कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई के बीच वैक्सीन आने से बड़ी राहत मिली है, लेकिन वैक्सीन से पहले देश में हालात ठीक नहीं थे. केंद्र और राज्य सरकारों ने इस महामारी से डट कर मुकाबला किया है, लेकिन ये जानलेवा वायरस अब तक एक लाख से अधिक लोगों की जान ले चुका है. कोरोना संकट से निपटने में केंद्र और राज्य सरकार के योगदान पर देश का मिजाज यानी मूड ऑफ द नेशन (MOTN) क्या रहा, इसे जानने के लिए आजतक के लिए कार्वी इनसाइट्स लिमिटेड ने सर्वे किया.
इस सर्वे के मुताबिक, कोरोना काल में केंद्र से राज्य सरकारों के काम को ज्यादा पसंद किया गया. राज्यों के काम को (आउटस्टैंडिंग-20%), अच्छा (50%), औसत (20%), खराब (7%) और बहुत खराब (2%) लोगों ने बताया. वहीं, केंद्र के काम को (आउटस्टैंडिंग-20%), अच्छा (47%), औसत (22%), खराब (8%) और बहुत खराब (2%) आंका गया.
इस सर्वे में 23 फीसदी लोगों ने पीएम के काम को आउटस्टैंडिंग बताया, जबकि 50 फीसदी वो लोग थे जिन्हें पीएम का काम अच्छा लगा. 18 फीसदी ने पीएम के काम को औसत बताया, जबकि 7 फीसदी ने खराब और 2 फीसदी ने बहुत खराब बताया.
सर्वे के मुताबिक, केवल 7 फीसदी लोग ही खरीदकर टीका लगवाना चाहते हैं. 92 फीसदी लोगों ने फ्री टीके की वकालत की है. वहीं, 76 फीसदी लोगों ने कोरोना वैक्सीन का टीका लेने पर सहमति जताई है, 21 फीसदी ऐसे लोग हैं जो टीका नहीं लगवाना चाहते हैं. इस तरह कह सकते हैं कि हर चौथा आदमी टीका नहीं लगवाना चाहता है.
मूड ऑफ द नेशन पोल मार्केट रिसर्च एजेंसी कार्वी इनसाइट्स ने किया. लोगों की राय 3 जनवरी से 13 जनवरी, 2021 के बीच ली गई. सर्वे में कुल 12,232 लोगों को शामिल किया गया. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के 67 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों के 33 प्रतिशत लोग थे. 19 राज्यों में 97 संसदीय क्षेत्र और 194 विधानसभा क्षेत्र में ये सर्वे किए गए.
लॉकडाउन ने किसका क्या बिगाड़ा?
सर्वे में एक सवाल लॉकडाउन के इम्पैक्ट को लेकर था. सर्वे में लोगों से पूछा गया कि लॉकडाउन का क्या असर हुआ? 39% ने कहा कि कोरोना संक्रमण का फैलाव रुका. 28 फीसदी लोगों ने कहा कि संक्रमण पर लगाम तो लगा, लेकिन दूसरी समस्याएं हुईं. 13 फीसदी ने माना लॉकडाउन का कोई असर नहीं हुआ. वहीं सर्वे में 10 फीसदी लोगों ने कहा कि लॉकडाउन का असर इकोनॉमी पर हुआ. 7 फीसदी ने कहा कि कोरोना का फैलाव कम हुआ, लेकिन इससे इकोनॉमी संकट में आ गई.
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