा जारी है. सदन की कार्यवाही का समय रात 12 बजे तक बढ़ा दिया गया है.
हुड्डा ने कहा कि हमारे समय में जब आंख दिखाने की बारी आई, तब हमने अमेरिका को आंख भी दिखाई और हाथ मिलाने की बारी आई तो हमने हाथ भी मिलाया. मुंबई हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद के सेफ हैवन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बीजेपी की विदेश नीति बदल गई है, क्या संघ की विदेश नीति भी बदल गई है. आप यही य नहीं कर पा रहे हो कि अमेरिका से हाथ मिलाना है या आंख दिखाना है. या तो डोनाल्ड का मुंह बंद कराओ या मैकडोनाल्ड को बंद कराओ. भारत एक महाशक्ति है. उसे भी यह पता चलना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान को एक तराजू पर नहीं तौल सकते. अमेरिका को भी चुनना होगा कि उसको भारत से कैसे संबंध चाहिए. जब टर्की ने पाकिस्तान की मदद की, तो पीएम साइप्रस गए. अच्छा संदेश गया. लेकिन असली दुश्मन चीन को संदेश देना था तो ताइवान चले जाते. विदेश मंत्री बीजिंग चले गए और कहा कि हमारे संबंधों में सुधार हो रहा है. दीपेंद्र हुड्डा ने अग्निवरी योजना और सैन्य बजट में कटौती का जिक्र कर सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि यूपीए के समय में 41 स्क्वॉड्रन मंजूर हुए थे, आज धरातल पर 31 स्क्वॉड्रन हैं. हमारी फौज को आधुनिकता से लैस किया जाए, बजट बढ़ाया जाए. आज तीन फ्रंट की बात चल रही है. देश की फौज को मजबूत करने का काम करो.
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कहा कि देश की फौज को नमन करने का प्रस्ताव लाइए, हम साथ हैं. नहीं तो हम लाते हैं, आप साथ दीजिए. फौज का पराक्रम चर्चा का विषय नहीं है. फौज ने अपना काम किया, सत्ता ने क्या किया. भारत की फौज दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फौज में से एक है. विपक्ष ने पूरा समर्थन दिया, कहा कि हम साथ हैं. आपने क्या किया. सर्वदलीय बैठकों में प्रधानमंत्री नहीं आए. आपने 12 बजे रात में भी बैठक रखी होती तो हमारे नेता शामिल होने के लिए तैयार थे. आप दुनिया में एकजुटता दिखाने का मौका चूक गए. नौ तारीख को हम एडवांटेज में थे. देश की भावना थी कि निर्णायक जवाब दिया जाए, 10 तारीख को सीजफायर हो गया. आप बार-बार पीओके की बात बोलते थे, अब किस मुंह से इसकी बात करोगे देश के सामने. आप कह रहे कि पाकिस्तान घुटनों पर था, ऐसा था तो सीजफायर की क्या जरूरत थी. पाकिस्तान की ईंट से ईंट बजाने की भावनाओं पर विराम और युद्ध विराम से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का ट्वीट. विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को फोन करके आतंकी ठिकानों पर बात कहना भी रणनीतिक चूक है. आप खुद कह रहे हैं कि पाकिस्तान के आतंकी और सेना एक हैं, आपने यह रणनीतिक चूक की. विदेश मंत्रालय का काम दुनिया में दोस्त मुल्कों की संख्या बढ़ाना काम होता है. कितने देश आपके साथ खड़े हुए और कितनों ने पाकिस्तान का साथ दिया, बताइए. एक देश का नाम बताओ, जिसने आतंकी घटना के साथ पाकिस्तान की भी निंदा की हो. पाकिस्तान के साथ चीन, तुर्की, अजरबैजान समेत कई देश हैं. आपने 11 साल में जो विदेश भ्रमण किया, उसका सच यह सामने आया कि आपको सांसदों पर आना पड़ा. 11 साल से आप दुनिया घूम कर क्या कर रहे थे. आईएमएफ ने एक बिलियन का लोन तब दिया, जब टकराव चल रहा था. विश्व बैंक ने 40 बिलियन डॉलर का निवेश प्रस्ताव पारित किया. पाकिस्तान को काउंटर टेररिज्म का को-चेयरमैन बनाया गया.
ओडिशा के केंद्रपाड़ा से बीजेपी के सांसद बैजयंत पांडा ने कहा कि भारत ने हर बार शांति का हाथ बढ़ाया और पाकिस्तान ने हर बार खून बहाया. ऑपरेशन सिंदूर रिएक्शन नहीं, मोदी डॉक्ट्रिन है. ये हमारी नीति में बदलाव का न्यू नॉर्मल है. उन्होंने गौरव गोगोई के सरेंडर वाले बयान पर पलटवार करते हुए पीओके से लेकर संयुक्त सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव और अक्साई चिन तक, कांग्रेस की सरकार के समय के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस ने कई बार राष्ट्रीय हितों का सरेंडर किया.
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद गणपत सावंत ने कहा कि जब आतंकियों को पकड़ा नहीं जाता है, आपके दिल में कुछ नहीं होता. बिहार में जाकर राजनीतिक कार्यक्रम में भाषण देते हो. ढोल हम सेना का बजाएंगे, आपका नहीं बजाएंगे. आपकी उसमें क्या शूरता-वीरता थी. आप कह रहे थे कि पाकिस्तान के अधिकारी गिड़गिड़ा रहे थे, तो वे शरणार्थी थे. आपने क्या शर्तें लगाईं, बिना शर्त के युद्ध रोक दिया. अमेरिका के राष्ट्रपति तो आज भी कह रहे हैं. हमारे इर्द-गिर्द जितने राष्ट्र हैं, एक राष्ट्र हमारे साथ नहीं आया. हम तो विश्व गुरु हैं. 200 देशों में गए. प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं, 200 में से एक देश आपके साथ नहीं आया. आपके साथ इजरायल खड़ा हुआ, जिसकी वजह से ईरान से आपके रिश्ते भी बिगड़ गए. किसने-किसने इस युद्ध में पाकिस्तान की मदद की, चीन तो कर ही रहा था, तुर्की भी कर रहा था. हमको यह सोचने की जरूरत है कि एक भी देश हमारे साथ क्यों खड़ा नहीं हुआ. ये बार-बार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से पैसा नहीं देने की बात कह रहे थे, फिर भी युद्ध के हालात में आईएमएफ ने पैसा दिया. ट्रंप मेहमान के रूप में कनाडा गए पीएम मोदी को फोन कर बोलते हैं इधर आ जाओ. अच्छा किया पीएम ने, नहीं गए. पूरा विपक्ष डटकर सरकार के साथ खड़ा रहा. आपने सात टीमें बना दीं, दुनिया में टीम भेज दी. कहीं कोई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, कोई नहीं आया. सब विफल है. सीडीएस ने कहा कि आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है. इस एक वाक्य में सबकुछ आ गया. यह आत्मनिरीक्षण की बात है. राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा सबसे अहम है. जब पीएम मोदी नवाज शरीफ से मिलने गए थे, बिना बुलाए गए थे. जब लाहौल बस लेकर अटल बिहारी वाजपेयी गए थे, तब बाल ठाकरे ने कहा था कि मत करो. पाकिस्तान वह सांप है, जिसे जितना भी दूध पिलाओ, जहर ही उगलेगा. यही वक्त था पीओके लेने का. किसने मना किया आपको. यही वक्त था पाकिस्तान को सबक सिखाने का. पीओके आप ले लेते, प्रधानमंत्री को सिर पर लेकर हम नाचते. घुसकर मारेंगे वाली बात है ना, ओसामा बिन लादेन को जैसे घुसकर मारा, उसे कहते हैं घुसकर मारना. पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना बंद करो. आप पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने जा रहे हो, ये मत करो.
ललन सिंह ने गौरव गोगोई पर तंज करते हुए कहा कि पाकिस्तान की सारी मिसाइलें हवा में ध्वस्त हो गईं, पूरे देश ने देखा है कि फूलझड़ी की तरह उड़ गया. कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ. आप कितना भी भाषण दे लीजिए, कोई नहीं मानेगा. पूरे देश ने टीवी पर देखा है. इसके बाद जब भारत ने हमला शुरू किया, उनके कमांड और कंट्रोल को ध्वस्त कर दिया. 11 एयरबेस को ध्वस्त कर देने का काम हमारी वायु सेना ने किया. ये ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धि थी. आपको नहीं दिखेगी ये. पाकिस्तान ने चालाकी की, नागरिक विमान का भी परिचालन किया. एक भी नागरिक विमान को खरोंच नहीं आई. आप बात कर रहे हैं कि क्यों रोक दिया. पहले ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि हम युद्ध नहीं करना चाहते. हमारी लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ है. दोनों देशों के डीजीएमओ ने बैठकर तय किया. पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए और इसके बाद सीजफायर हुआ. इसके बाद पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर बंद नहीं, स्थगित हुआ है. ऑपरेशन सिंदूर ने पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि भारत एक सशक्त देश है और वह अपनी रक्षा करने में समर्थ है. पूरी दुनिया ने उसे सराहने का काम किया है. अमेरिका के राष्ट्रपति की बात आप कर रहे हैं, विदेश मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कह दिया कि कुछ नहीं हुआ. पीएम मोदी ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति से बात कर स्पष्ट कर दिया, उसे भी पूरे देश ने देखा. विपक्षी पार्टियों को प्रधानमंत्री और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता दिखाई नहीं देती है, जिसे पूरे विश्व ने देखा. आप कहते हैं कि प्रधानमंत्री बोलते नहीं हैं, बोलते नहीं हैं. प्रधानमंत्री जी बोलते नहीं हैं, एक्ट करके दिखाते हैं. जो मुख्य विपक्षी पार्टी है, उसका मुख्य आदर्श गॉवेल्स है, जो जर्मनी की कहावत है. एक झूठ को बार-बार बोलने से वह सच हो जाता है. लेकिन यह सही नहीं है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह एक दुष्प्रचार रणनीति है. भारत किसी के दबाव में नहीं आता है. भारत अपना निर्णय स्वयं करता है और इसमें सक्षम है.
ललन सिंह ने कहा कि कश्मीर तो वो गए, जिन्हें तफरी करनी थी. देश के प्रधानमंत्री को तो एक्ट करना था. प्रधानमंत्री 24 अप्रैल को मधुबनी में पंचायती राज दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में गए. वहां भी पीएम मोदी ने कहा कि घटना से मर्माहत हूं, इसका जवाब कल्पना से परे पाकिस्तान को मिलेगा. मधुबनी में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का उनका जो संकल्प था, पहली बार देखा कि कुछ देर अंग्रेजी में भाषण दिया. वह दुनिया को दृढ़ इच्छाशक्ति का संदेश दुनिया को दिया. छह और सात मई की मध्य रात्रि में हमारे सैनिकों ने नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. आपने देखा होगा टीवी पर, आतंकियों के जो आका थे, वह रो रहे थे. मसूद अजहर साहब, हाफिज सईद रो रहे थे. गोगोई जी आपने पाकिस्तान की सेना को तो एकबार भी कंडेम्न नहीं किया. आप वोट के लिए राजनीति करते हैं, मोदी जी देश के लिए करते हैं. नौ प्रशिक्षण शिविर जो ध्वस्त किए गए, पाकिस्तान के एक भी नागरिक को खरोंच नहीं आया. हमने देखा कि लोग वीडियो बना रहे थे, मजे ले रहे थे, ये मोदी जी का कमाल था.
जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि गौरव गोगोई ने एक शब्द सेना की वीरता, शौर्य और पराक्रम पर नहीं बोला. आप देशभक्ति की बात कर रहे हैं. आप इस पर बात कर रहे हैं कि कितना जहाज गिरा. 2004 से 2014 तक यूपीए के शासनकाल में आतंकवाद पनपा है, उसे जगह मिली. जब यूपीए की सरकार थी, तब मैं भी सदन का सदस्य था. यूपीए शासन के समय आतंकी घटनाओं में 615 लोग मारे गए. 2006 लोग घायल हुए. आप बात कर रहे आतंकवाद की. मुंबई ट्रेन में 209 लोग मारे गए, 800 लोग घायल हुए. क्या किया आपने. 26-11-2008 को पूरे मुंबई महानगर पर आतंकियों का कब्जा था, आपको बताना चाहिए था कि कैसे घुसे आतंकी. क्या किया आपने. उसमें 29 विदेशी नागरिक थे, मुंबई पुलिस के दो अधिकारी थे. क्या किया था आपने. आप घड़ियाली आंसू बहा रहे थे. आपने सदन में चर्चा करके गृह मंत्री को विदा करके आतंकवाद को पनपने दिया. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने की यूपीए सरकार में न साहस था, न दम. बस खानापूर्ति करते थे. मुंबई की घटना का मुख्य कर्णधार जो अमेरिका में छिपा था, उसको देश में लाकर मुकदमा चलाने का काम प्रधानमंत्री मोदी ने किया. भारत ने पहली बार आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का जो संकल्प लिया, वह 2016 में हुआ. आप मोदी जी को बताइएगा कि आतंकवाद से कैसे लड़ें. सबसे ज्यादा तो आप ही की सरकार रही देश में. आपने तो कुछ किया नहीं. बता रहे थे कि किन उद्देश्यों के साथ आतंकी पहलगाम में घुसे. अरे आपसे पूछ के घुसे थे क्या. विश्वसनीयता समाप्त हो ही रही है, आने वाले समय में कोई पूछेगा भी नहीं.
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का पक्ष रखते हुए लवू श्री कृष्ण ने कहा कि यह महज एक ऑपरेशन नहीं, एक स्टेटमेंट था. भारत ने इसके जरिये मजबूत संदेश दिया. उन्होंने कहा कि दुनिया भारत के साथ खड़ी हुई. भारत एक लोकतंत्र है और पाकिस्तान आर्मी स्टेट है.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का क्रेडिट सेना का है, इसमें बंटवारा नहीं होना चाहिए. गृह मंत्रालय को गैर जिम्मेदार बताते हुए कहा कि 26 लोगों को मारने के बाद चार आतंकी कहां गए. हम भारतीय सेना का सम्मान करते हैं. हमने विदेश नीति के मामले में भारत सरकार का पूरा समर्थन किया. पाकिस्तान को ऐसा आघात देना चाहिए था, जिसे पूरी दुनिया देखे. कभी सुना है कि सेंचुरी करीब है, 90 रन हो गया और इनिंग डिक्लेयर. ये मोदी जी ही कर सकते हैं, और कोई नहीं. मोदी जी कृपा करके क्रिकेट में मत घुसिएगा. डोनॉल्ड ट्रंप ने एक पोस्ट किया, अमेरिका की मध्यस्थता में पूरी रात चले वार्ता के लंबे दौर के बाद दोनों देश सीजफायर पर सहमत हो गए हैं. यहां 140 करोड़ देशवासी कह रहे लड़ाई करो, और अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने आपकी हाइट और छाती, दोनों कम हो गई.
उत्तर प्रदेश की सलेमपुर संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर राजभर ने कहा कि जवान की सीमा सुरक्षित हो,किसान का खेत सुरक्षित हो और गरीब का पेट सुरक्षित हो, ये हमारी नीति होनी चाहिए. रक्षा मंत्री ने इसी सदन में सौ आतंकियों को मारने की बात कही, इसका स्वागत है. उनमें वह चार आतंकी जो पहलगाम में शामिल थे, उनका नाम नहीं आया. घटना 22 अप्रैल को हुई, ऑपरेशन सिंदूर 17 दिन बाद हुआ. होगी कोई परिस्थिति. आतंकियों ने जिस तरह की घटना की, उस पर सरकार के जो पक्ष आए. मुलायम सिंह ने दुनिया के सामने समर्पण करने की बात कभी नहीं की. देश का मन क्या था, वह तीसरे दिन ऑपरेशन तंदूर चलाने का था. 17 दिन बाद हुआ हमला, तीन दिन में बंद हुआ. हमारे देश के प्रधानमंत्री विश्वगुरु हों, किस भारतीय को घमंड नहीं होगा. हम जिसे विश्वगुरु समझ रहे थे, पता चला कि विश्वगुरु तो व्हाइट हाउस में बैठा है. डोनाल्ड ट्रंप ने26 बार कहा कि हमने युद्धविराम कराया है. ट्रंप ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहा कि हमने भारत-पाकिस्तान में न्यूक्लियर युद्ध रोकने के लिए बिजनेस डील ऑफर की. प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की घनिष्ठ मित्रता के बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान को लोन दिलाने के पक्ष में मतदान किया. ट्रंप ने मुनीर की मेजबानी की. भारत सरकार पाकिस्तान को अलग-थलग करने में विफल रही. क्वॉड जैसे मंचों पर भारत अमेरिका की सैन्य लीडरशिप को वैश्विक वैधता देने से नहीं रोक सका. सपा सांसद ने आतंकियों के खुलेआम घूमते रहने और सुरक्षाबलों की मौजूदगी नहीं होने पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि घटना के तीन महीने बाद एलजी ने कहा कि चूक हो गई. ये आतंकी अब तक क्यों पकड़े नहीं जा सके. भारत ने हमेशा कहा है कि हमारे मसले द्विपक्षीय हैं और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है. ट्रंप की बात सही है तो भारत ने अपने सैन्य और कूटनीतिक फैसलों की स्वतंत्रता खो दी. युद्धविराम में क्या अमेरिका की कोई भूमिका थी, क्यों भारतीयों को ट्रंप से ये बातें सुनने को मिलीं. या तो ट्रंप झूठ बोल रहे हैं या सरकार सच्चाई छिपा रही है. जनता को सच बताया जाना चाहिए. अगर हमारा ऑपरेशन सही था तो हम दुनिया के 32 देशों में क्यों गए थे और गए थे तो क्या लाभ हुआ.
गौरव गोगोई ने कहा कि हम सरकार के दुश्मन नहीं हैं. हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आज भी सरकार के साथ खड़े हैं. हमें उम्मीद थी कि गृह मंत्री जी नैतिक जिम्मेदारी लेंगे और प्रधानमंत्री जी बताएंगे. हमको तो मीडिया में लगा कि हम कराची बैठेंगे. लेकिन अंतिम परिणाम से पहले हमारे कदम डगमगा गए.
गौरव गोगोई ने कहा कि पहले 21 टार्गेट चुने गए थे, और फिर ये नौ हुए. क्यों हुए. हम सब एकजुट हुए और पूरा समर्थन दिया पीएम मोदी को. पूरा देश पीएम मोदी जी के साथ था. 10 मई को सूचना आती है कि सीजफायर हो गया. क्यों हुआ. पाकिस्तान वास्तव में अगर घुटने टेकने के लिए तैयार था, तो आप क्यों रुके. आप क्यों झुके. किसके सामने आपने सरेंडर किया. अमेरिका के राष्ट्रपति 26 बार कह चुके हैं कि हमने जंग रुकवाई. राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि पांच-छह जेट गिरे हैं. देश में, हममें यह सच्चाई सुनने का साहस है. आप बताइए कि कितने जेट गिरे. विदेश नीति की बात आती है, किस मुंह से कहें कि सफल रहा है. जिस ड्राफ्ट को भारत ने नकारा, उसे तैयार करने में हमारे ही कुछ करीबी देश थे, जिन्हें हम परंपरागत सहयोगी मानते हैं. ब्राजील के डॉक्यूमेंट में जम्मू कश्मीर का जिक्र हुआ, पाकिस्तान की निंदा नहीं हुई. आप उसमें ही खुश हो.
गौरव गोगोई ने कहा कि राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा मकसद युद्ध नहीं था. पूछना चाहता हूं, क्यों नहीं था. होना चाहिए. हमारा मकसद जमीन लेना नहीं था. क्यों नहीं था. पीओके आज नहीं लेंगे तो कब लेंगे. कुछ किताबों की भी बातें हुईं. बीजेपी के नेता किताबें उठा लेते हैं. ब्लूमबर्ग को क्या जवाब दिया. देश में 35 ही राफेल हैं, उनमें से कुछ गिरे तो मुझे लगता है कि क्षति है. उन्होंने कहा कि हमें संदेश मिलता है कि दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान हमारे पास है. सीडीएस को ऐसा क्यों कहना पड़ा कि हमारे लड़ाकू जहाज रेंज में नहीं जा सकते, दूर से आक्रमण करना पड़ा. क्या पास से नहीं कर सकते, ये जानकारी हमें दें. हम ये जानना चाहते हैं कि एलजी राहुल आर सिंह ने सिक्किम में जाकर कहा कि पाकिस्तान तो सिर्फ फ्रंट पर था, उसके पीछे चीन पूरी तरह से समर्थन कर रहा था. जो सरकार चीन को लाल आंख दिखाने की बात करती है, आपने एकबार भी उसका जिक्र अपने भाषण में क्यों नहीं किया. आर्मी कह रही है कि तीन फ्रंट भी हो सकते हैं. टू फ्रंट की चेतावनी इसी सदन में हमारे दल के नेता राहुल गांधी ने दी थी. हम यही जानना चाहते हैं राजनाथ सिंह और पीएम मोदी जी से कि पाकिस्तान को चीन से कितना समर्थन मिल रहा है.
गौरव गोगोई ने कहा कि आपने कहा कि हमने आर्टिकल 19 खत्म कर दिया है, अब जम्मू कश्मीर सेफ है. आप आइए. और लोगों ने बैसरन में देखा कि वह कितने बेसहारा थे. बैसरन के डर पर एक शब्द तो कहते राजनाथ सिंह जी. ये आपकी भी जिम्मेदारी है. गृह मंत्री जी जाते हैं और कहते हैं कि हमने आतंकियों की कमर तोड़ दी. तब भी पुलवामा होता है. जिम्मेदारी कौन लेता है, एलजी. गृह मंत्री जी आपको जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी. आप एलजी के पीछे नहीं छिप सकते. ये सरकार इतनी बुजदिल है. इन्होंने दोष भी दिया तो टूर ऑपरेटर्स को. इनमें अहंकार आ गया है कि कितनी भी बड़ी गलती हो, उन पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. हम सवाल उठाएंगे. पीएम मोदी सऊदी में थे. आने के बाद नैतिक कर्तव्य था कि पहलगाम जाते. आप पहलगाम नहीं गए और बिहार जाकर चुनावी भाषण दे रहे थे. पहलगाम में जिन लोगों की शहादत हुई, उनकी बात कोई कर रहा है तो हमारा नेता राहुल गांधी कर रहे हैं. गौरव गोगोई के इतना कहने के बाद सत्ता पक्ष की ओर से हंगामा शुरू हो गया. स्पीकर ने भी गौरव गोगोई को सदन में गलत तथ्य नहीं देने के लिए कहा. गौरव गोगोई ने कहा कि राजनाथ जी जो भाषण दे रहे थे, वह किस समय में उजागर कर रहे थे. क्या 2016 में उन्होंने ये नहीं कहा कि हम घुसकर मारेंगे और आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर खत्म कर देंगे. वही बातें पुलवामा के बाद की और आज दोबारा भी वही बातें कर रहे हैं.
विपक्ष की ओर से पहले वक्ता के रूप में कांग्रेस के गौरव गोगोई बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि सच्चाई सदन में आनी चाहिए. सच्चाई पहलगाम की, ऑपरेशन सिंदूर की और विदेश नीति की आनी चाहिए. राजनाथ सिंह ने बहुत सी सूचनाएं दीं, लेकिन ये नहीं कहा कि पहलगाम के बैसरन में आतंकी कैसे आए. ये नहीं कहा कि कैसे पांच लोग बैसरन जाकर 26 लोगों को गोलियों से छलनी करते हैं. हमारा विपक्ष का कर्तव्य है कि हम सवाल पूछेंगे, देशहित में.देश जानना चाहता है कि पांच दहशतगर्द कैसे घुसे. उनका क्या मकसद था. उनका मकसद था कि जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को तबाह करना. देश के लोग यह भी जानना चाहते हैं कि सौ दिन गुजर गए और सरकार इनको पकड़ नहीं पाई. उनको फरार होने में भी किसी ने मदद की और सौ दिन बाद भी सरकार के पास कोई जवाब नहीं.
राजनाथ सिंह ने मुंबई हमले का जिक्र करते हुए कहा कि तब की सरकार ने कठोर कदम उठाए होते,तो पाकिस्तान की पोजिशन बदल सकती थी. उस समय की सरकार ने सिर्फ बातचीत का मार्ग चुना था. यह कोई आलोचना नहीं है, उस समय की सरकार या लीडरशिप की. उनको जो सही लगा, उन्होंने वह निर्णय लिया. आज का भारत अलग सोचता है. आज पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत वह देश नहीं रहा, जो पहले था. आज भारत सहता नहीं है, जवाब देता है.भारत आतंक की जड़ तक जाता है, और उसे उखाड़ फेंकने का सामर्थ्य रखता है. हम सभी लोग मिलकर देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए जो भी कदम जरूरी होगा, हम उठाएंगे. हमारी राजनीतिक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. आतंक को समर्थन करने वालों को यह संदेश जा चुका है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट है.
राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को दोनों देशों की डायलॉग प्रॉसेस से 2009 की सरकार ने डीलिंक कर दिया था.2006 में यह मान लिया गया था कि पाकिस्तान आतंक से पीड़ित है. इसने भारत की रणनीति को कमजोर किया. हमारे डेलिगेशन ने दुनिया के देशों में जाकर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत के स्टैंड को प्रभावी तरीके से रखा. पीएम मोदी ने भी कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर रुका है, समाप्त नहीं हुआ है. पाकिस्तान अगर फिर कोई हरकत करता है, तो हम और भी कठोर कार्रवाई करेंगे. पाकिस्तान के मन में गलतफहमी थी, उसे हमने ऑपरेशन सिंदूर से दूर कर दिया. अगर कुछ बचा होगा तो उसे भी दूर कर देंगे. भारत ने न केवल अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया, बल्कि नैतिकता और राजनीतिक समझ का भी परिचय दिया. भारत अब किसी भी तरीके के न्यूक्लियर धमकी के किसी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है. हमारी सरकार ने आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दुनिया के हर मंच पर बता दिया है और किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे. शंघाई सहयोग संगठन में हमने साफ कह दिया कि हमारा स्टैंड नहीं आएगा तो हम इस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. ब्रिक्स के इतिहास में पहली बार हुआ जब जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई. मुंबई हमले में भी जितनी निंदा होनी चाहिए थी इंटरनेशनल फोरम पर, उतना नहीं हुआ. मोदी जी की सरकार बनने के बाद हालात बदलने शुरू हुए. 2017 में पहली बार लश्कर और जैश जैसे संगठनों के नाम आए. हमने दुनिया को बताया कि हम आतंकियों को जरूरत पड़ी तो घर में घुसकर भी मारेंगे. यह वही नीति है, जो पहले की सरकारों को भी अपनाना चाहिए था.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी नीति भगवान राम और भगवान कृष्ण से प्रेरित है, जो हमें शौर्य और धैर्य, दोनों सिखाती है. हमारी नीति स्पष्ट है. हमने एक समय लाहौर बस यात्रा की भाषा में बात की थी, लेकिन पाकिस्तान ने उसे नहीं समझा. अब हम बालाकोट स्ट्राइक की भाषा में जवाब देगा. हम शांति के पक्षधर हैं और शक्ति भी है. यह शक्ति हमारी सामर्थ्य से आई है. यह नहीं कह रहा हूं कि पहले नहीं था, पहले भी था लेकिन पिछले 11 वर्षों में कई गुना बढ़ गया. हमारे सीडीएस से जब पूछा गया कि क्या आप ऑपरेशन के लिए तैयार हैं, उन्होंने क्षणभर भी देर नहीं लगाई और कहा कि यस सर. हमारी मिसाइल फिजिकल सीमाएं लांघेंगी और बहादुर सैनिक दुश्मन की कमर तोड़ेगा. राजनाथ सिंह ने वीएस नायपाल को कोट करते हुए कहा कि उन्होंने सही ही लिखा था कि पाकिस्तान में होना एक कॉन्ट्रेस्टिंग रियलिटी है. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पागलपन नहीं, सोची समझी साजिश का हिस्सा है. यह एक टूलकिट है, जिसे पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने एक नीति के तहत अपनाया हुआ है. यह ऐसी कट्टरपंथी सोच के साथ है, जिसमें सहिष्णुता नहीं है.पाकिस्तान के हुक्मरान जानते हैं कि उनके सैनिक भारत से नहीं जीत सकते. पाकिस्तान दोहरे मापदंड और झूठ की बुनियाद पर खड़ा एक ऐसा देश है, जो अब फेल स्टेट के तौर पर जाना जाता है. भारत ने इस ऑपरेशन के साथ दुनिया को दिखा दिया है कि हमने आतंकवाद को जड़ से मिटाने का संकल्प ले चुके हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन अगर कोई हमारी संप्रभुता को नुकसान पहुंचाएगा तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा. हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, युद्ध की नहीं. हम आज भी कहते हैं कि समृद्ध पाकिस्तान हमारे हित में है. हमने अब शांति स्थापित करने का दूसरा रास्ता अपनाया है. हमारी सरकार का स्टैंड बिल्कुल साफ है, जिसके मूल में लोकतंत्र का एक कतरा भी न हो, उसके साथ संवाद नहीं हो सकता. गोलियों की आवाज में संवाद की आवाज दब जाती है. पाकिस्तान की नीति और चरित्र को लेकर कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए. यह ऐसा देश है, जो वैश्विक आतंकवाद की नर्सरी है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने देखा है कि पाकिस्तान की सरकार आतंकियों के लिए स्टेट फ्यूनरल का इंतजाम कर रही है और सैन्य अधिकारी भी इसमें भाग लेते हैं. पाकिस्तान की सेना और आईएसआई आतंकवाद को प्रॉक्सी वॉर के रूप में इस्तेमाल करती है. लोकतंत्र के मंदिर में खड़े होकर यह कह रहा हूं, कि भारत को थाउजैंड कट देने की बात करने वालों को अब जग जाना चाहिए. ये मोदी का भारत है. हमारी नीति कभी किसी दूसरे की एक इंच जमीन पर कब्जा करने का नहीं रहा है. हमारी सेना शेर है. पाकिस्तान जैसा देश जो किसी भी मामले में हमारे आसपास भी नहीं है, उससे हमारा कैसा मुकाबला. हमारा पाकिस्तान विरोध उनकी आतंकवाद की नीति के कारण है. हम शांति के लिए हाथ बढ़ाना जानते हैं, तो शांति के लिए हाथ उखाड़ना भी जानते हैं. दुष्ट को उनकी भाषा में समझाना भी जानते हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि विपक्ष के लोग यह पूछते रहे हैं कि हमारे कितने विमान गिरे. यह प्रश्न जनभावनाओं का सही से प्रतिनिधित्व नहीं करता. उन्होंने हमसे कभी यह नहीं पूछा कि हमारी सेनाओं ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए. उनको प्रश्न ही पूछना है तो यह प्रश्न पूछें कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा, उत्तर है हां. राजनाथ सिंह ने कहा कि लक्ष्य जब बड़े हों, तो छोटे मुद्दों पर ध्यान नहीं जाना चाहिए. इससे देश की सुरक्षा, सैनिकों के सम्मान और उत्साह से ध्यान हट सकता है. विपक्ष के मित्र ऑपरेशन सिंदूर पर उचित प्रश्न नहीं पूछ पा रहे, तो क्या बताऊं. चार दशक से ज्यादा समय से राजनीति में हूं. कभी राजनीति को शत्रुतापूर्ण नजरिये से नहीं देखा है. आज हम सत्तापक्ष में हैं, तो जरूरी नहीं कि हमेशा सत्ता में ही रहेंगे. जनता ने हमें जब विपक्ष में रहने का दायित्व सौंपा, तब सकारात्मक तरीके से निभाया भी है. हमने 1962 में चीन के साथ युद्ध में दुखद परिणाम आया, तब हमने पूछा था कि हमारी धरती पर दूसरे देश का कब्जा कैसे हुआ.हमने पूछा कि सेना के जवान हताहत कैसे हुए. हमने मशीनों और तोपों की चिंता न करके देश की बेहतरी की चिंता की. 1971 में जूब हमने पाकिस्तान को सबक सिखाया, हमने राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की प्रशंसा की थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में खड़े होकर उस समय के नेतृत्व की प्रशंसा की थी. हमने उस समय भी ऐसे प्रश्न नहीं पूछे. इसे और भी प्रैक्टिकल तरीके से समझाऊं, तो परीक्षा के परिणाम में रिजल्ट मैटर करता है. हमें बच्चे के मार्क्स का ध्यान रखना चाहिए, इस बात का नहीं कि एग्जाम के दौरान उसकी पेंसिल टूट गई थी. रिजल्ट यह है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी सेनाओं ने जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उसे पूर्ण रूप से प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की है. भारत पाकिस्तान समेत हर पड़ोसी देश से मित्रता और सौहार्दपूर्ण संबंधों का इच्छुक रहा है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने यह कार्रवाई इसलिए रोकी, क्योंकि जो भी टार्गेट तय किए गए थे, हमने उन्हें हासिल कर लिया था. यह मानना कि भारत ने किसी दबाव में कार्रवाई रोकी, यह सरासर गलत है. ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने का उद्देश्य था उन टेरर नर्सरीज को खत्म करना, जिन्हें पाकिस्तान में वर्षों से पाला-पोसा गया था. हमारी सेनाओं ने केवल उनको टार्गेट किया, जो इन आतंकियों को सपोर्ट कर भारत को टार्गेट करने में लगातार इनवॉल्व थे. इस ऑपरेशन का उद्देश्य युद्ध छेड़ना नहीं था. 10 मई की सुबह जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की एयरफील्ड पर पर करारा प्रहार किया, तब पाकिस्तान ने हार मान ली. पाकिस्तान ने हमारे डीजीएमओ से बात की और कहा कि महाराज अब रोकिए. यह क्यों रोका, इसका पहले ही वर्णन कर चुका हूं. हमने इस आधार पर स्वीकार किया, कि यह ऑपरेशन केवल पॉज किया गया है. पाकिस्तान की ओर से अगर कुछ हुआ तो यह ऑपरेशन दोबारा शुरू होगा. पाकिस्तान की हार एक सामान्य विफलता नहीं, यह उसके सैन्यबल और मनोबल, दोनों की हार थी. पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया और कार्रवाई रोकने की अपील की. दोनों पक्षों में संवाद हुआ और हमने इसे रोकने का निर्णय लिया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना के शौर्य के दर्शन 140 करोड़ लोगों ने देखा.
राजनाथ सिंह ने कहा कि ये हमले एस्केलेटरी नेचर के नहीं थे. जिन्ह मोहिं मारा, तिन्ह मोहिं मारे... हालांकि पाकिस्तान ने सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया. हमने इन हमलों को विफल कर दिया. इस एस्केलेशन पर हमारा जवाबी हमला नपा तुला था. हमारी कार्रवाई पूरी तरह से सेल्फ डिफेंस में थी. पाकिस्तान की ओर से हमले 7 मई से 10 मई की रात 1 बजकर 30 मिनट तक मिसाइल और लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल किया. उनके निशाने पर हमारे सैन्य अड्डे थे. हमारा डिफेंस सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट ने पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम कर दिया और पाकिस्तान किसी भी टार्गेट को हिट नहीं कर पाया. हर हमले को रोका गया. भारतीय सेना ने दुश्मन के हर मंसूबे पर पानी फेर दिया. पाकिस्तान के हमले के जवाब में हमारी कार्रवाई साहसिक और ठोस थी. इस मिशन को हमारी सेनाओं ने सफलतापूर्वक अंजाम देने में कामयाबी पाई.
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत हो गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सेना के शौर्य की सराहना की. उन्होंने कहा कि सेना ने 6-7 मई की रात ऐतिहासिक ऑपरेशन किया. पहलगाम आतंकी हमले में लोगों को धर्म पूछकर मारा गया. पहलगाम हमला अमानवीयता का सबसे बड़ा उदाहरण है. इसके बाद प्रधानमंत्री ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक कर निर्णायक कार्रवाई की छूट दी. हमारी सेना बलिदान में पीछे नहीं रहेगी. उन्होंने ऑपरेशन की जानकारी देते हुए कहा कि हमने आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारा. सेना ने आतंकियों से हमारी माताओं-बहनों के सिंदूर का बदला लिया. यह सिंदूर की लाली शौर्य की कहानी है. बहुत संभलकर बोल रहा हूं, इस कार्रवाई में सौ से अधिक आतंकी और हैंडलर मारे गए. मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक है. फिगर गलत न होने पाए.
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि हम विपक्ष के साथियों से तय कार्यक्रम के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होने दें. डिबेट को डिस्टर्ब करने की कोशिश ना करें. हम किसी विषय पर पीछे नहीं हटते. जो भी विषय बीएसी में तय होगा, हम चर्चा के लिए तैयार हैं.
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर होने वाली चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष से कौन-कौन बोलेगा? वक्ताओं की पूरी लिस्ट आ गई है. सत्ता पक्ष की ओर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राजनाथ सिंह ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत करेंगे. इसके बाद बीजेपी की ओर से बैजयंत पांडा, डॉक्टर एस जयशंकर, तेजस्वी सूर्या, संजय जायसवाल, अनुराग ठाकुर और कमलजीत सेहरावत के भी नाम वक्ताओं की लिस्ट में हैं. विपक्षी कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी, दीपेंद्र हुड्डा, प्रणीति शिदे, सप्तगिरि उलाका और बिजेंदर ओला ऑपरेशन सिंदूर पर बोलेंगे. टीडीपी की ओर से लवू श्रीकृष्ण और हरीश बालयोगी, समाजवादी पार्टी की ओर से रमाशंकर राजभर और छोटेलाल, टीएमसी की ओर से कल्याण बनर्जी और सायोनी घोष, केरल कांग्रेस से के फ्रांसिस, डीएमके की ओर से ए जारा और कनिमोझी, एनसीपी (अजित पवार) के अमर काले और एनसीपी (शरद पवार) की ओर से सुप्रिया सुले बोलेंगी.
लोकसभा की कार्यवाही फिर शुरू हो गई है. स्पीकर ओम बिरला आसन पर आए हैं. उन्होंने कहा कि सभी दलों के नेताओं की ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की डिमांड की थी, हमने और सरकार ने इस पर सहमति दी थी. फिर आपसे आग्रह करता हूं कि चर्चा होने दें. आप सर्वदलीय बैठक में यह कहते कि पहले एसआईआर पर चर्चा होगी, तब सदन चलने देंगे. अखिले जी, आप नेताओं को भेजा करो तो बता कर भेजा करो. निर्णय करने की क्षमता हो तो भेजा करो, वरना मत भेजा करो. सदन चलेगा तो ऑपरेशन सिंदूर पर चलेगा. सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में एक बजे से चर्चा शुरू हो जाएगी. विपक्ष के नेताओं ने कहा है कि हमने SIR पर चर्चा के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए 12 बजे अपनी मांग रखी थी. अब 1 बजे से चर्चा शुरू होने की पूरी संभावना है.
लोकसभा में दोपहर 12 बजे से ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी थी, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही एक बजे तक स्थगित हो गई. कार्यवाही स्थगित होने के बाद विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि अगर मैं बोलूंगा तो यह सदन में होगा. उन्होंने कहा कि मेरा मौका अंदर है.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला विपक्ष के हंगामे पर भड़क गए. स्पीकर ने कहा कि आप प्रश्नकाल क्यों नहीं चलने देना चाहते. ये सदन का महत्वपूर्ण समय होता है.
आसन पर ओम बिरला आ गए हैं. ओम बिरला ने वेल में आकर हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि तरीका ठीक रखिए, ये सदन है. आपको ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करनी है या नहीं, करनी है तो अपनी सीट पर जाइए. विपक्ष के सदस्य वेल में जमे रहे. इस पर स्पीकर ने कहा कि कोई भी मुद्दा वेल में उठाने से चर्चा नहीं होगी. सदन में नियम प्रक्रिया है. बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में तय होता है और उसके बाद सदन में चर्चा होती है. लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी और स्पीकर ने सदन की कार्यवाही एक बजे तक स्थगित कर दी.
लोकसभा में आज शाम 7.30 बजे विदेश मंत्री एस जयशंकर बोलेंगे. अगले दिन लोकसभा में बीजेपी की ओर से पहले वक्ता गृह मंत्री अमित शाह होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा के अंत में बोल सकते हैं.
लोकसभा की कार्यवाही फिर शुरू हो गई है. सदन में लिस्टेड बिजनेस लिए जा रहे हैं. आसन पर कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत करेंगे. राजनाथ सिंह के बाद बीजेपी के वक्ताओं की लिस्ट में तेजस्वी सूर्या और बैजयंत पांडा के नाम हैं.
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में कांग्रेस की ओर से शामिल होने वाले वक्ताओं की लिस्ट भी सामने आ गई है. कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी, दीपेंद्र हुड्डा ऑपरेशन सिंदूर पर पार्टी का पक्ष रखेंगे. प्रणीति शिंदे, सप्तगिरि उलाका और बिजेंदर एस ओला के नाम भी वक्ताओं की लिस्ट में शामिल हैं.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष के हंगामे पर गौरव गोगोई का नाम लेकर कहा कि आप और बाकी पार्टी के नेता आए थे. चर्चा के लिए आप लोग तैयार थे, फिर प्रश्नकाल क्यों नहीं होने दे रहे. सांसदों के लिए प्रश्नकाल बहुत महत्वपूर्ण समय होता है. सदन सबका है. देश देखेगा कि आपने प्रश्नकाल को चलने नही दिया और कार्यवाही में बाधा डाली.
राज्यसभा में भी विपक्ष का हंगामा जारी है. राज्यसभा में आसन से उपसभापति हरिवंश ने शून्यकाल की कार्यवाही शुरू की और आंगनबाड़ी से जुड़े मुद्दे पर बोलने के लिए कहा. हंगामा जारी रहा और इसके बाद आसन से हरिवंश ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी.
लोकसभा में आज से ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू होनी है. आज लोकसभा की कार्यवाही के सुचारू संचालन की उम्मीद जताई जा रही थी. शुक्रवार को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में 28 जुलाई से सदन के नियमित संचालन पर सभी दलों के फ्लोर लीडर्स ने सहमति भी जताई थी. लेकिन कार्यवाही शुरू होते ही बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर हंगामा शुरू हो गया. हंगामे के कारण स्पीकर ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी. विपक्ष पर भड़के स्पीकर ने कहा कि प्रश्नकाल में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी है. आखिर क्यों आप प्रश्नकाल नहीं चलने देना चाहते. आप नारेबाजी करते हो, पर्चियां फेंकते हो. उन्होंने विपक्ष के नेता से अपने नेताओं को समझाने की भी अपील की.
लोकसभा में प्रश्नकाल की कार्यवाही चल रही है. प्रश्नकाल के दौरान पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर्यटन मंत्रालय के कामकाज से संबंधित सवालों के जवाब दे रहे हैं.
लोकसभा में आज से ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी है. प्रश्नकाल के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चर्चा की शुरुआत करेंगे, लेकिन विपक्ष का हंगामा जारी है. विपक्षी सदस्य लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ प्लेकार्ड लहरा रहे हैं. सदन में पीएम मोदी भी मौजूद हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद पहुंच गए हैं. आज लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर 16 घंटे की विशेष चर्चा होगी. यह बहस राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े अहम मुद्दों पर केंद्रित रहेगी. सरकार और विपक्ष दोनों अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ तैयार हैं.
पहलगाम आतंकियों पर पी चिदंबरम के कथित बयान पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "अगर आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे, तो हमारी सीमाएं कैसे सुरक्षित हैं? वे आए, वारदात को अंजाम दिया और चले गए. हम पूछेंगे कि क्या उन्हें एयरलिफ्ट किया गया और एयरड्रॉप किया गया, वे कहां से आए और कहां गए. हमें जानने का अधिकार है..."
संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बहस से पहले बीएसपी प्रमुख मायावती ने केंद्र और विपक्ष दोनों से राजनीति से ऊपर उठने की अपील की है.
मायावती ने X पोस्ट में कहा, "आज संसद में शुरू हो रहे 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर भाग लेना चाहिए."
बसपा प्रमुख ने इसी पोस्ट में आगे कहा, "आगे चलकर सरकार और विपक्ष को एक ठोस रणनीति के तहत मिलकर काम करना चाहिए ताकि किसी भी महिला का सिंदूर न मिटने पाए और किसी भी मां को अपना बेटा न खोना पड़े; यही समय की मांग भी है."
पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम के उस बयान पर सियासी बवाल मच गया है जिसमें उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान की भूमिका से इनकार किया था. बीजेपी नेता शोभा करंदलाजे ने सवाल उठाया कि कांग्रेस लगातार पाकिस्तान का बचाव क्यों करती है. जब भारत के सुरक्षाबलों पर सवाल उठते हैं, तब पाकिस्तान की भूमिका को नजरअंदाज क्यों किया जाता है.
बीजेपी सांसद ने पूछा कि क्या चिदंबरम को आईएसआई पर ज्यादा भरोसा है या भारत की सुरक्षा एजेंसियों पर. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का रवैया हमेशा भारत विरोधी क्यों नजर आता है और वो बार-बार आतंकी हमलों को हल्का क्यों दिखाती है.
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा शुरू होने से पहले कहा कि इस चर्चा में दो पहलुओं को अलग करके देखा जाना चाहिए. पहला, सशस्त्र बलों की बहादुरी और कामयाबी की सराहना होनी चाहिए. दूसरा, बार-बार हो रहे आतंकी हमलों के लिए बीजेपी सरकार से जवाब मांगा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सेना को मौका मिलता तो शायद पीओके भी ले लिया होता. पहलगाम हमले से पहले एक और घटना हुई थी, जिसकी जानकारी जनता को अब तक नहीं दी गई है. उन्होंने पूछा कि पहलगाम के आतंकी कहां गए. सरकार को इसका जवाब देना चाहिए.
सांसद प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहीं प्रियंका चतुर्वेदी ने पांच सवाल पूछे हैं, और संसद में सरकार से जवाब की उम्मीद जताई है.
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस शुरू होने से पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक एक्स पोस्ट में कहा, "जब रावण ने लक्ष्मण रेखा पार की, तो लंका जल गई. जब पाकिस्तान ने भारत द्वारा खींची गई लाल रेखा पार की, तो पाकिस्तान को आग का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर आज लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर होने वाली बहस में शामिल नहीं होंगे. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस तरह की अहम बहस में बोलने के इच्छुक सांसदों को कांग्रेस संसदीय दल (CPP) कार्यालय के जरिए औपचारिक अनुरोध करना होता है, लेकिन अब तक शशि थरूर ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है. (इनपुट- राहुल गौतम)
कांग्रेस पार्टी ने अपने लोकसभा सांसदों को सोमवार से तीन दिन तक सदन में अनिवार्य रूप से मौजूद रहने का निर्देश देते हुए व्हिप जारी किया है. यह कदम पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर प्रस्तावित बहस को देखते हुए उठाया गया है. दोनों ही मुद्दे राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े गंभीर मसले हैं. कांग्रेस सरकार को इन संवेदनशील विषयों पर घेरने की रणनीति बना रही है.
संसद के मानसून सत्र में आज से पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस शुरू होने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा में सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर इस बहस का नेतृत्व करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आतंकवाद पर सरकार का 'मजबूत' रुख स्पष्ट करने के लिए हस्तक्षेप कर सकते हैं. यह बहस संसद सत्र के पहले सप्ताह की गतिरोध भरी कार्यवाही के बाद एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां एनडीए और विपक्ष दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर आमने-सामने हैं. तीखी बहस की संभावना जताई जा रही है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज दोपहर लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस की शुरुआत करेंगे. यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और सरकार की ओर से इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी जाएगी. विपक्ष पहले ही इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रुख अपना चुका है, जिससे संसद में तीखी बहस की संभावना है.