मणिपुर में हिंसा के 85 दिन से ज्यादा हो गए हैं. कई इलाके सूने पड़े हैं. यहां के लोगों ने हिंसा की वजह से दूसरे राज्यों तक में पलायन कर लिया है. पड़ोसी राज्य मिजोरम में ही मणिपुर के 12600 से ज्यादा विस्थापित डेरा जमाए हैं. इन लोगों के खाने-पीने से लेकर जरूरी चीजों का राज्य सरकार इंतजाम कर रही है. मिजोरम सरकार कहना है कि उसे अब तक केंद्र सरकार की तरफ से राहत पैकेज भी नहीं दिया गया है.
मिजोरम के गृह आयुक्त और सचिव एच लालेंगमाविया ने बताया कि मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने मई में विस्थापित लोगों के लिए तत्काल राहत पैकेज के रूप में 10 करोड़ रुपये की मांग की थी. लालेंगमाविया ने न्यूज एजेंसी को बताया, हमें अब तक केंद्र से कोई सहायता नहीं मिली है. राज्य सरकार ने मणिपुर के विस्थापित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए खुद धन जुटाया है और खर्च किया है.
मिजोरम में हिंसा पीड़ितों जुटाया डोनेशन
उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र जल्द ही इन लोगों के लिए पैकेज की राशि मंजूर करेगा. मिजोरम सरकार का कहना है कि पड़ोसी राज्य मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा भड़की थी, उसके बाद से लोगों का मिजोरम में शरण लेने का सिलसिला शुरू हो गया था. लालेंगमाविया ने यह भी कहा कि मिजोरम प्रशासन ने विधायकों, सरकारी कर्मचारियों, बैंकर्स और अन्य लोगों से हिंसा पीड़ितों के लिए डोनेशन देने की अपील की है.
कोलासिब जिले में सबसे ज्यादा विस्थापित
उन्होंने कहा, हमने कलेक्शन पूरा कर लिया है. मुझे अभी तक कुल एकत्रित राशि की रिपोर्ट नहीं मिली है. मिजोरम गृह विभाग के अनुसार, शुक्रवार तक मणिपुर से कुल 12,611 लोग राज्य में प्रवेश कर चुके हैं. इसमें कोलासिब जिले में 4,440 लोग आए हैं. जबकि आइजोल में 4,265 और सैतुअल में 2,951 लोगों ने शरण ली है. बाकी 955 लोग चम्फाई, ममित, सियाहा, लॉन्गत्लाई, लुंगलेई, सेरछिप, ख्वाजावल और हनाथियाल जिलों में डेरा जमाए हैं.
मिजोरम में 38 राहत शिविर
सरकार ने आइजोल, कोलासिब और सैतुअल में 38 राहत शिविर स्थापित किए हैं. राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठनों, चर्चों और ग्रामीणों ने विस्थापित लोगों को भोजन और अन्य बुनियादी चीजें प्रदान कीं हैं.
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा
बता दें कि मई की शुरुआत में मणिपुर में मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था, जिसके बाद पहली बार झड़पें हुईं. मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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