कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद: इलाहाबाद HC के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका SC से खारिज

दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में दाखिल दो याचिकाओं पर एक पक्षीय आदेश जारी किया था क्योंकि मुस्लिम पक्ष इस मामले में नोटिस का जवाब लेकर कोर्ट के सामने नहीं आया था. हालांकि हाईकोर्ट ने जवाब की जानकारी मिलने के बाद अपना एकपक्षीय आदेश री-कॉल यानी वापस कर लिया था.

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मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और ईदगाह मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और ईदगाह

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:59 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह भूमि विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया. कोर्ट ने याचिका को निरर्थक बताते हुए खारिज करने की बात कही तो याचिकाकर्ता ने अर्जियां वापस ले लीं. उस आदेश में हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल दो मुकदमों में मस्जिद समिति के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया था.

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जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ को बताया गया कि 12 अगस्त के हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक पक्षीय आदेश को वापस (recall) ले लिया गया है. कोर्ट ने कहा कि जब ऑर्डर को हाईकोर्ट ने ही री-कॉल कर लिया है तो इस अपील का अब क्या मतलब रह जाता है? याचिका अर्थहीन हो गई है. हिन्दू पक्ष ने यह आपत्ति उठाई कि मुस्लिम पक्ष हर आदेश के खिलाफ अपील लेकर सीधे सुप्रीम कोर्ट आ जाता है.

दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में दाखिल दो याचिकाओं पर एक पक्षीय आदेश जारी किया था क्योंकि मुस्लिम पक्ष इस मामले में नोटिस का जवाब लेकर कोर्ट के सामने नहीं आया था. हालांकि हाईकोर्ट ने जवाब की जानकारी मिलने के बाद अपना एकपक्षीय आदेश री-कॉल यानी वापस कर लिया था.

क्या है विवाद 
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद के 13.37 एकड़ जमीन को लेकर विवाद है. करीब 11 एकड़ पर मंदिर है और 2.37 एकड़ जमीन पर मस्जिद है. इस मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1669-70 में कराया था. हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि इसके कोई सबूत मौजूद नहीं हैं कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण एक मंदिर को तोड़कर कराया गया था. शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी है कि ईदगाह मस्जिद की संरचना पर दावा करने वाले हिंदू भक्तों द्वारा दायर याचिकाएं पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत वर्जित हैं.

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