'नेक काटना हम जानते हैं....' घटोत्कच-हिडिम्बा जिक्र कर नागालैंड के मंत्री की बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को चुनौती

नागालैंड के मंत्री तेमजेन इम्ना अलॉन्ग ने भारत के 'चिकन नेक' को काटने की धमकी देने वाले बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को सख्त चेतावनी दी है. उन्होंने 'गला काटने' की पूर्वोत्तर की जनजातीय क्षमता और महाभारत के घटोत्कच-हिडिम्बा का संदर्भ दिया.

Advertisement
तेमजेन ने कहा कि बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को भारत की ताकत को नहीं आंकनी चाहिए. (Photo-ITG) तेमजेन ने कहा कि बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को भारत की ताकत को नहीं आंकनी चाहिए. (Photo-ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

भारत के रणनीतिक रूप से बेहद अहम ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर को लेकर बांग्लादेश के कट्टरपंथी तत्वों की बयानबाजी पर नागालैंड के मंत्री और राज्य भाजपा अध्यक्ष तेमजेन इम्ना अलोंग ने कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है. 

नागालैंड के मंत्री ने जोर देकर कहा कि पूर्वोत्तर के लोग अपने क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों को बाहरी लोगों की तुलना में कहीं अधिक गहराई से समझते हैं. उन्होंने कहा, “जहां तक गला या गर्दन काटने जैसी बातों का सवाल है, इन वास्तविकताओं को हमसे बेहतर कोई नहीं समझता है.”

Advertisement

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के जनजातीय समुदायों की ताकत को कम आंकना बड़ी भूल होगी. तेमजेन इम्ना अलोंग ने खुले तौर पर चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग भारत की क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने की बात कर रहे हैं, उन्होंने पूर्वोत्तर की वास्तविक शक्ति को अब तक देखा ही नहीं है. 

हिडिम्बा और घटोत्कच का किया जिक्र

उन्होंने महाभारत के पात्र घटोत्कच और हिडिम्बा का ज़िक्र करते हुए पूर्वोत्तर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मजबूती को रेखांकित किया.मंत्री ने कहा कि महाभारत के अनुसार हिडिम्बा असम-नागालैंड क्षेत्र की दिमासा जनजाति से थीं, जबकि घटोत्कच इसी धरती की पहचान हैं. 

महाभारत के अनुसार, घटोत्कच और हिडिम्बा पूर्वोत्तर से थे. हिडिम्बा, जो भीम की पत्नी और घटोत्कच की माता थीं, वह असम और नागालैंड की दिमासा जनजाति से थीं. उन्होंने साफ शब्दों में कहा,“अगर किसी ने भारत की अखंडता को कमजोर करने की कोशिश की, तो यह उनकी सबसे बड़ी गलती होगी.”

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'यूनुस पर कट्टरपंथी हावी, चिकन नेक का नैरेटिव खतरनाक...', बांग्लादेश के बिगड़ते हालात पर बोलीं शेख हसीना

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ‘चिकन नेक’ शब्द एक मीडिया टर्म है, लेकिन पूर्वोत्तर के लोग खुद को भारत से पूरी मजबूती से जुड़ा हुआ मानते हैं. तेमजेन ने कहा, 'उन्होंने हमारी ताकत नहीं देखी है. अगर उन्होंने घटोत्कच और हिडिम्बा नहीं देखे हैं, तो उनका स्वागत है. हम उन्हें दिखाएंगे कि हम क्या कर सकते हैं. हम गर्व से कहते हैं कि हम भारतीय हैं और भारत का अभिन्न हिस्सा हैं.'

आपको बता दें कि “गला काटने” संबंधी उनकी चेतावनी कोई ऐसा-वैसा बयान नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ है. हेडहंटिंग (सिर काटने की प्रथा) 1960 के दशक में प्रतिबंध लगाए जाने तक नागा जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, जिसमें युद्ध के दौरान दुश्मनों के सिरों को काटने का मतलब था कि युद्ध में ट्रॉफी मिली है.

इतिहासकार तुइसेम नगाकांग ने पहले आजत से बातचीत में कहा था,“हेडहंटिंग कोई खेल नहीं था बल्कि धार्मिक नागा समुदाय का गहरा विश्वास था कि भगवान उनकी ओर से मदद करेंगे.”

तेमजेन पूर्वोत्तर के दूसरे बड़े नेता हैं, जिन्होंने इस मुद्दे पर बांग्लादेश को चेताया है. इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी कह चुके हैं कि यदि भारत के ‘चिकन नेक’ पर हमला हुआ, तो बांग्लादेश के दोनों ‘चिकन नेक्स’ जवाबी कार्रवाई की जद में होंगे.

Advertisement

यह भी पढ़ें: तीन नए मिलिट्री बेस... राफेल, ब्रह्मोस और S-400 की तैनाती, भारत ने 'चिकन नेक' बनाया अभेद्य किला

ऐसे हुई थी विवाद की शुरुआत

यह पूरा विवाद उस वक्त तेज़ हुआ है, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और कुछ छात्र नेताओं ने भारत के पूर्वोत्तर को लेकर उकसाऊ बयान दिए. भारत सरकार इन टिप्पणियों पर करीबी नजर बनाए हुए है. हाल के दिनों में, हसनात अब्दुल्ला जैसे बांग्लादेशी छात्र नेताओं ने अपनी बयानबाजी तेज कर दी है

. इस महीने की शुरुआत में, बांग्लादेश की नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के नेता अब्दुल्ला ने धमकी दी थी कि अगर बांग्लादेश में अस्थिरता फैली तो वे 'सेवन सिस्टर्स' को अलग-थलग कर देंगे और पूर्वोत्तर के अलगाववादियों को शरण देंगे.
 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement