NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जीत हासिल की. उन्होंने कुल 452 वोट प्राप्त कर अपने प्रतिद्वंद्वी और INDIA गठबंधन के बी सुदर्शन रेड्डी को परास्त किया. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले हैं. NDA लगभग दो-तिमाही से बहुमत हासिल की है. उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने भी अच्छी चुनौती दी. लेकिन, उनकी संख्या एनडीए के मुकाबले कम रही. इस चुनाव में जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत थी, जिसे NDA उम्मीदवार ने आसानी से हासिल कर लिया.
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट करते हैं, जिनकी संख्या 788 है. इनमें से वर्तमान में 7 सीटें रिक्त हैं, यानी 781 सांसदों को वोट करना था. इनमें एनडीए सांसदों की संख्या 427 थी और विपक्षी सांसदों की संख्या 354. विपक्षी सांसदों में इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों के 315 और 39 ऐसे दलों के सांसद थे जो एनडीए और इंडिया ब्लॉक किसी का हिस्सा नहीं थे. इनमें जमन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों ने एनडीए को वोट किया जिससे एनडीए की संख्या 438 हुई.
अब 39 वोट में से बचे 28 वोट, जिनमें बीजेडी के 7, बीआरएस के 4, अकाली दल का 1 और दो निर्दलीय सांसदों सरबजीत सिंह खालसा और अमृतपाल सिंह ने किसी को वोट नही दिया. यानी 14 सांसदों ने वोटिंग मे हिस्सा नहीं लिया. ऐसे में 14 वोट बचे जो एनडीए को मिले. अब इन 14 में से कुछ अमान्य करार दिए गए होंगे या NDA को वोट किया होगा. कुल 15 वोट अमान्य हुए, जिनमें एनडीए के 10 और विपक्ष के 5 वोट बताए जा रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि विपक्ष की ओर से एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग तो हुई है और ये आंकड़ा करीब 10 के आसपास हो सकता है.
यह चुनाव उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के जुलाई में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद आयोजित किया गया. संसद परिसर के वसुंधा भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान चला. संसद के दोनों सदनों के सांसद ने इस चुनाव में मतदान किया.
विपक्ष की रणनीति और NDA की तैयारी
विपक्ष ने अपनी एकजुटता दिखाने के लिए सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा, ताकि मतदान प्रक्रिया में संदेश जाए। लेकिन एनडीए ने अपनी रणनीति के तहत क्रॉस वोटिंग के जरिए विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगाई और 452 वोट हासिल किए. सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट करने की अपील की थी. यही कारण रहा कि कुछ क्रॉस वोटिंग हुई और एनडीए को फायदा मिला.
इस चुनाव में 15 वोट अमान्य पाए गए, यानी कुल वोटों का लगभग 2 फीसदी हिस्सा. यह बताता है कि सांसदों को मतदान प्रक्रिया में गलती करने या जानबूझकर इनवैलिड वोट देने की संभावना रही. विशेषज्ञों का कहना है कि आगे ऐसे चुनावों में सांसदों को सही तरीके से वोटिंग करने की लंबी ट्रेनिंग की आवश्यकता होगी ताकि इनवैलिड वोटों की संख्या कम हो.
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