Farmers Protest: क्या है किसानों की डिमांड, और क्या है सरकार के 5 प्रस्तावों में, कहां अटकी है बात?

किसान आंदोलन का भविष्य क्या होगा. क्या सरकार के प्रस्तावों पर किसान राजी होंगे? इसपर किसान संगठनों के फैसले पर सबकी निगाह है. आईए जानते हैं कि किसानों की क्या मांगें हैं और सरकार ने क्या प्रस्ताव भेजा है.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

ऐश्वर्या पालीवाल

  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST
  • किसानों की कमेटी की बैठक पर सबकी नजरें
  • बैठक के बाद आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर सकते हैं किसान

कृषि कानूनों के वापस होने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है. हालांकि, कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर सकता है. दरअसल, सरकार ने किसानों की मांगों पर प्रस्ताव भेजा है. किसानों ने इनमें से कुछ पर आपत्ति जताई है, कुछ पर सहमत भी हुए हैं. आज किसान संयुक्त मोर्चा द्वारा बनाई गई कमेटी की सरकार के कुछ मंत्रियों के साथ बैठक है. इस दौरान सरकार किसानों की मांगों को सुनेगी. 

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इससे पहले मंगलवार को किसान संयुक्त मोर्चा की बैठक हुई थी. इस दौरान सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी. सरकार ने किसानों को उनकी मांगों को लेकर एक प्रस्ताव भेजा है. इस पर किसान संगठनों ने 5 घंटे तक चर्चा भी की. आईए जानते हैं कि किसानों की क्या मांगें हैं और सरकार ने क्या प्रस्ताव भेजा है? 

किसानों की ये हैं मांगें

किसान संगठन कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. अब इसे सरकार ने वापस ले लिया है. हालांकि, किसान अभी एमएसपी पर कानूनी गारंटी चाहते हैं. इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में किसानों पर दर्ज केस को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा किसानों की मांग है कि लाल किला हिंसा में प्रदर्शनकारियों पर दर्ज केस भी वापस लिए जाएं. 

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सरकार ने क्या भेजा प्रस्ताव?

1- सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक, एमएसपी पर पीएम मोदी और बाद में कृषि मंत्री ऐलान कर चुके हैं कि कमेटी बनाई जाएगी, इसमें राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी होंगे. साथ ही किसान नेताओं को भी शामिल किया जाएगा. इसमें कृषि वैज्ञानिक भी शामिल होंगे. इतना ही नहीं इस कमेटी में किसान संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. 

2- प्रस्ताव के मुताबिक, जहां तक आंदोलन की बात है, तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार आंदोलन के खत्म होते ही केस वापस लेने के लिए तैयार है.  

3- सरकार ने कहा है कि जैसे ही आंदोलन वापस होगा, जिस विभाग ने केस दर्ज किया है, वह अपने आप केस वापस ले लेंगे.  

4- जहां तक कि मुआवजे की बात है, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सहमति दी है. पंजाब सरकार मुआवजे को लेकर पहले ही ऐलान कर चुकी है.  

5- जहां तक की बिजली बिल की बात है, इसमें सभी पक्षों का विचार सुना जाएगा. इसके बाद संसद में बिल पेश किया जाएगा. 

5- पराली जलाने पर सरकार ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा पारित अधिनियम में किसान को आपराधिक केस से छूट दी गई है. 
 
किसानों ने इन बातों पर उठाई आपत्ति

किसानों ने सरकार के प्रस्ताव में तीन बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराई है.

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1-किसानों का कहना है कि जो लोग कृषि कानूनों की ड्राफ्टिंग में शामिल थे, उन्हें एमएसपी पर कमेटी में शामिल नहीं किया जाएगा. सिर्फ संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल संगठनों को इसमें जगह दी जाए. 

2- किसानों का कहना है कि पहले केस वापस ले सरकार, इसके बाद आंदोलन वापस लिया जाएगा.  .

3- किसानों का कहना है कि सरकार सैद्धांतिक रूप से मुआवजा देने के लिए तैयार है, लेकिन जिस तरह से पंजाब सरकार ने उन्हें मुआवजा दिया है, वैसे ही आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए. 

क्या कह रहे किसान नेता?

वहीं, प्रस्ताव को लेकर किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा, गृह मंत्रालय और गृह मंत्री से अमित शाह की ओर से प्रस्ताव मिला है. यह बातचीत की शुरुआत है. उन्होंने कहा, सरकार ने केस वापस लेने से पहले किसानों के सामने शर्त रखी है, यही मुख्य समस्या है. उधर, योगेंद्र यादव ने कहा, चीजें सही दिशा में जा रही हैं. हम इस आंदोलन को समाप्त करना चाहते हैं और हम खुले दिमाग से मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि ज्यादातर किसान नेता सरकार के प्रस्तावों को मानकर आंदोलन खत्म करने के पक्ष में हैं. जबकि राकेश टिकैत समेत किसान नेताओं का एक गुट इसके लिए तैयार नहीं है.

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